RANCHI : ओह मेरे दांतों में तेज दर्द हो रहा है. कुछ खाया नहीं जा रहा. दर्द से सर फटा जा रहा है. सिटी के एक नामी कॉलेज के यूथ मनीष को जब दांत में तेज दर्द हुआ और वह असहाय सा महसूस करने लगा. अंत में वह डॉक्टर के क्लीनिक में पहुंचा. डॉक्टर ने उसका जब चेकअप किया तो पाया कि मनीष के चार दांत सड़ चुके हैं और उनमें कीड़े लगे हुए हैं. लेकिन यह कहानी सिर्फ मनीष की ही नहीं है सिटी के हर घर की फैमिली में एक किरदार ऐसा होता है जिसके दांत अनदेखी की वजह से सडऩे लगने हैं या फिर बदबू देने लगते हैं. फिर दर्द सताने लगती है.

90 परसेंट को है प्रॉब्लम
एसएन गांगुली रोड स्थित डी मॉल डेंटल क्लीनिक के डॉक्टर कुणाल बंका ने बताया कि सिटी के 90 परसेंट लोगों को डेंटल प्रॉब्लम है। लेकिन वे डॉक्टर के पास तभी जाते हैं, जब उनके दांतों में सडऩ से तेज दर्द होने लगता है। ऐसी स्थिति में एक तो ट्रीटमेंट का कॉस्ट बढ़ जाता है, वहीं कई बार दांत निकालने की नौबत आ जाती है। दांतों में सबसे कॉमन बीमारी दांत में कीड़ा लगना और पायरिया है। तंबाकू खानेवालों को ओरल कैंसर और फाइब्रोसिस की प्रॉब्लम है।

75 फीसदी के दांतों में प्रॉब्लम
इंडियन डेंटल एसोसिएशन के रांची चैप्टर के सेक्रेटरी डॉ सुशील कुमार बताते हैं  कि 2008-13 तक कोरल फाउंडेशन की ओर से लगाए गए फ्री डेंटल चेकअप कैंप में म्युनिसिपल एरिया से बाहर के 32,000 बच्चों के दांतों का चेकअप किया गया। इनमें 75 परसेंट में दांतों की कोई न कोई प्रॉब्लम पाई गई। 40-45 परसेंट बच्चों की दांतों में सडऩ है, वहीं 5 परसेंट के दांत टेढ़े-मेढ़े हैं। 20 परसेंट बच्चों में पायरिया की प्रॉब्लम है। बच्चों के दांतों में कीड़ा लगना और दांत टेढ़े-मेढ़े होना बड़ी समस्या है और इसकी वजह बच्चों का स्टीकी और जंक फूड खाना है।

कोई नहीं, जहां प्रॉब्लम नहीं
डॉ सुशील बताते हैं कि सिटी में ऐसी कोई फैमिली नहीं है, जिसके परिवार के किसी मेंबर को डेंटल प्रॉब्लम नहीं है। लेकिन प्राइवेट डेंटल ट्रीटमेंट महंगा होने के कारण लोग डेंटल प्रॉब्लम को इग्नोर करते हैं और जब तक स्थिति बद से बदतर नहीं हो जाती है, वे डेंटिस्ट के पास नहीं जाते हैं। प्राइवेट क्लीनिक में डेंटिस्ट मुंह की सफाई का ही 600-1000 रुपए चार्ज करते हैं, वहीं सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के अभाव के कारण प्राइवेट क्लीनिक में जाना लोगों की मजबूरी होती है।

दूध के दांतों का रखे ध्यान
डेंटिस्ट डॉ सीमा स्वराज बताती हैं कि बच्चों में ढाई साल की उम्र में दूध के दांत पूरे आ जाते हैं, वहीं छह साल की उम्र से परमानेंट दांत आना शुरू होता है । इसलिए जब बच्चों मेंं दूध के दांत आएं, तो उसी समय से दांतों पर ध्यान देना चाहिए।

Posted By: Inextlive