- गांधी संग्रहालय में रेनबो होम्स ने प्रेस कांफ्रेंस कर फ्रेजर रोड स्थित सेंटर में इंफ्रास्ट्रक्चर व व्यवस्था की कमी की बात स्वीकारी

PATNA(1Aug): आई नेक्स्ट ने अनाथ बच्चियों के लिए रेनबो होम में उनके लिए प्रोवाइड करायी जाने वाली व्यवस्था पर सवाल उठाया था। इसका इम्पैक्ट दिखायी दे रहा है। शुक्रवार को गांधी संग्रहालय में हैदराबाद से आयी रेनबो होम की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के। अनुराधा और टीम ने प्रेस कांफ्रेंस कर अपना पक्ष रखा। इसमें उन्होंने माना कि यह होम इंडिया के सात स्टेट में चल रही है, लेकिन बिहार में इसकी स्थिति सबसे खराब है। यहां इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है, तो दूसरी ओर फंड भी पूरा नहीं मिलता है। पटना में ग‌र्ल्स के लिए चार रेनबो होम चल रहा है और प्रत्येक सेंटर की स्ट्रेंथ म्0 बच्चियों को रखने की है। उन्होंने बताया कि हमलोग पलंग नहीं देते हैं, लेकिन बिस्तर, खाने और पढ़ाई की अच्छी व्यवस्था होती है।

आई नेक्स्ट ने बढि़या काम किया

रेनबो होम्स की एग्जीक्यूटीव डायरेक्टर के अनुराधा और डायरेक्टर वीएचएस बहादुर ने आई नेक्स्ट को न्यूज पब्लिश करने के लिए धन्यवाद दिया। के अनुराधा ने आई नेक्स्ट को थैंक्स करते हुए कहा कि आपकी न्यूज की वजह से हमलोगों को पटना आना पड़ा। हालांकि टीम की ओर से ग्राउंड ऑडिट रेगुलर होता है। उन्होंने बताया कि पटना में ही रेनबो होम्स के अन्य तीन सेंटर बहुत अच्छे ढ़ंग से चल रहे हैं। उन्होंने माना कि महिला जागरण केंद्र की ओर से चल रहे सेंटर में कुछ समस्याएं हैं, जिन्हें दूर कर लिया जाएगा। हमलोग आपकी खबर के बाद सभी बच्चियों और स्थानीय संचालक से बात कर जांच रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। एमजेके के फ्रेजर रोड स्थित सेंटर को बांकीपुर ग‌र्ल्स स्कूल में शिफ्ट किया जा रहा है। यहां ग‌र्ल्स को आत्मनिर्भर बनने के लिए हेल्दी इंवायरमेंट मिलेगा। होम्स के बहादुर ने बताया कि एमजेके सहित सभी संस्था मानक को फॉलो करे और इसमें स्टेट गवर्नमेंट की मदद भी मिलनी चाहिए। हमलोगों को पूरा जोर ट्रांसपेरेंसी पर होता है।

दो साल से कोई फंड नहीं मिला

के। अनुराधा ने बताया कि गवर्नमेंट से सिर्फ जमीन मिली है, लेकिन पिछले दो साल से कोई फंड नहीं मिला है। लोकल एनजीओ की हेल्प से इसे रन किया जा रहा है, जबकि तमिलनाडु, दिल्ली सहित अन्य स्टेट में इसे स्टेट गवर्नमेंट से पूरा सपोर्ट मिल रहा है। न केवल जगह बल्कि फंड भी दी जा रही है। पटना में चार सेंटर्स हैं-मीरदाहा टोली, गायघाट, मध्य विद्यालय, राजवंशी नगर, बांकीपुर मध्य विद्यालय और श्रीचन्द्र मध्य विद्यालय, कुर्जी बालूपथ। इन सभी का संचालन लोकल एनजीओ की हेल्प से किया जा रहा है। इसके अलावा लड़कों के लिए दो होम भी चलाया जा रहा है, जिसे स्नेह होम कहा जाता है।

आई नेक्स्ट की खबर का असर

आई नेक्स्ट की खबर का असर दिखायी दे रहा है। के। अनुराधा ने पटना के अन्य रेनबो होम सेंटर्स पर आकर उनकी स्थिति का जायजा लेने की अपील की। उन्होंने विश्वास दिलाया कि यहां बच्चों को समुचित सुविधा दी जा रही है। बस सिविल सोसायटी भी इसमें हेल्प करे। प्रेस कांफ्रेंस में मीरदाहा टोली, गायघाट की प्रोजेक्ट को-आर्डिनेटर महजबीन शरवर, रेनबो के प्रोग्राम डायरेक्टर वी। बहादुर, भारत ज्ञान विज्ञान समिति के जेनरल सेक्रेटरी विद्यानंद उपस्थित थे।

नहीं पता कितने बच्चे हैं होमलेस

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान यह बातें सामने उभर कर आयी कि बिहार में होमलेस बच्चे कितने हैं, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। यह बातें रेनबो होम की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के अनुराधा ने बताया। उनकी संस्था की ओर से पटना शहर के दस इलाकों में सर्वे कराया गया, तो क्भ्00 बेघर बच्चों के होने का पता चला।

मैं सिविल सोसायटी से अपील करती हूं कि बेघर बच्चों की हेल्प करने के लिए सिविल सोसाइटी आगे आए। गवर्नमेंट और मीडिया को भी हमलोगों की हेल्प करनी चाहिए।

के। अनुराधा, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, रेनबो होम

Posted By: Inextlive