-चंदन का पचास साल से भी ज्यादा पुराना पेड़ बढ़ा रहा है शोभा

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PRAYAGRAJ: कटरा से लेकर बैंक रोड तक की आबादी को स्वच्छ हवा में सांस लेने का मौका इलाहाबाद यूनिवर्सिटी देती है. ऐसा संभव हो पाता है इविवि के चारों कैम्पस और हॉस्टल में पेड़ों की अनगिनत संख्या के चलते. यूं तो इविवि में एक से बढ़कर एक पेड़ हैं. लेकिन यहां साइंस फैकल्टी के बॉटनी डिपार्टमेंट में स्थापित बगीचे की शान ही कुछ अलग है. इसमें लगे कुछ चर्चित पेड़ भी छात्र-छात्राओं को खूब लुभाते हैं.

कई महत्वपूर्ण पौध

विवि के साइंस फैकल्टी में स्थापित बॉटनी डिपार्टमेंट के पास से गुजरने वालों की निगाहें बरबस ही यहां की हरियाली पर टिक जाती हैं. यहां चंदन का कीमती पेड़ पचास साल से भी ज्यादा पुराना है जो इसकी शोभा में चार चांद लगाता है. यहां के वानस्पतिक उद्यान में कई दुर्लभ पौधे हैं. इसमें मौसमी, बहुवर्षीय और वानस्पतिक महत्व के पौधे शामिल हैं. डिपार्टमेंट के प्रोफेसर नरसिंह बहादुर सिंह बताते हैं कि गार्डन में गिंगो बाइलोबा, टैक्सोडियम, जूनिपेरस, साइकस की कई प्रजाति, जेमिया, इनसिफेलस्टस, इफिड्रा आदि के पेड़ पौधे लगाए गए हैं.

हरियाली से खासा लगाव

हेड ऑफ डिपार्टमेंट प्रो. डीके चौहान कहते हैं कि उनका विभाग जितना शैक्षणिक गतिविधियों को लेकर पहचाना जाता है, उतना ही अपनी शोभा से भी सभी को अट्रैक्ट करता है. प्रो. चौहान बताते हैं कि 1965 में प्रोफेसर डीडी पंत के समय गार्डन में पौधों के संरक्षण और सुरक्षा को लेकर सबसे ज्यादा काम हुआ. उन्हें हरियाली से खासा लगाव था. बाद में गार्डन के ही बीचों-बीच उनके ही नाम पर डीडी पंत ऑडिोरियम की स्थापना भी की गई. उनसे पहले प्रोफेसर जीडी श्रीवास्तव ने भी पूरे विवि में दुर्लभ पौधों को लगाने और उन्हें संवारने का काम बेहतर ढंग से किया.

वर्जन

हमारे डिपार्टमेंट में एक से बढ़कर एक पौधे हैं. काफी अरसे से इस पर काम हो रहा है और इसकी देखरेख भी की जा रही है.

प्रो. डीके चौहान

हेड ऑफ डिपार्टमेंट, बॉटनी

Posted By: Vijay Pandey