मेरठ में लंबे समय से रुका है डेवलपमेंट, एयरपोर्ट और मेट्रो का इंतजार कर रही जनता
- चौराहों पर फ्लाईओवर्स के निर्माण की चल रही लंबे समय से मांग
- रैपिड रेल, मेट्रो और एयरपोर्ट की बाट जोह रही मेरठ की जनता MEERUT : एक दर्जन से अधिक विकास योजनाओं की बाट मेरठ जोह रहा है। केंद्र और राज्य सरकार के बीच तालमेल न होने से कई योजनाएं अधर में हैं, वहीं जिम्मेदारों की नजरअंदाजी भी विकास योजनाओं पर भारी पड़ रही है। एयर कनेक्टिविटी की मांग लंबे समय से चली आ रही है तो मेट्रो और रैपिड रेल आम शहरी के जीवन को गतिशील बनाएगा। फिलहाल मेरठ के विकास की महत्वपूर्ण योजनाएं फंड की कमी से डंप पड़ीं हैं तो वहीं फ्लाईओवर्स के निर्माण में शहरवासी ही आड़े आ जाते हैं। रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टमआरआरटीएस (रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) के दिल्ली-मेरठ कॉरीडोर का निर्माण एनसीआरटी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम) कर रहा है। वर्ष 2018 में प्रोजेक्ट के तहत कई महत्वपूर्ण कार्य हुए तो वहीं एमडीए ने अपने हिस्से का 10 करोड़ रुपए भी एनसीआरटीसी को सौंप दिया। साहिबाबाद से दुहाई तक 4 स्टेशन्स और एलीवेटेड ट्रैक के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई। प्रोजेक्ट पर लोक निवेश बोर्ड की मंजूरी मिलने के साथ ही दिल्ली सरकार ने अडंगा हटा लिया है। बजट में भी गत दिनों आरआरटीएस के लिए 1000 करोड़ रुपए का ऐलान किया है।
पहला कॉरीडोर 90 किलोमीटर लंबा दिल्ली से मेरठ तकदूसरा कॉरीडोर 111 किलोमीटर लंबादिल्ली से सोनीपत होते हुए पानीपत तक तीसरा कॉरीडोर 180 किलोमीटर लंबादिल्ली से अलवर तक सभी कॉरीडोर सराय काले खां पर मिलेंगे। फाइलों में सिमटी मेट्रो भारी भरकम लागत और संसाधनों की कमी के चलते मेरठ मेरठ परियोजना फिलहाल फाइलों में दौड़ रही है। डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट, फिर रिवाइज्ड डीपीआर। एमडीए ने अब तक करीब 4 करोड़ रुपए मेरठ मेट्रो योजना पर खर्च कर दिए हैं। वर्ष के आरंभ में सीएम योगी के निर्देश पर एक 4 सदस्यीय कमेटी ने प्रोजेक्ट की लागत पर सर्वे भी किया था। जिसमें प्रोजेक्ट की लागत से सरकार को पसीना आ गया। फिलहाल मेरठ मेट्रो पर सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है। मेट्रो के दो कॉरिडोर हैं इसकी कुल लंबाई 33 किमी होगी और इसमें 29 स्टेशन होंगे। कॉरिडोर-1 को बहरहाल अब रैपिड रेल के साथ मर्ज कर दिया गया है, यानी रैपिड रेल के लिए जो ट्रैक बनाया जाएगा, उसी पर ही इस कॉरिडोर की मेट्रो चलाई जाएगी।इनर रिंग रोड भी अधर में
मेरठ की महत्वपूर्ण इनर रिंग रोड परियोजना को लेकर उहापोह की स्थिति बरकरार है। करीब 10.950 किमी लंबी और 45 चौड़ी सड़क के निर्माण के लिए 415 करोड़ रुपए का संशोधित एस्टीमेट सरकार को भेजा गया है। जबकि हाल ही में एक बार फिर प्रोजेक्ट को पीडब्ल्यूडी से लेकर एनएचएआई को सौंपने को लेकर विचार चल रहा है। 10.950 किमी-इनर रिंग रोड की कुल लंबाई5.450 किमी-निर्माण के लिए सड़क की लंबाई5.550 किमी-पूर्व में निर्मित सड़कए जिसकी सुदृढीकरण करना है45 मीटर-सड़क की चौड़ाई4-लेन एयर कनेक्टिविटी पर इंतजारपश्चिमी उप्र का प्रमुख शहर होने के बावजूद मेरठ में उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) योजना के तीसरे चरण में भी शामिल नहीं हो सका। मेरठ के लोग इस बात से और भी ठगा महसूस कर रहे हैं कि सहारनपुर, फैजाबाद, कुशीनगर और गाजीपुर जैसे शहरों से उड़ान मिलेगी, लेकिन मेरठ के लोगों को हवाई सेवाओं के लिए हिंडन या दिल्ली का ही रुख करना पड़ेगा। गत दिनों घोषित तीसरी सूची में मेरठ के पास हिंडन से चार और आगरा से आठ रूटों पर उड़ान की मंजूरी मिली है। मेरठ का कहीं कोई जिक्र नहीं है। हालांकि इस सूची के जारी होने के बाद भी मेरठ के जनप्रतिनिधियों का दावा है कि चुनाव से पहले मेरठ से उड़ान शुरू होगी। इसे लेकर उनके अपने-अपने तर्क हैं।
नहीं बन सके फ्लाईओवर शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए बेगमपुल के साथ-साथ हापुड़ अड्डा चौराहे पर फ्लाईओवर प्रस्तावित है। सेतु निगम ने दोनों फ्लाईओवर को लेकर डिटेल्ड ड्राइंग बना ली किंतु तत्कालीन कमिश्नर डॉ। प्रभात कुमार के ट्रांसफर के बाद योजना अधर में है। वहीं तेजगढ़ी चौराहे पर फ्लाईओवर का निर्माण भी राइट्स (मेरठ मेट्रो की कार्यदायी संस्था) की एनओसी न मिलने से ठप पड़ा है। फ्लाईओवर के निर्माण न हो पाने से सड़कों पर दिनभर जाम की स्थिति बनी हुई है।