-कैंट बोर्ड ने भारी विरोध के बीच हटाई दुकानें

-34 दुकानों पर चला बुल्डोजर, कार्रवाई का हुआ विरोध

-आत्मदाह का हुआ प्रयास, पुलिस ने भांजी लाठियां

-कैंट बोर्ड 10*10 की सभी दे रहा है दुकानें

-दुकानें हटने के बाद सड़क हो गई 22 से 40 फीट की

-नई सब्जी मंडी की दुकानों की है सड़क है 50 फीट की

Meerut : लालकुर्ती की सब्जी मार्केट को हटाने की मुहिम पूरी हो गई। इसे मिशन को पूरा करने में सरकारी मशीनरी का मौसम ने भी दिया, लेकिन इस कार्रवाई में कैंट बोर्ड कर्मियों के पसीना छूट गए। अगर बात व्यवस्था की जाए तो जिन दुकानों को हटाया गया वो अवैध थीं। जहां बदले में दुकानें दी जा रही हैं वो लीगल होने के अलावा उन दुकानों से अच्छी और बड़ी हैं। फिर भी लोगों का विरोध क्यों? जो आज हुआ उसका हाल बयां करेंगे तो आप भी असमंजस में पड़ जाएंगे। आइए आपको भी बताते हैं

फ्ब् दुकानों पर चला बुल्डोजर

लालकुर्ती से नई सब्जी मंडी में शिफ्ट करने की खातिर कैंट बोर्ड ने अपने पूरे अमले के साथ आकर फ्ब् अवैध दुकानों पर बुल्डोजर चला दिया। इन दुकानों को हटाने के लिए कैंट बोर्ड ने पुलिस और आर्मी के जवानों का सहारा लेना पड़ा। भारी के विरोध के बाद कैंट बोर्ड अधिकारियों ने करीब फ्भ् मिनट की देरी से अपनी कार्रवाई शुरू की। लोगों को बुल्डोजर के सामने से हटाने में भी वक्त लग गया।

डेढ़ घंटे तक चली कार्रवाई

कैंट बोर्ड के कर्मचारियों ने करीब साढ़े नौ बजे अपनी कार्रवाई शुरू कर दी थी। जो क्क् बजे तक चली। बुल्डोजर से दुकानों को हटाने के बाद जो दुकानदार अपनी दुकानों को नाले के ऊपर लेकर आ गए थे उनके पोर्शन को नालों से हटाने की कार्रवाई की गई। भारी फोर्स देखने के बाद दुकानदार विरोध नहीं कर सके। जिसके बाद वहां से सरकारी अमला चला गया।

आत्मदाह के बाद लाठीचार्ज

डिमोलिशन की कार्रवाई से पहले कैंट बोर्ड, पुलिस और आर्मी को भारी विरोध झेलना पड़ा। जब दुकानों की ओर बढ़ा तो दुकानदारों की वाइफ और दुकान पर बैठने वाली महिलाओं ने सरकारी अमले को डराने के लिए अपने ऊपर कैरोसिन डालकर आत्मदाह करने का प्रयास किया। जब स्थिति बेकाबू हो गई तो पुलिस अधिकारियों को लाठी चार्ज के ऑर्डर देने पड़े। लाठी चार्ज शुरू होते ही सैकड़ों लोगों की भीड़ अपने दड़बों में जा घुसी। जिसके बाद किसी की कोई हिम्मत नहीं हुई कि वो बाहर आ सके।

कैंट बोर्ड के जानकारों की मानें तो इन दुकानदारों की जिंदगी बन जाएगी। जो दुकानें कैंट बोर्ड ने इनके लिए बनाई हैं, वो काफी प्रोमिनेंट और इन दुकानों से काफी बड़ी है। ये सभी दुकानें भ्0 फीट चौड़ी सड़क पर हैं। जिससे ट्रैफिक जाम की भी कोई समस्या नहीं होगी। इन दुकानों का साइज क्0*क्0 स्क्वायर फीट की हैं। जिनका किराया डीएम सर्किल रेट के अनुसार फ्000 से भ्000 रुपए है। जबकि कैंट बोर्ड तहबाजारी के तहत ख्ख्भ् रुपए प्रतिमाह लेगा। जिन दुकानों को हटाया गया है वो इनसे आधी दुकानें थी, अवैध थी। जिन्हें कभी न कभी हटना ही था।

बिजली और पानी की होगी व्यवस्था

कैंट बोर्ड अधिकारियों की मानें तो इन दुकानों को काफी सोच समझकर बनाया गया हैं। ये प्रोजेक्ट अगले ख्भ् सालों के लिए तैयार किया गया है। इससे दुकानदारों को फायदा ही होगा। इन दुकानों के बारे में बताते हुए कहते हैं कि जल्द ही इन पर छत डाल दी जाएगी। साथ बिजली और पानी के कनेक्शन भी कर दिए जाएंगे। जिससे दुकानों को कोई असुविधा नहीं होगी। जबकि लालकुर्ती में काफी अव्यवस्था थी।

