- 2022 तक सेना को सौंपी जाएंगी 114 तोपें

-धनुष तोप की तकनीक बोफोर्स टेक्नोलॉजी पर आधारित

देहरादून, आने वाले दिनों में आयुध निर्माणी में बनी धनुष तोप बार्डर एरिया में दुश्मनों का खात्मा करेगी. ट्यूजडे को आयुध निर्माणी बोर्ड की जबलपुर स्थित गन फैक्ट्री ने 6 धनुष तोप सेना को सौंप दी हैं. यह जानकारी ट्यूजडे को देहरादून स्थित आयुध निर्माणी की प्लेटिनम जुबली समारोह में भाग लेने आए बोर्ड के सदस्य सीएस विश्वकर्मा ने दी.

रात में सटीक मार करने वाली तोप

आयुध निर्माणी बोर्ड के मेंबर सीएस विश्वकर्मा ने कहा कि भारतीय सेना के लिए यह गन फैक्ट्री कुल 114 धनुष तोप बनाएगी. अभी 6 धनुष के बाद दिसंबर तक करीब 18 और तोप सेना को मिलने की उम्मीद है. कहा, 2022 तक सभी 114 तोपें तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है. 45 कैलिबर की 155 मिलीमीटर और ऑटोमेटिक धनुष तोप की तकनीक बोफोर्स की तकनीक पर ही आधारित है. धनुष तोप दूर तक मार कर सकती है और मुश्किल से मुश्किल रास्तों पर भी आसानी से चल सकती है. यह दिन में ही नहीं बल्कि रात में भी सटीक निशाना लगा सकती है.

हर हालात में टेस्ट किया पास

धनुष को बॉर्डर एरिया में अलग-अलग हालात और मौसम में फायरिंग कर टेस्ट किया गया है. जिसमें धनुष पास रही है. सियाचीन के ठंडे इलाकों से लेकर राजस्थान के गर्म इलाके में इसका परीक्षण सफल रहा. धनुष का वजन 13 टन है और एक तोप की कीमत करीब 13 करोड़ रुपये है. धनुष तोप को देसी बोफोर्स भी कहा जाता है. हालांकि धनुष तोप मारक क्षमता सहित कई मामलों में बोफोर्स तोप से बेहतर है. जहां बोफोर्स की मारक रेंज 29 किलोमीटर है वहीं धनुष की रेंज 38 किलोमीटर है.

मुख्य बातें

-बोफोर्स में ऑपरेशन ऑटोमेटिक नहीं हैं जबकि धनुष तोप कंप्यूटराइज्ड व ऑटोमेटिक है.

-यह ऑटोमेटिक सिस्टम से खुद ही गोला लोड कर उसे दाग सकता है.

- लगातार कई घंटों तक फायरिंग के बाद भी धनुष का बैरल नहीं होता गरम.

- बोफोर्स को इंपोर्टेड टेक्नॉलजी से बनाया गया था, जबकि धनुष स्वदेशी है.

-धनुष के 80 परसेंट कलपुर्जे भारत में ही डिजाइन किए गए हैं.

Posted By: Ravi Pal