क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ:देश की सुरक्षा से किसी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता. सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक यदि जरूरी हों तो लगातार किए जाएं, लेकिन दुश्मनों को धूल चटा कर ही छोड़ा जाए. आगामी सरकार के पास नेशनल सिक्योरिटी को लेकर ठोस रणनीति हो तभी उन्हें वोट मिलेगा. मिलेनियल्स ने चुनावी एजेंडा साफ कर दिया है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में सुरक्षा सबसे अहम रहेगा. सिटी के ओल्ड हॉटलिप्स चौक के समीप दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के राजनी-टी के तहत मिलेनियल्स ने लोकसभा चुनाव पर अपनी राय रखी. सभी ने एक मत होकर कहा कि वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर जिस तरह के निर्णय लिए गए वो काबिले तारीफ हैं लेकिन इस तरह की कार्रवाई आगे भी होती रहनी चाहिए. एयर स्ट्राइक करना हो , सर्जिकल स्ट्राइक करना हो या दुश्मनों पर अटैक ही कर देना हो हर तरह की कार्रवाई के लिए तैयार रहना चाहिए. जो भी आगामी सरकार बनाए उनके पास नेशनल सिक्योरिटी को लेकर ठोस रणनीति हो. और किसी भी तरह का कम्प्रोमाइज नहीं किया जाए. देश आज हथियारों और शक्ति में काफी मजबूत है लेकिन इसकी मजबूती में लगातार वृद्धि होती रहनी चाहिए. युवाओं का कहना है कि हमारा देश और देशवासी पिछले कई सालों से आतंकवाद और घुसपैठ का दंश झेल रहे हैं, जिसका निदान जरूरी है.

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कड़क मुद्दा

पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम के उल्लंघन और पाकिस्तान की ओर से कथित तौर पर भारत में दहशतगर्दी फैलाने की कोशिश का सवाल है. मेरा मानना है कि यह पाकिस्तान की सेना की एक खास तरह की रणनीति है. पाकिस्तान की सेना ने मई 1990 से इसकी शुरुआत की थी. ऐसा करके उसने भारत की आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों को बढ़ाने की कोशिश की है, जिसका ठोस जवाब तैयार किया जाना चाहिए.

गुड्डू पांडेय

मेरी बात

अफगानिस्तान की अंदरूनी स्थिति की वजह से भारत और पाकिस्तान के रिश्ते प्रभावित रहे हैं. अब करीब दो दशक बाद अमेरीका अफगानिस्तान से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है, हम इसी तरह की लहर देख रहे हैं. अमेरिका और चाइना आज इंटरनेशनल फ्रंट पर सभी देशों के मामले में हस्तक्षेप कर देते हैं. ऐसे में देश को मजबूत सरकार की जरूरत है.

कुणाल

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वर्जन

भारतीय मीडिया के मुताबिक पुंछ सेक्टर में नियंत्रण रेखा पार कर हुए हमले में पांच भारतीय सैनिकों के मारे जाने का दावा किया गया, लेकिन पाकिस्तान ने इसका विरोध किया है. अगर इस बात में सच्चाई है तो सरकार को जनता के समक्ष इसका खुलासा करना चाहिए वह भी प्रमाण के साथ कि हमला कामयाब रहा है.

दिवाकर

निराधार और बेबुनियाद आरोपों पर ध्यान ही नहीं दिया जाना चाहिए. हमारी सेना के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि हमला हुआ है और काफी कामयाब रहा है. ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि सेना के अधिकारियों ने सामने आकर सारी बातें कहीं. बात यदि राजनेताओं की होती तो अलग मुद्दा है लेकिन जब सैन्य अधिकारी कहें तो उसपर सवाल उठाना गलत है.

ललित ओझा

पाकिस्तान की सेना की रणनीति के अलावा हम देख रहे हैं कि पूरे कश्मीर में दहशतगर्दी का माहौल है. अलकायदा के प्रमुख अल जवाहिरी, लश्कर का चीफ हाफिज जैसे नेता अपने कैडर को कार्रवाई के लिए ललकार रहे हैं. यह भारत की सुरक्षा के लिए एक बहुत ही जटिल चुनौती है. अब भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता बहाली और शांति कायम करने के प्रयासों को स्थापित करना आगामी सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौैती बनने वाली है.

मिंटू चौबे

जनवरी 2004 में भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और जनरल परवेज मुशर्रफ़ के बीच एक समझौता हुआ था. समझौते का मुख्य बिंदु यह था कि पाकिस्तान इस बात का आश्वासन देगा कि वह किसी भी तरह की दहशतगर्दी को समर्थन नहीं देगा. लेकिन पिछले नौ साल से हम एक ही तरह की कार्रवाई का सामना कर रहे हैं. अब बहुत हुआ, ठोस रिएक्शन होना चाहिए.

नवीन

भारत पिछले 23 सालों से इस तरह की समस्या का सामना कर रहा है. भारत और चीन भी अफगानिस्तान और पाकिस्तान पर अपनी रणनीति की समीक्षा कर रहे हैं. यह उनकी सामरिक रणनीति का हिस्सा है, क्योंकि इस तरह की दहशतगर्दी चीन की भी समस्या है. लेकिन भारत के दोषियों पर चीन भी काफी मेहरबान है, जो बड़ी मुसीबत की ओर इशारा है.

राहुल

भारत में चुनाव होने हैं, इसलिए देखना यह भी होगा कि राजनीतिक पार्टियां इसे किस रूप में लेती हैं. पाकिस्तान की बात करें तो उनसे यह साफ नहीं हो पा रहा है कि वहां की सेना और नई सरकार के बीच तालमेल है या नहीं. सेना ने इमरान खान की सरकार को स्वीकार किया है या नहीं. वहां की सेना और खुफिया एजेंसियां काबू पाती है या आपस में ही लड़कर सब बर्बाद कर लेते हैं.

राजकुमार

अलकायदा जैसे संगठन पाकिस्तान की सेना और सरकार की पकड़ से बाहर हैं, क्योंकि यह विचारधारा किसी राजनीतिक दायरे को नहीं मानती है. वहां की सेना भी इन संगठनों को सरपरस्ती देती है. कहने को पाकिस्तान में भी सरकार है लेकिन देखने से तो लगता है कि वहां की सेना और यह आतंकी सगठन सरकार से भी ज्यादा ताकतवर हैं.

संजय जायसवाल

उग्रवादियों के हाथ में भी बेतहाशा रुपए जा रहे हैं जो देश की सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती है. वे लोग अधिकारियों और इंडस्ट्रीज से सीधे पैसे वसूलते हैं. नगालैंड इस बात का क्लासिक उदाहरण है कि किस प्रकार सरकारी पैसा सैन्यबलों के पास पहुंचने के बजाय सशस्त्र गुटों के पास पहुंच जाता है, इसपर अंकुश लगाया जाना चाहिए.

सौरभ

आगामी सरकार चाहे जिसकी बने, लेकिन नेशनल सिक्योरिटी को लेकर ठोस रणनीति बनाई जानी चाहिए. सरकार सशक्त बने और देश मजबूत हाथों में रहे, बस हमारा तो यही विचार है.

वरुण तिवारी

Posted By: Prabhat Gopal Jha