Bareilly : उत्तराखंड में कुदरत के कहर से हर कोई सहम गया है. इस कहर ने केदारनाथ तक को उजाड़ दिया. सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और हजारों फंसे हुए हैं. सेना व स्थानीय प्रशासन बचाव में जुटा हुआ है. जो सही-सलामत अपने घर पहुंच गए हैं वो खुशनसीब हैं पर अब भी उस भयानक मंजर के सद्मे में हैं. बरेली की एक फैमिली ट्यूजडे रात ही उस त्रासदी से गुजरकर सही-सलामत अपने घर पहुंची है. क्या बीता उन पर आइए जानते हैं उन्हीं की जुबानी.

11 जून को गई थी family
गीता वर्मा आलमगिरी गंज में रहती हैं। उनके तीन बेटे हैं। वह अपने बड़े बेटे विशाल, उसकी पत्नी प्रियंका, 3 साल की पोती श्री व 1 साल के पोते अनंत, भांजे शानू व शानू के दोस्त संजीव के साथ बद्रीनाथ की यात्रा पर 11 जून की सुबह निकले थे। वे लोग संजीव की आई10 कार से गए थे। पहले वे हरिद्वार गए और वहां से बद्रीनाथ पहुंचे।

गंगा में समा गई कार
संडे को देवप्रयाग के पास रास्ते में पानी का तेज बहाव था। एक ट्रैवलर गाड़ी वहां से निकली पर पल भर में ही गंगा में समा गई। इसे देखकर सभी लोग सहम गए। फिर वहां जेसीबी मशीनें आईं और रास्ता बनने लगा। रात भर फैमिली वहीं फंसी रही। सब कार में ही भूखे-प्यासे बैठे रहे। बारिश के पानी से ही प्यास बुझाई। उस वक्त लगा कि अब घर जिंदा नहीं पहुंचेंगे। ब्यासी के पास पानी 15 मीटर ऊपर चल रहा था। फिर वहां से तीन किमी पीछे गए और बखेली में भैंस व बकरियों के साथ एक तख्त पर पूरी रात गुजारी। कई दिन पुराना खाना खाकर भूख मिटाई।

श्री को हुई ज्यादा problem
ज्यादा परेशानी श्री के साथ हुई। उसे गेहूं से एलर्जी है। उसका अमेरिका से इलाज चल रहा है। उसे सिर्फ चाय के सहारे जिंदा रखा। जब पत्थरों को डालकर रास्ता बनाया गया तब खाली कारें वहां से गुजर सकीं। बाकी लोगों को तेजी से भागकर रास्ता पार करना पड़ा।
नहीं मिला मोबाइल
श्री हंसते हुए कहती है, मुझे डर नहीं लगा लेकिन अब दुबारा वहां नहीं जाना चाहती। वहीं छोटे बेटे विकास ने बताया, जब मंडे को मां व फैमिली के अन्य मेंबर्स से मोबाइल पर कॉन्टेक्ट नहीं हुआ तो सब घबरा गए। कई जानकारों से पूछा। कई चैनलों पर दिए जाने वाले नंबरों पर भी संपर्क किया लेकिन कुछ पता नहीं चला। ट्यूजडे को जब सभी वापस आए तो सांस में सांस आई।

Posted By: Inextlive