Candles ने ली मिट्टी के दीयों की जगह
मिट्टी के दीये कहीं अतीत की बात न बन जाएं
दीपावली और पर्व त्योहारों में दिखने वाले मिट्टी के दीये कहीं अतीत की बात न बन जाएं। एक वक्त था जब दीपावली के महीने भर पहले से ही मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगर मिट्टी के दिये की दुकाने लगाकर बैठ जाते थे। पर आज मिट्टी के दियों की जगह कैंडल्स, चाइनीज लाइट और डिजाइनर दीये ने ले ली है। जिस कारण से मिट्टी के दीये का क्रेज धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।
Bengal से मंगाये जा रहे दीये
दिवाली के दौरान मैक्सिमम दीयों को पश्चिम बंगाल के बलरामपुर या दूसरे रूरल एरिया से मंगवाया जा रहा है। दम निचोड़ती महंगाई और कारीगरों की कमी के चलते दियों का रेट भी काफी बढ़ गया है। इन दिनों जहां मिट्टी के साधारण दिये 50-60 रुपए सैकड़ा बिक रहे हैं, वहीं डिजायनर दीयों का रेट 100 रुपए से लेकर 220 रुपए सैकड़ा है।
बढ़ रहा candles का craze
फिलहाल इन दिनों दीयों की जगह हर कोई कैंडल्स लेना ही प्रिफर कर रहा है और हो भी क्यों न आखिर ये कैंडल्स हर लिहाज से दीयों से बेहतर जो हैं। आजकल लोग दीवाली में केवल रिचुअल निभाने के लिए एक या दो दीये ही जलाते हैं। बाकी रौशनी करने के लिए कैंडल्स प्रिफर करते हैं। सिटी में कैंडल्स और दीये का सेलिंग रेसियो 70:30 का है। क्योंकि दीयों के कंपैरिजन में कैंडल्स काफी इकोनॉमिक हैं। इसके अलावा ये इजी टू यूज भी होती हैं। इसके अलावा कैंडल्स में आपको कई अट्रैक्टिव डिजायंस भी अवेलेबल हो जाती हैं। जो काफी डेकोरेटिव दिखाई देती हैं। अब तो इकोनॉमिक रेंज में कई तरह की कैंडल्स जैसे एलईडी कैंडल्स, एरोमा कैंडल्स, परफ्यूम कैंडल्स, फ्लोटिंग कैंडल्स आदि अवेलेबल हैं।
मिïट्टी के बर्तन और खिलौना बनाने वाले राम जनम प्रजापति बताते हैं कि हम लोगों ने तो अपने पुश्तैनी धंधे को अपना लिया है, पर नई जेनरेशन इस प्रोफेशन को अपनाना नहीं चाह रही। वे भी दूसरे बच्चों की तरह इंजीनियर या दूसरे पेशे को अपनाना चाहते है। जिसके चलते दिनों-दिन ये कला खत्म होती जा रही है। इस प्रोफेशन में अब पहले जैसा मुनाफा भी नहीं रहा। मेरे तीन बेटे और एक बेटी है, पर कोई भी मेरे काम को आगे बढ़ाना नहीं चाहता। सब अलग-अलग फील्ड में अपना कैरियर बनाना चाहते है।
अबकी दिवाली रौशन करें कुछ नया सा
Tea candles 300 (per 50 candle’s packet)
Perfume candles
(fragrance+flotting) 65-300 each
Aromatic candles 300-900 each
LED candles 999 each
Flotting LED diyas 150 each
Tea quota diyas stand 300-1000
किशोर वसानी, ओनर, आर्चीज गैलरी, बिष्टुपुर
नई पीढ़ी का इस पेशे में नहीं आने से ये कला धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है। अगर ऐसा ही रहा तो हो सकता है कि आने वाले समय में लोगों को मिट्टी के दीये न देखने को भी न मिले।
दिलीप कुमार
आज कल मिट्टी के बर्तनों की डिमांड उतनी नहीं रह गई। आज मार्केट में रौशनी व सजावट करने के लिए कई ऑप्शंस मौजूद हैं। जिस कारण से दीये की डिमांड कम हो गई है।
राम भजन प्रजापति Report by : jamshedpur@inext.co.in