ऊंची-नीची है पुण्य की डगरिया
- पूरा नहीं हो सका है घाटों का निर्माण, संगम नोज पर नहीं लगी लाइटें
- सुविधा पर्ची के लिए मची मारामारी, शिविरों में पसरा है अंधेरा ALLAHABAD: मेले की डगर आसान नहीं है। गुरुवार को माघ मेले में मकर संक्रांति का पहला स्नान पर्व है, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। बावजूद इसके मेले की तैयारियां पूरी नहीं हो सकी हैं। चकर्ड प्लेटें अभी बिछ रही हैं और संगम नोज पर प्रॉपर लाइटिंग नहीं की गई। घाटों का निर्माण भी अधूरा है। श्रद्धालुओं को आधी-अधूरी तैयारियों के बीच ही पहला स्नान करना पड़ सकता है। तो क्या अंधेरे में होगा स्नानमेले में श्रद्धालुओं के लिए कुल 14 घाट बनने हैं। कई जगह पर काम चल रहा है। संगम नोज पर कुछ दूरी तक ही घाट बनाए जा सके हैं। पर्याप्त मात्रा में पुवाल भी नहीं बिछाया गया है। इस बार मकर संक्रांति का स्नान 14 और 15 जनवरी को होना है। स्नानार्थी गुरुवार की भोर में ही स्नान की शुरुआत कर देंगे। बुधवार को यहां सभी खंभों पर लाइट नहीं लगाई जा सकी थी।
कटान से बह न जाएं घाटघाटों पर गंगा का जलस्तर बढ़ने से कटान का खतरा बढ़ रहा है। अगर ऐसा हुआ तो घाट गंगा की धारा में बह सकते हैं। उदाहरण के तौर पर त्रिवेणी पीपा पुल के दाहिनी ओर बनाए गए घाट पर कटान इतनी तेज है कि यहां श्रद्धालुओं का डुबकी लगाना आसान नहीं होगा।
श्रद्धालुओं के आने का क्रम जारी वैसे तो मेले में मुख्य रूप से कल्पवासी 20 से 22 जनवरी के बीच पहुंचेंगे, लेकिन श्रद्धालुओं के आने का क्रम मंगलवार से शुरू हो गया था। उनकी संख्या बढ़ने से मेले में रौनक बढ़ने लगी है। बॉक्स लकड़ी जलाकर कर रहे है उजाला उदाहरण के तौर पर तुलसी मार्ग पर पं। कमलापति त्रिपाठी स्मारक समिति के शिविर में पानी और बिजली की व्यवस्था नहीं हो सकी है। समिति के महासचिव ओम प्रकाश बताते हैं कि रात में लकड़ी जलाकर उजाला कर रहे हैं। श्रद्धालुओं को लाइट न होने की वजह से तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।