मराठी खाना न मिलने पर एक मुस्लिम रोजेदार को जबरदस्ती रोटी खिलाने में मामले में शिवसेना ने एक अजोबीगरीब बात कही है. पार्टी ने अपने मुखपत्र 'सामना' में डिफेंसिव मोड में नजर आई. पार्टी ने यहां तक कह डाला कि महाराष्ट्र सदन का 'घटिया' खाना मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को जबरदस्ती खिलाया जाना चाहिए.


जबरदस्ती करने वालों पर कोई कार्रवाई नहींकैटरिंग स्टाफ से बदसलूकी करने वाले शिवसेना सांसदों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. हालांकि महाराष्ट्र सरकार ने खाने की क्वालिटी की जांच के आदेश जरूर दे दिए हैं. महाराष्ट्र सदन में कैटरिंग का जिम्मा संभालने वाली IRCTC ने भी दो सदस्यों की कमेटी बना ली है. यह कमेटी तीन दिनों के भीतर रेलवे बोर्ड को रिपोर्ट सौंपेगी. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने भी महाराष्ट्र सदन के कमिश्नर से मामले पर रिपोर्ट मांगी है. आयोग का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद आगे के कदम पर फैसला लिया जाएगा. सीएमओ महाराष्ट्र ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी - " CM ordered enquiry about complaints by MP's regarding services provided by Maha Sadan,Delhi. Chief Secy to comply and submit report."शिवसेना हुई डिफेंसिव
शिवसेना ने एक बार फिर अपने मुखपत्र 'सामना' में दोहराया है कि पार्टी सभी धर्मों का सम्मान करती है. सांसदों को कैटरिंग सुपरवाइजर के धर्म की जानकारी नहीं थी. अखबार ने लिखा है, 'महाराष्ट्र सदन का कैंटीन मालिक खराब क्वालिटी का खाना दे रहा था. इसके खिलाफ प्रदर्शन करने में गलत क्या है? हमारे सांसद बस उसे वह खाना खिलाना चाहते थे, जो वह औरों को खिला रहा था. हमें उसकी धर्म और जाति के बारे में कैसे पता चलता? यह किसी के चेहरे पर नहीं लिखा होता.'धर्म एक निजी मुद्दा है: शिवसेनाअखबार में आगे लिखा गया , 'बाद में हमें पता चला कि वह हमारा मुस्लिम भाई था. लोग कहने लगे कि वह मुसलमान था इसलिए शिवसेना ने उसका रोजा तुड़वाया. ये खबरें महाराष्ट्र सदन और मंत्रालय के लोग प्लांट कर रहे हैं. शिवसेना सभी धर्मों का सम्मान करती है. हर किसी को अपने घर और दिलों में अपने धर्म का पालन करना चाहिए. धर्म एक निजी चीज है. लेकिन शिवसेना को निशाने पर लेने के लिए कुछ लोग इसे राजनीतिक मुद्दा बना रहे हैं. हम यह होने नहीं देंगे.'

Posted By: Shweta Mishra