DEHRADUN : देव भूमि उत्तराखंड में संस्कृत को दूसरी भाषा का दर्जा प्राप्त है. बावजूद इसके देवों की वाणी कहे जाने वाली संस्कृत यहां अपने अस्तित्व से लड़ती नजर आ रही है. पहले एक बड़े फैसले के तहत देशभर के केंद्रीय विद्यालयों में संस्कृत को ऑप्शनल सब्जेक्ट बना दिया गया और उसकी जगह पर जर्मन भाषा को पढ़ाई जाने का फरमान जारी हो गया. तो वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड के स्कूल कॉलेजेज में भी संस्कृत शैय्या पर ही नजर आ रही है. न यहां सुविधाएं है और न टीचर्स जो है वो भी बेहाली में हैं. हालात इतने खराब हो चुके है कि अब संस्कृत टीचर्स ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.


बुरे दौर से गुजर रहे आचार्य केंद्रीय विद्यालयों से संस्कृत को पहले ही लगभग अलविदा कह दिया गया है। अब सरकार की अनदेखी के कारण संस्कृत भाषा और इसका ज्ञान देने वाले आचार्य बुरे दौर से गुजर रहे हैं। पिछले कई दिनों से संस्कृत टीचर्स अपने मांगों को लेकर सरकार से गुहार लगा रहे है। कोई सुनवाई न होने पर थक कर यह टीचर्स उत्तराखंड संस्कृत प्रबंधकीय शिक्षक संघ के बैनर तले संस्कृत निदेशालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए। सरकार की अनदेखी से बने हालात
प्रबंधकीय व्यवस्था के अंतर्गत इन टीचर्स को महज तीन से छह हजार रुपए ही सैलरी के रूप में दिए जाते हैं। टीचर्स का कहना है कि महंगाई के इस दौर में जहां हर चीज की कीमत आसमान छू रही है। ऐसे हालात में परिवार का खर्च कैसे चलेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि केवल सरकार की अनदेखी के चलते संस्कृत भाषा इन हालातों में पहुंची है। सरकार से निश्चित मानदेय की मांगउत्तराखंड संस्कृत विद्यालय प्रबंधकीय शिक्षक संघ के महासचिव विनायक भट्ट ने कहा कि टीचर्स को सरकार द्वारा निश्चित मानदेय के आधार पर वेतन मिलना चाहिए। इसके अलावा संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों में संस्कृत के टीचर्स के पदों का सजृन करना चाहिए ताकि इन हालातों से राहत मिले। बाक्स---


संस्कृत शिक्षा निदेशालय पर दिया धरनाप्रबंधकीय व्यवस्था में मिल रहे कम वेतन के स्थान पर सरकार द्वारा निश्चित मानदेय देने और के सृजन की मांगों को लेकर टीचर्स ने ट्यूजडे को संस्कृत शिक्षा निदेशालय में धरना प्रदर्शन किया। टीचर्स ने अपनी मांगों के पूरा होने तक अनिश्चितकालीन धरने की घोषणा की दी। इस मामले में निदेशक आरके कुंवर ने टीचर्स को दिसंबर फस्र्ट वीक में शासन स्तर पर मांगों पर कार्यवाही करने के लिखित आश्वासन पर धरना खत्म हुआ। इस मौके पर सुरेंद्र सुन्दरीयाल, विकास भट्ट, विपिन बहुगुणा, कमलेश उनियाल, अरुण पोखरियाल, अमित जोशी मौजूद रहे। वर्जन---- स्टेट में संस्कृत को सेकेंड लैंग्वेज का दर्जा प्राप्त है, लेकिन संस्कृत स्कूलों और वहां के टीचर्स के बेहद खराब है। सरकार से लगातार मांग कर रहे है कि हमें सरकार द्वारा निश्चित मानदेय दिया जाए लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक जवाब नही मिल पाया है। अगर यही हालात रहे तो डर है कि यह भाषा लुप्त न हो जाए। -जर्नादन कैरवान, संस्कृत टीचर, श्री मुनीश्वर वेदांग महाविद्यालय

टीचर्स प्राइवेट लेवल पर नियुक्त किए गए हैं। विभाग द्वारा इनकी सूचना कलेक्ट की जा रही है। प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जाएगा। गवर्नमेंट पॉलिसी का मैटर है इसलिए विभाग स्तर पर जो हो पा रहा है वह किया जा रहा है। इसके अलावा एक्ट का ड्राफ्ट तैयार कर शासन में प्रस्तुत कर दिया गया है। प्रक्रिया पूरी होते ही पदों पर नियुक्ति स्टार्ट कर दी जाएगी। - आरके कुंवर, निदेशक, संस्कृत शिक्षा निदेशालय।

Posted By: Inextlive