देश के पूर्व नौकरशाहों ने बुलंदशहर हिंसा को लेकर योगी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। वहीं डिप्टी सीएम ने कहा कि पत्र लिखने वाले तमाम पूर्व अफसरों में पिछली भ्रष्ट सरकारों में मलाई खाने वाले भी शामिल है।

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LUCKNOW: देश के 83 पूर्व नौकरशाहों ने बुलंदशहर हिंसा को लेकर योगी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। इन रिटायर्ड अधिकारियों ने खुला पत्र जारी करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट से मामले का स्वत: संज्ञान लेने और अपनी निगरानी में जांच कराने का आग्रह किया है। सरकार पर आरोप लगाया है कि वह हिंसा में शामिल लोगों को न गिरफ्तार कर सिर्फ गोकशी के आरोपितों को पकडऩे में जुटी है। उनका यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल है।
एजेंडे के तहत फैलाई गई हिंसा
पत्र में कहा गया है कि सरकार ने इसे सांप्रदायिक एजेंडे के तहत फैलाई गई हिंसा माना था लेकिन, अब सारा फोकस गोकशी के आरोपितों की तरफ हो गया है। मुख्यमंत्री ने बुलंदशहर हिंसा को गंभीरता से नहीं लिया, इसलिए उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। पूर्व अधिकारियों ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या को इरादतन बताया है। कहा है कि गोकशी के मामले में उन लोगों को जेल भेजा गया है, जिनके खिलाफ कोई सुबूत नहीं है।
ये अफसर हैं शामिल
सेवानिवृत्त अफसरों के इस समूह में कुछ अधिकारी मुख्य सचिव और डीजीपी जैसे प्रमुख पदों पर रहे हैं, जबकि कुछ विदेश मंत्रालय और भारत सरकार में तैनात रह चुके हैं। जिन प्रमुख अधिकारियों के पत्र में नाम हैं, उनमें एसपी एंब्रोस, जेएल बजाज, एन बाला भाष्कर, जेएफ रिबेरो, बृजेश कुमार, हर्ष मंदेर, एनसी सक्सेना, अदिति मेहता, जेपी राय, प्रवेश शर्मा, नरेंद्र सिसोदिया आदि हैं।
टिप्पणी करना भी उचित नहीं
इस मामले में डिप्टी सीएम डॉक्टर दिनेश शर्मा ने कहा कि पत्र लिखने वाले तमाम पूर्व अफसरों में पिछली भ्रष्ट सरकारों में मलाई खाने वाले भी शामिल है। इन्हें बयान देने के लिए उत्पन्न किया गया है। इन पर टिप्पणी करना भी उचित नहीं है।

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Posted By: Shweta Mishra