अपनी डेब्यू फिल्म कर्मा 1933 में चार मिनट लम्बा किस सीन देने वाली देविका रानी ने इस फिल्म के साथ ही धमाका कर दिया.

उन दिनों हॉलीवुड के लिहाज से भी ये काफी लम्बा किस सीन था. ऑर्थोडॉक्स सोसाइटी में इस सीन की वजह से काफी कांट्रोवर्सी भी हुई. फिल्म में उनके अपोजिट थे उनके हसबैंड हिमांशु राय. बॉम्बे टाकीज के बैनर तले बनी ये फिल्म टिकट खिड़ी पर सिर्फ चली नहीं, खूब दौड़ी और देविका की जानदार परफॉर्मेंस ने उन्हें शानदार रिव्यू दिलाए.

ये वो वक्त था जब बोलती फिल्मों की एंट्री ने साइलेंट फिल्मों का जाना तय कर दिया था. एक झटका लगा साइलेंट फिल्मों के एक्टर-एक्ट्रेसेस को. इतना साफ था कि बोलती फिल्मों में काम करने के लिए सिर्फ सूरत और हाव-भाव काफी नहीं. आवाज के साथ ही अदा भी बदलने लगी. ट्रांसफॉर्मेशन के इस दौर में कुछ और गिने-चुने नामों के बीच एक कम्प्लीट पैकेज साबित हुईं देविका. वह खूबसूरत थीं और उनकी ऑनस्क्रीन प्रीजेंस बेहद सराही जाती थी.

पढ़ाई के रास्ते फिल्मों का सफर:  रबींद्रनाथ टैगोर की ग्रांडनीस, देविका रानी लंदन में पढ़ाई कर रही थीं जब उनकी मुलाकात बॉम्बे टाकीज के ओनर हिमांशु राय से हुई. असल में हिमांशु ने उन्हें फिल्म लाइट्स ऑफ एशिया के लिए सेट डिजाइन करने का काम सौंपा था.  दोनों में रोमांस हुआ फिर शादी. इसके बाद देविका बॉम्बे टाकीज से जुड़ गईं.

देविका और अशोक कुमार: फेवरिट कपल्स सिर्फ आज नहीं होते. देविका रानी और अशोक कुमार, जीवन नैया, अछूत कन्या, इज्जत, अनजान, सावित्री जैसी हिट फिल्में धड़ाधड़ देकर उस दौर के सबसे पॉपुलर ऑनस्क्रीन पेयर बन गए.

इंटरनेशनल फेम: देविका रानी उस दौर में ही इंटरनेशनल फेम पा चुकी थीं. यूएफओ के लिए किए गए एक प्ले ने उन्हें इंटरनेशनली काफी पहचान दिलाई और अपने हसबैंड हिमांशु राय समेत, वह कई देशों में गईं.

बॉम्बे टाकीज उस दौर में टेक्निकली सबसे एडवांस्ड फिल्म स्टूडियो माना जाता था. 1940 में हिमांशु राय की मौत के बाद देविका बॉम्बे टाकीज के मैनेजमेंट का काम देखने लगीं. इंडियन सिनेमा को उनका कांट्रिब्यूशन सिर्फ एक्टिंग ही नहीं, कुछ बेहतरीन एक्टर्स की खोज और कुछ बेजोड़ फिल्मों के रूप में भी है.
Trivia
- सुपरस्टार दिलीप कुमार असल में देविका रानी की खोज हैं.
- देविका रानी को बीबीसी लंदन की ओर से वहां के पहले नेशनवाइड ब्रॉडकास्ट में एक्ट करने का ऑफर भी मिला था.

Posted By: Garima Shukla