ये सुविधा तो मेहताब को भी नहीं

कैंट बोर्ड के जानकार लालकुर्ती के लोगों को काफी खुशनसीब मानते हैं। जब मेहताब से इस तरह का एंक्रोचमेंट हटाया गया था तो उन्हें विस्थापित करने के लिए कैंट बोर्ड ने एडवांस में दुकानें बनाकर नहीं दी थी। जबकि लालकुर्ती के दुकानदारों को एडवांस में बनी बनाई दुकानें मिल रही हैं। वहीं मेहताब के लोगों की मानें तो एंक्रोचमेंट हटने से यहां के रहने वाले लोगों और गुजरने वाले लोगों को सहुलियत हो गई हैं। सड़क चौड़ी होने से राहत मिलने लगी है।

सिटी में और भी हैं नासूर

रूद्गद्गह्मह्वह्ल : एंक्रोचमेंट सिर्फ सिटी का ही नहीं बल्कि पूरे शहर के नासूर बन चुका है। ऐसे कई इलाके हैं जहां आधी ज्यादा सड़क नाले समेत घिर चुकी हैं, लेकिन प्रशासन इनके बारे में नहीं सोच रहा है। अगर इन इलाकों से भी एंक्रोचमेंट साफ हो जाए तो प्रशासन की काफी समस्याएं अपने आप सॉल्व हो जाएंगी। आइए आपको भी बताते हैं ऐसी कौन सी जगहें हैं

- कोटला

- घंटाघर

- जली कोठी

- बुढ़ाना गेट

- हापुड़ रोड़

- गढ़ रोड काफी हिस्सा

- सदर बाजार (शिवचौक के सामने)

- नगर निगम ऑफिस के सामने की रोड

हर चोट के साथ एक आंसू

रूद्गद्गह्मह्वह्ल : लालकुर्ती में कार्रवाई को देखने का एक पहलू ये भी है कि जब किसी के रोजी पर चोट पहुंचती को उसके दिल और आंख दोनों रोते हैं। ऐसा ही उन महिलाओं और पुरुषों को देखकर लग रहा था जो पिछले फ्भ् से भ्भ् सालों से यहां दुकान लगाकर बैठे हुए थे।

करीब 8भ् वर्ष की खैरन का घर उसी की दुकान से चलता है। पोते और पोतियों को रात का खाना मिल जाए यही उसका ध्येय है। उसका कहना है कि अब वो कैसे शिफ्ट होगी। मुझे तो यहीं कमा लेने दो। आई नेक्स्ट ने जब दुकानदारों से बात की तो उनके छाले आंखों से फूट निकले

करीब चालिस साल से दुकान चल रही है। अब वहां जाकर दोबारा से काम जमाना पड़ेगा। हमारा सारा काम डूब जाएगा।

- अर्जुन कुमार, व्यापारी

हमारे पास इसके अलावा कोई रोजगार नहीं है। हमारा किसी ने साथ नहीं दिया। सांसद को वोट देते हैं तो वो कुछ नहीं कर सकता। विधायक को जिताते हैं तो कुछ नहीं करता।

- विमला, व्यापारी

हमें हमारा सामान निकालने का मौका तक नहीं दिया। सारा सामान खराब हो गया। हमारे साथ बदतमीजी भी हुई। हम लोगों के साथ न्याय नहीं हुआ।

- परवीन, व्यापारी

हमारा सब कुछ उजाड़ दिया। हमारे साथ न तो कोई नेता है और न कानून। किससे फरियाद करें। कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है।

- रानी, व्यापारी

पिछले भ्भ् सालों से दुकान चला रही हूं। आखिर मैं वहां जाकर क्या करूंगी। मुझे यहीं रहने दो। मैं वहां नहीं जाऊंगी। मैं वहां काम नहीं कर सकती।

- खैरन, व्यापारी

दुकानों को हटाने का निर्णय बोर्ड है। अधिकतर लोग यही चाहते हैं। सिर्फ कुछ लोग ही इसका विरोध कर रहे हैं। नई दुकानों में उनका जाना फायदेमंद हैं। मैंने नाले के पीछे दुकानें हटाने को मना किया था उसे बोर्ड ने मान लिया है।

- राजेंद्र अग्रवाल, सांसद

ये एक ऐतिहासिक कदम हैं। व्यापारियों को इसका लाभ कुछ समय बाद नजर आएगा। उसके बाद उन्हें खुद ही अहसास होगा कि लालकुर्ती से बेकरी लेन में कितना फायदेमंद साबित हुआ।

