PATNA : पटना ही नहीं पूरा बिहार शिशु मातृ मृत्यु दर से जूझ रहा था। आंकड़ों के बढ़ते बोझ से सरकार का भी दम फूल रहा था। शिशु मातृ मृत्यु दर से जूझ रहे प्रदेश में कोई फंडा काम नहीं कर रहा था और

जागरुकता के अभाव में मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ता जा रहा था। लेकिन चार साल में बदलाव का ऐसा समय आया कि शिशु मातृ मृत्यु दर की आंकड़े को रोकने में काफी हद तक काबू पाया जा सका। देखते ही देखते समय ऐसा आया कि जहां दम टूटता था वहां अब रिकॉर्ड बन रहा है।

जागरुकता से आया बदलाव

जानकारों का कहना है कि जागरुकता के माध्यम से ही शिशु-मातृ ृ मृत्य दर में काफी हद तक कमी आई है। इसके लिए बिहार सरकार ने केंद्र सरकार की गाइड लाइन पर काम करना शुरू किया और पटना से लेकर बिहार के अन्य इलाकों में भी तेजी से अवेयरनेस प्रोग्राम किया गया। इससे महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों में भी जागरुकता आई और गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण और खान पान में तेजी से सुधार लाया जा सका। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बिहार को लेकर जो आंकड़ा जारी किया है वह काफी शुभ संकेत हैं। इससे यह माना जा रहा है कि लोगों में अवेयरनेस का असर पड़ा है।

मातृ मृत्यु दर

208 प्रति लाख पहले

165 प्रति लाख अब

शिशु मृत्यु दर

43 प्रति एक हजार पहले

38 प्रति एक हजार अब

शिशु मातृ मृत्यु दर में काफी कमी आई है। जागरुकता के आधार पर बढ़ते आंकड़ों को काबू किया जा रहा रहा है। टीकाकरण से लेकर अन्य जागरुकता के काम में बड़े प्लान पर काम किया जा रहा है।

मंगल पांडेय, स्वास्थ्य मंत्री,

बिहार सरकार

Posted By: Inextlive