Meerut : आने वाले समय में आपके बच्चों को जो टीचर पढ़ाएगा वो अन्ट्रेंड हो सकता है. दरअसल सीसीएसयू से बीएड करके भावी टीचर्स की जो कतार निकल रही है उनको तैयार करने वाले ज्यादातर अनट्रेंड हैं. फ्यूचर टीचर को वो लोग तैयार कर रहे हैं जो मानकों पर खरे नहीं उतरते...


They are playing with futureसीसीएस यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड करीब 280 बीएड कॉलेजों में रुल्स के हिसाब से हर कॉलेज में करीब दस टीचर होने चाहिए। हैं भी, लेकिन यूजीसी और एनसीटीई के रेगुलेशंस को पूरा करने वाले टीचर्स पूरे भी नहीं हैं। तीन हजार में से करीब एक हजार टीचर्स ही क्वालीफाइड हैं। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने पहले भी एमए एजुकेशन और एमएड वालों के टीचिंग जॉब में जाने पर रोक लगा दी है। इसके बाद भी कॉलेजों में इन्हीं लोगों से टीचिंग कराई जा रही है।सालों से चल रहा है धंधा


सालों से बीएड कॉलेजों में ये धंधा चला आ रहा है। टीचर्स अप्वाइंट तो किए जाते हैं लेकिन वो पढ़ाने नहीं जाते। उनकी जगह पर बीएड या एमए एजुकेशन क्वालीफाइड कोई भी लडक़ा या लडक़ी पढ़ाने का काम करता है। जब भी यूनिवर्सिटी की तरफ से इंस्पेक्शन या क्रॉस चेकिंग की जाती है तो डॉक्यूमेंट्स में सब कुछ अप टू डेट और रेगुलेशंस के हिसाब से ही मिलता है।Guideline of UGC

यूजीसी की गाइड लाइन है कि बीएड कॉलेजों में पढ़ाने के लिए मिनिमम क्वालिफिकेशन एमएड के साथ ही नेट, एमफिल या पीएचडी होनी चाहिए। इसके बारे में स्टेट गवर्नमेंट ने भी दिसंबर 2010 में आदेश जारी किया था। दो साल बाद यूनिवर्सिटी ने भी अपनी जिम्मेदारी पूरी करते कॉलेजों को रिमाइंडर दे दिया था। लेकिन इस रिमाइंडर का कितना पालन हुआ। कहां पर क्वालीफाइड टीचर्स रखे गए इस बारे में कोई चेकिंग नहीं की गई।जब हुआ था verificationकाफी बवाल के बाद सीसीएसयू में करीब ढाई साल पहले टीचर्स का वेरीफिकेशन कराया गया था। फर्जीवाड़े की पोल भी खुली थी। जिसमें एक ही टीचर का नाम 15 कॉलेजों में यूज हो रहा था। जबकि वो टीचर कहीं पर पढ़ा ही नहीं रहा था।फिर भी counselingइस वेरीफिकेशन के बाद मामले में सीसीएसयू की पोल खुल गई थी, लेकिन उसके बाद भी ढाई सालों से कोई वेरीफिकेशन नहीं कराया गया। बिना वेरीफिकेशन के ही दो सालों से काउंसलिंग के लिए यूनिवर्सिटी कॉलेजों को क्लीयरेंस दे रही है।क्यों नहीं हैं क्वालीफाइड टीचर कॉलेजों में क्वालीफाइड टीचर्स के ना होने के पीछे भी कई कारण है। पढ़े लिखे क्वालीफाइड टीचर्स सेलेरी भी क्वालीफिकेशन के हिसाब से लेंगे, जो कॉलेज देने को तैयार नहीं है। एक क्वालीफाइड टीचर कम से कम 20 से 30 हजार रुपए मांगता है। जबकि ये टीचर्स पांच से आठ हजार रुपए में काम करते हैं।ऐसा क्यों हुआ

पहले जब एनसीटीई और यूजीसी ने ये नियम नहीं बनाए थे तब बीएड कॉलेज एनसीटीई से एमएड और एमए एजुकेशन क्वालीफाईड टीचर्स से टीचिंग की परमीशन ले आए थे, लेकिन बाद में नई गाइड लाइन आने पर भी वो उन्हीं लोगों से पढ़वाते रहे।पुराने कितनेअंदाजन माने तो हर बीएड कॉलेज में कम से कम आठ से दस टीचर हैं, जिनमें से चार ही एलिजीबल हैं। इस हिसाब से माने तो यूनिवर्सिटी के 278 कॉलेजों में 2780 टीचर्स होंगे। जानकार की माने तो इनमें से 60 परसेंट टीचर्स अनक्वालीफाइड हैं। इस हिसाब से 1668 टीचर्स अनक्वालीफाइड हैं। ऐसे हालात में अंदाजा लगाया जा सकता है कि कॉलेजों में पढ़ाई का क्या स्तर होगा। जानकार मानते हैं कि अगर इन लोगों को कॉलेजों से निकाल दिया जाए तो कई कॉलेज में टीचर्स ही नहीं बचेंगे।कैंसल नहीं हुआ अनुमोदनबड़ी परेशानी सवाल उठता है कि जब नई गाईडलाइन आ गई है। यूनिवर्सिटी नए टीचर्स का अनुमोदन तो कर रही है। लेकिन पुराने टीचर्स का अनुमोदन कैंसल क्यों नहीं किया जा रहा। आज तक यूनिवर्सिटी ने एक भी टीचस का अनुमोदन कैंसल नहीं किया है। आखिर ऐसे कैसे क्वालिटी टीचिंग शुरू हो पाएगी। क्या ये टीचर्स फ्यूचर टीचर्स को सही तरह से ट्रेनिंग दे पाएंगे।
'हमारी एसोसिएशन ने इस बारे में पहले भी कई बार आवाज उठाई है। लेकिन कुलपति सिर्फ आश्वासन देने के अलावा कुछ नहीं करते.'डॉ। कुलदीप तोमर, सचिव, एसोसिएशन टीचर एजुकेशन'अगर कॉलेजों में टीचर्स अप्वाइंट हो जाएं तो बीएड और एमएड के 75 परसेंट बेरोजगारों को जॉब तो मिलेगी ही। साथ ही क्वालिटी ऑफ एजुकेशन भी बढ़ेगी। जब यूनिवर्सिटी अप्वाइंटमेंट करती है तो फिर फर्जी टीचर अप्वाइंट की क्यों होते है.'डॉ। रविकांत सरल, अध्यक्ष, एसोसिशन ऑफ टीचर एजूकेटर'नए सेशन से पहले बीएड कॉलेजों में टीचर्स का वेरीफिकेशन कराया जाएगा.'पीके शर्मा, प्रेस प्रवक्ता सीसीएसयू

Posted By: Inextlive