- डॉ। डीएन यादव, सीईओ, कैंट बोर्ड

मुझसे सीईओ ने वादा किया था कि बेकरी लेन की दुकानों में सभी सुविधाएं दी जाएंगी। अब इन दुकानदारों के लिए तमाम सुविधाओं के लैस होने के बाद ही विस्थापित किया जाएगा। ताकि उनका व्यापार यहां से भी बेहतर हो सके।

- सुनील कुमार वाधवा, पूर्व उपाध्यक्ष, कैंट बोर्ड

कोशिश की जाएगी कि जो दुकानदार विस्थापित होंगे उन्हें कोई दिक्कत और परेशानी न हो। इसके पूरे प्रयास होंगे कि उनके लिए सभी सुविधाएं मौजूद हों। मैं उनके लिए ख्ब् घंटे तैयार हूं।

- बीना वाधवा, वार्ड-फ् मेंबर, कैंट बोर्ड

मैं समझता हूं बेकरी लेन पर व्यापारियों को ज्यादा लाभ होगा। यहां पर जो भी कमियां होंगी उन्हें पूरी की जाएगी। यातायात की पूरी व्यवस्था में सुधार किया होगा।

- अजमल कमाल, वार्ड मेंबर-ख्, कैंट बोर्ड

ये एक बेहतर कदम है। ट्रैफिक व्यवस्था के लिहाज से भी और व्यापारियों के लिहाज से भी। व्यापारियों को बेकरी लेन में काफी फायदा होगा। साथ ही जो लोग इस योजना को सफल नहीं होने देना चाहते राजनीति कर रहे हैं वो गलत है।

- दिनेश गोयल, वार्ड-भ्, कैंट बोर्ड

इस विस्थापित का फायदा व्यापारियों को जरूर मिलेगा। इस कार्रवाई से अभी थोड़ा बहुत तो लोगों को दर्द जरूर हो रहा होगा। बाद में फायदा जरूर होगा।

- ममता गुप्ता, वार्ड-7 मेंबर, कैंट बोर्ड

व्यापारियों के लिए ये एक फायदा सौदा साबित होगा। वहां ट्रैफिक कंजेशन की काफी प्रॉब्लम थी वो भी दूर हो जाएगी। बोर्ड का ये कदम भविष्य में ऐतिहासिक होगा।

- जगमोहन शाकाल, वार्ड-म् मेंबर, कैंट बोर्ड

सांसद का हुआ घेराव

कैंट बोर्ड के अधिकारियों की मानें कार्रवाई इसलिए लेट शुरू हुई कि पूर्व उपाध्यक्ष और पब्लिक की ओर से सांसद के आने तक का समय मांगा था। इसलिए उन्हें आधा घंटा जीओसी के ऑर्डर के बाद ही दिया गया था। लेकिन जब सांसद समय पर नहीं पहुंचे तो कार्रवाई शुरू की। सांसद तब पहुंचे जब कार्रवाई अपने अंतिम पड़ाव पर थी। उनके आते ही लोकल बीजेपी नेताओं और सांसद का घेराव कर दिया। देर से आने के कारण उन्हें लोगों के भारी विरोध का सामना भी करना पड़ा। लोगों से थोड़ी देर बात करने के बाद वहां से निकल गए।

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ख्00 कर्मी लगे कार्रवाई में

इस कार्रवाई के लिए आम लोगों भी उम्मीद नहीं थी कि इतनी भारी भरकम फोर्स आएगी। इस ऑपरेशन में ख्00 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी जुटे हुए थे। जिनमें ब्0 से ज्यादा पुलिस बल, भ्0 से अधिक आर्मी के लोग और करीब क्भ्0 कैंट बोर्ड के फोर्थ क्लास कर्मचारी थे। कैंट बोर्ड से ऑफिशियल के तौर एई पीयूष गौतम और रेवेन्यू डिपार्टमेंट के हेड लीड कर रहे थे। वहीं पुलिस डिपार्टमेंट की ओर से सीओ सिविल लाइन और लालकुर्ती पुलिस के एसओ फ्रंट पर थे। वहीं आर्मी की ओर एडम कमांडेंट कर्नल आरके शर्मा मोर्चा संभाले हुए थे।

ख्ख् से ब्0 फीट की हो गई सड़क

इस कार्रवाई करने के बाद लालकुर्ती की सड़क ख्ख् फीट से ब्0 फीट की हो गई है। इससे पहले यहां पर काफी ट्रैफिक जाम लग जाता था। पैदल और टू व्हीलर्स चलाने वाले लोगों को भी काफी परेशानी होती थी। अब ऐसी दिक्कतें फेस नहीं करनी पड़ेंगी। आसपास के लोगों की मानें तो यहां लोकल रहने वाले लोगों का निकलना मुश्किल हो जाता था। काफी लड़ाई झगड़ा भी शुरू होता था। जो अब नहीं होगा।

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बन जाएगी जिंदगी

Posted By: Inextlive