वाराणसी संसदीय सीट से चुनाव लड़ने के लिए मांगी थी छूट.

- स्पेशल कोर्ट एमपी-एमएलए ने खारिज कर दी शार्ट टर्म बेल एप्लीकेशन

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PRAYAGRAJ: वाराणसी संसदीय सीट से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ ताल ठोंकने वाले बाहुबली अतीक अहमद को जेल से बाहर आकर चुनाव प्रचार की अनुमति नहीं मिली. सोमवार को स्पेशल जज एमपी-एमएलए कोर्ट में उनकी तरफ से पेश की गयी शार्ट टर्म बेल एप्लीकेशन पर बहस हुई. कोर्ट ने बेल का कोई वैधानिक कारण न पाते हुए इसे खारिज कर दिया. सूत्रों के अनुसार इसके बाद अतीक ने अपने अधिवक्ता के जरिए वाराणसी में नामांकन पत्र दाखिल किया है. बता दें कि 2017 में विधानसभा चुनाव भी उन्होंने जेल में रहते हुए ही लड़ा था.

जेल में बंद चल रहे हैं अतीक
नैनी जेल में विभिन्न मुकदमों में निरुद्ध पूर्व सांसद अतीक अहमद की तरफ से पेश शार्ट टर्म बेल एप्लीकेशन पर स्पेशल कोर्ट के जज पवन कुमार तिवारी की कोर्ट में सुनवाई हुई. बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद के अधिवक्ता दयाशंकर मिश्र, खान सौलत हनीफ, निसार अहमद व राधेश्याम पांडेय ने इस पर बहस करते हुए कहा कि अतीक वाराणसी संसदीय क्षेत्र से चनाव लड़ना चाहते हैं. चुनाव प्रचार के लिए उनका जेल से बाहर रहना जरूरी है. जेल से चुनाव प्रचार कर पाना संभव नहीं है. एप्लीकेशन में तीन सप्ताह के लिए बेल ग्रांट करने का आग्रह किया गया था.

चुनाव प्रचार के लिए नहीं दे सकते बेल
वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी हरि ओंकार सिंह, राधाकृष्ण मिश्र, लाल चंदन, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता राजेश गुप्ता ने बेल एप्लीकेशन का विरोध करते हुए कहा कि न्यायालय को ऐसी स्थिति में शार्ट टर्म बेल पर अभियुक्त को छोड़ने या चुनाव लड़ने व प्रचार करने के लिए आदेश पारित करने की शक्तियां प्राप्त नहीं हैं. इसके साथ ही विधि व्यवस्था भी कोर्ट के समक्ष पेश किया.

डिस्ट्रिक्ट कोर्ट पहले कर चुका खारिज
उभयपक्ष की बहस एवं तर्क तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य में पाया कि इसी मुकदमे में 15 अप्रैल 2017 को अभियुक्त अतीक अहमद का नियमित जमानत प्रार्थना पत्र सत्र न्यायालय द्वारा खारिज किया जा चुका है. दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436 से 439 में अंर्तविष्ट प्राविधानों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसके माध्यम से इस न्यायालय द्वारा शार्ट टर्म बेल प्रदान की जाय. कोर्ट ने अपने आदेश में उल्लिखित किया कि अतीक अहमद की ओर से दिए गए शार्ट टर्म बेल से सम्बंधित प्रार्थना पत्र में कोई विधिक बल नहीं है.

Posted By: Vijay Pandey