हिन्दुस्तानी एकेडेमी ने पहली बार कुंभ के इतिहास और उसके वैभव पर केन्द्रित निकाला था त्रैमासिक विशेषांक

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PRAYAGRAJ: संगम की रेती पर आयोजित कुंभ मेला का वैभव पूरी दुनिया ने देखा. इस दौरान कुंभ के इतिहास और उसकी भव्यता पर केन्द्रित एक विशेषांक हिन्दुस्तानी एकेडेमी की ओर से निकाला गया था. इसकी डिमांड इतनी हुई कि उसकी सभी प्रतियां हाथों-हाथ बिक गई. एकेडेमी के अध्यक्ष डॉ. उदय प्रताप सिंह के निर्देशन में एकेडेमी प्रशासन की ओर से पहली बार त्रैमासिक विशेषांक कुंभ मेला पर समर्पित किया गया था. विमोचन कुंभ मेला की अवधि में कराया गया था.

महत्वपूर्ण तथ्य

- यूनेस्को से कुंभ मेला को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किए जाने के बाद एकेडेमी प्रशासन ने कुंभ पर त्रैमासिक विशेषांक निकालने का निर्णय लिया था.

- त्रैमासिक विशेषांक में हिन्दी साहित्य जगत के देश में एक दर्जन से अधिक विद्वानों का आलेख प्रकाशित कराया गया है.

- मेला शुरू होने से पहले विशेषांक की पांच सौ प्रतियों का प्रकाशन कराया गया था. लोकार्पण डीआईजी कुंभ मेला केपी सिंह ने मेला की अवधि में किया था.

- कुंभ मेला के इतिहास में पहली बार हिन्दुस्तानी एकेडेमी की प्रदर्शनी लगाई गई थी. वहां मकर संक्रांति से लेकर चार मार्च तक हिन्दी व उर्दू साहित्य के अलावा बुंदेली, ब्रज व अवधी साहित्य की पुस्तकों को रखा गया था.

- प्रदर्शनी के एक स्टॉल पर कुंभ मेला पर केन्द्रित त्रैमासिक विशेषांक की पांच सौ प्रतियां बिक्री के लिए उपलब्ध थीं. मेला की अवधि में सभी प्रतियां समाप्त हो गई.

यूनेस्को से जिस कुंभ मेला को पूरी दुनिया में महत्ता प्रदान करने का कार्य किया था. उसी को ध्यान में रखते हुए विशेषांक प्रकाशित कराने की योजना बनाई गई थी. विशेषांक को इतना पसंद किया गया कि सभी प्रतियां समाप्त हो गई.

डॉ. उदय प्रताप सिंह, अध्यक्ष, हिन्दुस्तानी एकेडेमी

Posted By: Vijay Pandey