- मरीजों को पीजीआई और अन्य अस्पतालों में किया जाता है रेफर

- यूनिट में चार बजे ताला लगाकर चले जाते हैं कर्मचारी

- इमरजेंसी के समय भी डायलिसिस की सुविधा नहीं दी जाती

LUCKNOW: रायबरेली निवासी रवि प्रताव (बदला हुआ नाम) की किडनी फेल हो गई। इस शिकायत के बाद उन्हें केजीएमयू के गांधी वार्ड में भर्ती कराया गया। डॉक्टर्स ने कहा कि उनकी डायलिसिस करनी पड़ेगी। मगर दोपहर में उनका नम्बर आने से पहले ही यूनिट बंद हो गई। वे अपने वार्ड में लौट आए। मगर रात होते ही उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। इमरजेंसी में रवि को पीजीआई भेजा गया। कहा गया, 'केजीएमयू में रात में डायलिसिस नहीं हो सकता.' अब सवाल यह उठता है कि जब केजीएमयू में ही डायलिसिस की सुविधा मौजूद है तो उसे इमरजेंसी के समय यूज क्यों नहीं किया गया।

क्यों भेजा पीजीआई?

केजीएमयू में डायलिसिस के लिए आने वाले ज्यादातर मरीजों को सुविधा नहीं मिल पाती। उन्हें पीजीआई या अन्य प्राइवेट अस्पतालों में रिफर कर दिया जाता है। जब आई नेक्स्ट ने इसकी पड़ताल के लिए केजीएमयू के सूत्रों से जानकारी ली तो पता चला कि मेडिसिन विभाग में डायलिसिस यूनिट चलती है, जिसे केवल एक ही शिफ्ट में चलाया जाता है। उसके बाद डॉक्टर चाहे तो भी नहीं डायलिसिस हो सकती है क्योंकि कर्मचारी ही नहीं रहते। कर्मचारी ब् बजे ताला लगातार चले जाते हैं। डायलिसिस के लिए सुबह क्0 से दोपहर तीन बजे तक का ही समय निर्धारित है।

खराब हैं दो मशीनें

केजीएमयू की डायलिसिस यूनिट में पांच मशीनें हैं, लेकिन काम सिर्फ तीन ही करती हैं। एक मशीन ख्009 में खराब हुई तो दोबारा बन नहीं सकी और दूसरी मशीन ख्0क्ख् से खराब पड़ी है। इस कारण तीन मशीनों में ही डायलिसिस होती है। उसमें भी तीनों मशीनों पर एक साथ डायलिसिस हो जाए ऐसा जरूरी नहीं कोई न कोई दिक्कत लगी ही रहती है। मरीजों को समस्या होने के बावजूद केजीएमयू प्रशासन आज तक इनमें से किसी मशीन को बनवा नहीं पाया है। सूत्रों की मानें तो अब चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन यूनिट में नई मशीनें लगाने पर विचार कर रहा है। मगर पुरानी मशीनों को ठीक नहीं कराया जाएगा क्योंकि उनका मेंटीनेंस खर्च बहुत अधिक है।

डायलिसिस यूनिट में मैनपावर और मशीनों, दोनों की ही कमी है। ऐसे में एक ही शिफ्ट चल पाती है। उसके बाद मरीजों का डायलिसिस कर पाना सम्भव नहीं है। यूनिट में कम से कम ख्0 मशीनें होनी चहिए। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही यूनिट में नई मशीनें लगेंगी और मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी।

- डॉ। एसएन शंखवार,

प्रवक्ता, केजीएमयू।

Posted By: Inextlive