- अस्पताल की ओपीडी में हर रोज आते हैं दो हजार से अधिक लोग

-गर्मी में लोगों की प्यास बुझाने के लिए लगाए गए थे वाटर कूलर

-अफसर को भी नहीं पता वाटर कूलर की संख्या

GORAKHPUR: जिला अस्पताल में अगर आप अपना इलाज कराने जा रहे हैं तो पानी की बोतल अपने साथ जरूर ले आएं. वजह गला तर करने के लिए पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ेगा. तेज धूप और भीषण गर्मी में पानी की समस्या से बाहरी और भर्ती मरीजों को आए दिन जूझना पड़ रहा है. वजह अस्पताल परिसर में लगा वाटर कूलर पूरी तरह से खराब है तो कईयों का तो पता ही नहीं चल रहा कि वे कहां हैं. इसके बारे में अफसरों को भी जानकारी नहीं है. इसी का नतीजा है कि अस्पताल में शुद्ध पीने का पानी तक नहीं मिल रहा है. अस्पताल में लगे हैंडपंप के सहारे लोग अपनी प्यास बूझा रहे हैं.

दुकानों से खरीदना पड़ रहा पानी

अस्पताल के वार्डो में भर्ती मरीजों और उनके तीमारदारों को पीने के पानी के लिए बाहर स्थित दुकानों से बोतल का पानी खरीदना पड़ रहा है. शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं होने से वार्डो में भर्ती होकर इलाज करा रहे मरीजों को हैडपंप का पानी सेवन करना महंगा पड़ सकता है. जबकि अस्पताल प्रशासन चिकित्सकीय सुविधा के साथ भर्ती मरीजों को बेहतर व्यवस्था देने का दावा करता है लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ अलग ही है.

कोट

जिला अस्पताल की ओपीडी में इलाज के लिए पहुंची डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी. गर्मी की वजह से प्यास लगी थी. जहां कूलर लगा था वहां पानी पीने के लिए पहुंची तो टोटी से पानी नहीं निकल रहा था. पानी का बोतल खरीदना पड़ा.

सत्यावती देवी

अस्पताल में पेयजल की व्यवस्था नहीं है. पूरे परिसर में सिर्फ दो वाटर कूलर लगे हैं जो काम नहीं कर रहे हैं. जिसकी वजह से अस्पताल में आने वाले लोगों को पीने के पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है.

शैलेंद्र पांडेय

अस्पताल में शुद्ध पेयजल की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. इसलिए मरीजों और तीमारदारों को बोतल बंद पानी का ही सहारा लेना पड़ रहा है. अस्पताल में लगे वाटर कूलर काम नहीं कर रहे हैं.

उमेश प्रसाद

वर्जन

धीरे-धीरे व्यवस्था दुरूस्त की जाएगी. बंद पड़े वाटर कूलर को जल्द ही ठीक करवाया जाएगा.

डॉ. आरके गुप्ता, एसआइसी जिला अस्पताल

Posted By: Syed Saim Rauf