Jamshedpur: गजल सम्राट पंकज उधास ने साकची स्थित टैगोर भवन में अपनी गजलों से श्रोताओं को सराबोर कर दिया. उन्होंने ‘आप जिनके करीब होते है वे बड़े खुशनसीब होते है’ के साथ प्रोग्राम की शुरुआत की.

लोगों को जब गुस्सा आता है, तो उन्हें अपना गुस्सा उतारने के लिए एक पंचिंग बैग चाहिए। घर में बीवी पंचिंग बैग होती है। शादी शुदा लोग अपना गुस्सा बीवी पर ही उतार देते है। इसके बाद जब वह नाराज हो जाती है, तो मुश्किल हो जाती है। अगर यह नौबत आए, तो इस नज्म (चांदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल, एक तू ही धनवान है गोरी, बाकि सब कंगाल) की चार पंक्तियां उसके सामने गा दें, तो कम से कम एक सप्ताह के लिए तो उसका मूड चेंज हो ही जाएगा। कुछ इसी तरह के चुटकले के अंदाज में गजल सम्राट पंकज उधास ने साकची स्थित टैगोर भवन में अपनी गजलों से श्रोताओं को सराबोर कर दिया।
‘आज उतनी मयस्सर नहीं पैमाने में, जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में’
पंकज उधास ने ‘आप जिनके करीब होते हैैं, वे बड़े खुशनसीब होते है’ के साथ प्रोग्र्राम की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने ‘सबको मालूम है मै शराबी नहीं, फिर भी कोई पिलाए तो मैैं क्या करूं’ की प्रस्तुति की। इस गजल पर तो तालियों की बौछार हो गई। लोग झूम रहे थे। इस गजल से पहले उनकी इस शायरी ‘आज उतनी मयस्सर नहीं पैमाने में, जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में’ पर श्रोताओं के तालियों की गडग़ड़ाहट से हॉल गूंज उठा।

और आहिस्ता कीजिए बातें
इसके बाद पंकज उधास ने जफर गोरखपुरी की नज्म ‘और आहिस्ता कीजिए बातें, धडक़नें कोई सुन रहा होगा’ के बाद ‘जीएं तो जीएं कैसे, बिन आपके’ की प्रस्तुति की। उनकी इस प्रस्तुति को भी लोगों की तालियों की वाहवाही मिली।
नए अलबम की गजल ने भी झुमाया
इस दौरान उन्होंने एक खास गजल भी प्रस्तुत की। यह गजल पंकज उधास के नए अलबम ‘मोमेंट विद पंकज उधास- लाइव फ्रॉम गेटवे ऑफ इंडिया’ से ली गई है। यह अलबम इसी मंथ रिलीज होनी है। इस दौरान उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए इस गजल ‘दुख-सुख तो एक सबका, अपना हो या बेगाना, एक वो भी था जमाना, एक ये भी है जमाना’ के जरिए उन्होंने पुराने समय से लेकर आने वाली पीढ़ी तक को नसीहत दे डाली। इसके जरिए उन्होंने यह बताने का प्रयास किया कि पहले लोग सीधे-सादे होते थे और अब उनके पास अपनों के लिए भी समय नहीं है।

‘दिल देता है रो-रो दुहाई किसी से कोई प्यार न करे’
इसके बाद उन्होंने फिल्म नाम का पॉपुलर गीत ‘चिट्ठी आयी है, आयी है चिट्ठी आयी है’ की प्रस्तुति की। इसपर भी लोगों ने जोरदार तालियों से उनकी हौसला आफजायी किया। इसके बाद तो जैसे उन्होंने लोगों को झुमाने की ठान ली थी। ‘दिल देता है रो-रो दुहाई किसी से कोई प्यार न करे’,  ‘निकलो न बेनकाब, जमाना खराब है’ के बाद फिल्म मोहरा का गाना ‘ना कजरे की धार, ना मोतियों की हार, ना कोई किया श्रृंगार, फिर भी कितनी सुंदर हो’ के जरिए इस बात का वर्णन किया कि जो सुंदरता सादगी में है वह सजने संवरने में नहीं। ‘ऐ हमें जिंदगी कुछ तो दे मशवरा, एक तरफ उनका घर एक तरफ मैकदा’ पंकज उधास की इस गजल से पहले प्रस्तुत की गई शायरी ‘वो और होंगे, जिन्हें मौत आयी होगी, हमने जिंदगी देखी है, निगाहें यार में’ ने लोगों का दिल जीत लिया।

Posted By: Inextlive