RANCHI: धोखे से एमएमएस बना कर ब्लैकमेलिंग से आजिज आत्महत्या करने वाली कल्पना को इंसाफ दिलाने के लिए रांची संकल्प ले चुकी है। शनिवार को मेन रोड में प्रदर्शन के दौरान कई महिला संगठनों ने गुनहगार को सजा दिलाने और कल्पना को इंसाफ दिलाने की मांग की।

गुलाबी गैंग अल्बर्ट एक्का चौक पर प्रदर्शन कर रही थी, उसी दौरान वहां से गुजरनेवाले प्रदर्शनकारियों से यह पूछ रहे थे कि आखिर क्या हुआ है, किसके साथ अन्याय हुआ है। जब उन्हें बताया जा रहा था तो वे लोग भी प्रदर्शनकारियों का हौसला बढ़ा रहे थे। कह रहे थे- महिला कोई भी हो, अगर उसने किसी की ब्लैकमेलिंग के कारण आत्मदाह कर ली और आरोपी अब तक नहीं पकड़ा गया, तो इससे शर्मनाक बात यहां के पुलिस प्रशासन के लिए और क्या हो सकती है।

पहले करो आरोपी को गिरफ्तार, फिर करो जांच

प्रदर्शन के दौरान लोगों का कहना था कि पुलिस वैसे केस पर ही फोकस करती है, जिनका उनसे कोई मतलब हो। पुलिस ऐसे केस में थोड़ी दूरी बनाकर ही रहना चाहती है, क्योंकि उन्हें पता है कि इस केस में उन्हें कुछ चढ़ावा नहीं मिलनेवाला और न ही कुछ हासिल होने वाला है।

मरते दम तक बयान नहीं दे पाने का गम

अपने ही पड़ोसी द्वारा अश्लील वीडियो बनाने, रेप करने और ब्लैकमेलिंग से आहत कल्पना ने लास्ट सैटरडे रात डेढ़ बजे के करीब आग लगाकर आत्मदाह कर लिया था। परिजनों ने गंभीरावस्था में कल्पना को रिम्स में भर्ती कराया था, जहां रात से लेकर रविवार सुबह तक वह इस आस में तड़पती रही कि पुलिस आएगी और उसका बयान दर्ज करेगी। पर, पुलिस सात घंटे में सात कदम भी नहीं चल पाई और पीडि़ता मरते दम तक अपना बयान नहीं दे पाई।

आज हो गए सात दिन, कब पकड़ाएगा आरोपी

कल्पना की मौत हुए आज सात दिन हो गए हैं। इसके बावजूद उसका आरोपी अब तक पुलिस गिरफ्त से दूर है। क्या कल्पना के गुनहगार फरार ही रहेगें? यह एक सवाल उठ रहा है। परिजनों ने पुलिस को मुकेश प्रजापति के बारे में जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक, मुकेश प्रजापति लापता हो गया है। उसका कहीं कोई पता नहीं चल पा रहा है।

मां के कातिल को हर हाल में सजा दिलाना चाहता है बेटा

कल्पना का बेटा मुकेश प्रजापति अपनी मां का लाडला है। उसकी मौत का गम सबसे ज्यादा उसी को है। वह अपनी मां के कातिल को सजा दिलाना चाहता है। ऐसे में वह कभी पुलिस के पास तो कभी मुहल्ले के लोगों के पास जाता है। कहता है कि प्लीज आंटी मदद कीजिए। याद कीजिए कभी मम्मी आप लोगों के दुख में कैसे दौड़ पड़ती थी। हम लोगों से ज्यादा आप लोगों की सेवा में जुटी रहती थी।

Posted By: Inextlive