सीबीआई जांच शुरू होने तक सुबूतों को एकत्र करने की करेगी कवायद। एडीजी क्राइम के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम शुक्रवार को जाएगी देवरिया।

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LUCKNOW : देवरिया कांड की जांच यूपी पुलिस की एसआईटी शुक्रवार से शुरू करेगी। एडीजी क्राइम संजय सिंघल के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच टीम देवरिया जाकर सुबूतों की पड़ताल के साथ गिरफ्तार आरोपितों से गहन पूछताछ भी करेगी। ध्यान रहे कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति के साथ एडीजी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन भी किया था ताकि सुबूतों से छेड़छाड़ न हो। साथ ही एसटीएफ को एसआईटी का सहयोग करने के निर्देश दिए थे। एसआईटी में दो महिला आईपीएस अफसरों को भी शामिल किया गया है।

सीबीआई जांच होना तय

वहीं दूसरी ओर गृह विभाग ने गुरुवार देर शाम देवरिया कांड की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश भेजने की समस्त औपचारिकताएं पूरी कर ली। प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को राज्य सरकार का पत्र देर रात तक भेजने की तैयारी है। उल्लेखनीय है कि गृह विभाग निर्धारित प्रोफार्मा में केस से जुड़ी समस्त जानकारियां, एफआईआर की कॉपी, उच्चस्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट भी मंत्रालय भेज रहा है ताकि सीबीआई इनका अध्ययन करने के बाद यह तय कर सके कि वह इस केस की जांच करेगी कि नहीं। ध्यान रहे कि इसके लिए गृह विभाग के अधिकारी बीते दो दिन से दस्तावेज जुटाने में लगे थे।
एसटीएफ ने जुटाई जानकारी
वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद एसटीएफ की गोरखपुर यूनिट की टीम ने देवरिया जाकर इस मामले से जुड़ी जानकारियों को एकत्र कर आलाधिकारियों को अवगत करा दिया है। फिलहाल एसटीएफ को इस मामले की जांच में सहयोग करने का कोई लिखित आदेश राज्य सरकार की ओर से नहीं दिया गया है। बावजूद इसके, एसटीएफ ने अपना होमवर्क करना शुरू कर दिया है। अब शुक्रवार को एसआईटी के देवरिया जाने के बाद एसटीएफ भी सक्रिय हो सकती है।
डीएम निलंबित नहीं तो चार्जशीट कैसे
वहीं दूसरी ओर विधानसभा में नेता कांग्रेस दल अजय कुमार 'लल्लूÓ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस बाबत पत्र लिखकर कहा कि सरकार देवरिया के डीएम के निलंबन को लेकर जनता को गुमराह कर रही है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री ने अपनी प्रेसवार्ता में कहा कि डीएम को चार्जशीट किया गया है, जबकि किसी भी माध्यम से यह पता नहीं चला कि डीएम को निलंबित किया गया है। ऐसे में दोनों बातें विरोधाभासी है। उन्होंने मुख्यमंत्री से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।
मंत्री ने भी कसे पेंच
महिला एवं बाल कल्याण मंत्री डॉ। रीता बहुगुणा जोशी ने अधिकारियों के पेंच कसते हुए समाज कल्याण विभाग तथा दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा चलाए जा रहे आश्रयगृहों की सूची भी तलब की। उन्होंने कहा इन विभागों द्वारा आश्रयगृहों को प्रदान की जाने वाली व्यवस्थाओं संबंधी नियम भी प्रस्तुत किए जाएं। केवल संस्था का पंजीकरण ही नहीं बल्कि आश्रयगृह में रहने वाले बच्चों की संख्या और उनका विवरण भी ऑनलाइन रखे जाने की व्यवस्था बने। बच्चों और महिलाओं का किसी भी प्रकार का शोषण रोकने के लिए व्यवस्थाओं में पारदर्शिता लाई जाए। इसमें भ्रष्टाचार न पनप सके, इसके लिए निरीक्षणों की संख्या बढ़ाने के सख्त निर्देश दिए।

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Posted By: Mukul Kumar