कंट्रोवर्सियल बांग्‍लादेशी तसलीमा नसरीन ने कहा है कि उनकी किताब लज्‍जा में इस्‍लाम की बुराई नही की गई है. इसके साथ ही उनके खिलाफ फतवा इस वजह से जारी नही किया गया है.


तस्लीमा नसरीन को याद आई लज्जातसलीमा नसरीन ने अपनी किताब के बारे में बात करते हुए बताया कि उनके ऊपर बांग्लादेशी मुस्लिम संगठनों ने इस्लाम की बुराई करने की वजह से आरोप नही लगाया है. उन्होनें कहा कि उनकी किताब में ऐसा कुछ नही लिखा है जिससे इस्लाम की आलोचना होती हो.अन्य किताबों में की इस्लाम की आलोचना


तस्लीमा नसरीन ने कहा कि यह सही है कि उनकी किताब लज्जा में इस्लाम की आलोचना नही की गई है. लेकिन ऐसा नही है कि उन्होंने इस्लाम की आलोचना नही की है. तसलीमा ने कहा कि उन्होंने अपनी अन्य किताबों में इस्लाम के कई पहलुओं के बारे में खुलकर आलोचना की है. गौरतलब है कि तसलीमा ने अपनी किताब लज्जा के अंग्रेजी संस्करण में प्रस्तावना लिखी है. इस प्रस्तावना में लेखिका ने कहा है उनकी किताब को विरोध के रूप में देखा जा सकता है. इस किताब को धर्म के नाम पर दुनियाभर में हो रही हिंसा के खिलाफ विरोध का प्रदर्शन कहा जा सकता है. इस किताब का ट्रांसलेशन फेमस सोशलिस्ट और राइटर अंचिता घटक ने किया है. बढ़ सकती है किताब की बिक्री

इंडस्ट्री पंडितों की मानें तो तसलीमा नसरीन की इस प्रस्तावना और उनके ऊपर लगाए गए फतवे की बात से 20 साल पुरानी किताब की बिक्री बढ़ सकती है. गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों से लेखकों की किताबों के लांच होने और विवाद खड़े होने का सिलसिला चल निकला है.

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Posted By: Prabha Punj Mishra