PATNA: किस तरह पब्लिक का पैसा कबाड़ होता है, अगर आप यह देखना चाहते हैं तो एक बार बिजली ऑफिस घूम आइए। आपसे हर महीने किराया लेकर जिन मीटरों को एक साल पहले लगाया गया था आज वे कबाड़ होने के लिए यूं ही फेंक दिए गए हैं। यह डिजिटल मीटर अभी चालू स्थिति में है और कहीं भी यूज किए जा सकते हैं। बारिश के बाद यह मीटर किसी काम के नहीं रह जाएंगे।

पानी में गए 2 करोड़ रुपए

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब डिजिटल मीटर के बारे में पड़ताल की तो चौंकाने वाला सच सामने आया। पटना में एक साल पहले ही 18 लाख डिजिटल मीटर लगाए गए थे। जिनकी कीमत लगभग 2 करोड़ रुपए है। अब सरकार प्रीपेड मीटर की नई योजना लेकर आई है। जिसके तहत शहर के सभी डिजिटल मीटर को चेंज किया जा रहा है। ये सारे मीटर चालू स्थिति में उतारकर कबाड़ की तरह बिजली ऑफिस में फेंक दिए जा रहे हैं। बारिश में अगर यह मीटर भींगे तो इनमें जंग लग जाएगा और 90 प्रतिशत मीटर खराब हो जाएंगे।

2020 तक लग जाएंगे मीटर

सरकार की योजना है कि सितंबर 2018 से पटना सहित आसपास के जिलों में डिजिटल मीटर को निकालकर प्रीपेड लगाने का काम शुरू किया जाए और 2020 के अंत तक इसे पूरे प्रदेश में पूरा करने का लक्ष्य है।

अब आपका पैसा हो जाएगा कबाड़

डिजिटल मीटर के लिए सभी कंज्यूमर से हर महीने किराया लिया जाता था। इसी किराए से मीटर के खरीद की भरपाई हुई। आज जब ये कबाड़ हो जाएंगे तो प्रीपेड मीटर का शुल्क वसूला जाना शुरू हो जाएगा। ऐसे देखा जाए तो आपके पैसे से ही खरीदे गए मीटर आज लापरवाही से कबाड़ हो जाएंगे।

-जेब ढीली कराएगी सरकार

पेसू के अधिकारियों के मुताबिक प्रीपेड मीटर की खरीद साउथ बिहार विद्युत वितरण कंपनी के जिम्मे होगा। मीटर खरीदने और लगाने के साथ बिजली की व्यवस्था करना कंपनी के जिम्मे है। बिजली के मीटर को लेकर भी जब पेसू के जीएम दिलीप कुमार से बात की गई तो उन्हें भी अटपटा लगा। सरकार डिजिटल मीटर को बदलकर प्रीपेड मीटर लगाने के प्लान को पायलट प्रोजेक्ट बनाकर चल रही है। लेकिन पेसू के जीएम को यह भी पता नहीं कि मीटर बदला जाएगा या नहीं। वह हर सवाल पर जवाब देने में कतराते रहे और कहा, मीटर का जवाब तो कंपनी देगी कि क्या करना है और क्या नहीं करना है। हर वाजिब सवाल का उनका एक जवाब था कि कंपनी ही सब कुछ करती है।

Posted By: Inextlive