- हादसों में जान बचने के बाद सही रिहैब्लिटेशन नहीं मिलने से डिसएबिलिटी बढ़ी

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R:अगर किसी हादसे के बाद समय पर इलाज मिल जाए तो आपकी जिंदगी बचने के चांस बढ़ जाते हैं। लेकिन आप अपनी जिंदगी सामान्य तरह से जी पाएंगे, इसके चांसेज काफी कम होते हैं। क्योंकि एक्सीडेंटल केसेस में जान बचने के बाद भी डिसएबिलिटी होती है। इसे सही तरह से हैंडिल नहीं किया गया तो आगे भी बड़ी प्रॉब्लम्स होती रहती हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक रोड एक्सीडेंट्स की वजह से यंगस्टर्स में डिसएबिलिटी का खतरा अब पहले से ज्यादा बढ़ा है।

 

जान बचने पर भी मुश्िकलें हजार
एम्स दिल्ली के न्यूरो साइंस सेंटर में न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रो। मंजरी त्रिपाठी ने बताया कि एक्सीडेंट्स में घायल होने वालों में यंगस्टर्स की संख्या काफी ज्यादा है। जान बचने के बाद भी उनमें कई तरह की समस्याएं जीवन भर रह सकती हैं। याददाश्त कम हो जाना बड़ी समस्या है। वहीं कन्नौज मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल व सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट प्रो। नवनीत कुमार बताते हैं कि हादसे के बाद जान बचती है तो पेशेंट को नार्मल लाइफ जीने में मदद करने के लिए कई तरह की थेरेपी दी जाती हैं। फिजियोथेरेपी, म्यूजिक थेरेपी के अलावा रिहैब्लिटेशन के कई तरीके हैं, लेकिन लोग इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। जिससे पेशेंट की क्वालिटी ऑफ लाइफ खराब होती है।

एक्सीडेंट साल दर साल-

साल- हादसे-घायल- मौत

2016-1451-941-687

2017-1568-1199-682

2018-1242-895-543

 

फैक्ट फाइल-

5901- पेशेंट्स भर्ती हुए मेडिकल कालेज के न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट में साल 208 में

 

55- फीसदी पेशेंट्स जो न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट में भर्ती हुए वह एक्सीडेंट्ल थे

38- फीसदी एक्सीडेंटल इंजरी के भर्ती होने वाले पेशेंट्स यंगस्टर्स थे

21 - फीसदी भर्ती होने वाले पेशेंट्स को स्ट्रोक और ब्रेन हैमरेज की वजह से सर्जरी की जरूरत पड़ी, ज्यादातर में लकवे का असर

जान बचने के बाद भी ये खतरे-

- सिर में चोट से याददाश्त कम होने का खतरा

- सिर में चोट लगने के बाद उसका असर 10 साल बाद भी सामने आ सकता है

- बच्चों को चोट लगने पर उन्हें डिमेंशिया बीमारी का खतरा रहता है

- चलने में परेशानी, नींद न आने की समस्या

- सिरदर्द, चक्कर आना, दिमाग में पानी का दबाव बढ़ना

- कम सुनाई देना, देखने की क्षमता कम होना

- दिमाग में सूजन आना, उल्टियां आना

वर्जन-

हेड इंजरी या फिर लकवा मारने के बाद इसका शरीर पर बड़ा असर पड़ता है। मौजूदा दौर में इसके मामले तेजी से बढ़े हैं, लेकिन जान बचने के बाद पेशेंट की क्वालिटी ऑफ लाइफ बेहतर हो, इसके लिए जरूरी थेरेपीज की मदद लेनी चाहिए।

- प्रो। नवनीत कुमार, प्रिंसिपल कन्नौज मेडिकल कालेज

 

Posted By: Inextlive