Aamir Khan fields some questions and cleverly dodges some relating to recent controversies about him and his movie…

लगान को आए 10 साल हो गए, अब आमिर खान काफी रिलैक्स  दिखाए देते हैं. यहां हैं उनसे बातचीत के अंश...

 

हाल ही में लगान ने दस साल पूरे किए, इतने साल में क्या बदलाव आए?


कई चीजें हुईं, कई चीजें सामने आईं, मैंने अपने फादर को बतौर प्रोड्यूसर नर्क झेलते देखा है और मैं इससे नहीं गुजरना चाहता था. लेकिन जब लगान आई, मैं किसी को ये फिल्म प्रोड्यूस नहीं करने देना चाहता था. लगान के बाद मेरे और रीना के बीच डायवोर्स हो गया, मैं उसके बिना कोई भी फिल्म प्रोड्यूस नहीं करना चाहता था. लेकिन तारे जमीन पर आई और मुझे इसे प्रोड्यूस करना पड़ा.
आपको इंडस्ट्री के बेहतरीन बिजनेसमेन में से एक माना जाता है...


हां, लेकिन यकीन मानिए, ये हमेशा दिल से लिया गया डिसीजन रहा है. आपको लगता है कि लगान के बाद हमें फिल्म प्रोड्यूस करने के लिए पांच साल इंतजार करने की जरूरत थी? बिजनेस इम्पॉर्टेंट है, लेकिन मेरे लिए ये पहले है कि मुझे वैसी फिल्में मिलें जैसी मैं बनाना चाहता हूं.


कुछ लोग, जैसे अनुषा रिजवी और अमोल गुप्ते आपको खास पसंद नहीं करते. आप जानते हैं ऐसा क्यों है?


शायद उन्हें मेरे काम करने का तरीका नहीं पसंद है, लेकिन ये उनका नजरिया है. मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. मैं इस इंडस्ट्री मे 22 साल से हूं और यहां दो लोग हैं जिन्हें मैं पसंद नहीं. ये एक बढिय़ा रिकॉर्ड है, है ना? मैंने कई प्रोड्यूसर्स, डायरेक्टर्स, यूनिट मेम्बर्स, एक्टर्स के साथ काम किया है... पर केवल दो लोगों को मेरे काम करने का तरीका पसंद नहीं. हम अपना काम करते हैं, जैसा हम सोचते हैं ये वैसा ही होना चाहिए, और इसके लिए मुझे किसी के अप्रूवल की जरूरत नहीं है.
अनुषा रिजवी ने पीपली (लाइव) को नेशनल अवॉड्र्स में न भेजे जाने पर सवाल उठाया है...


हमने पॉलिसी के चलते पीपली लाइव या धोबी घाट को नेशनल अवॉड्र्स के लिए नहीं भेजा. हमें लगान, तारे जमीन पर और जाने तू या जाने न के लिए नेशनल अवॉड्र्स मिले हैं, लेकिन हम क्रिएटिव आस्पेक्ट पर कॉन्संट्रेट करना चाहते हैं न कि अवॉड्र्स जीतने पर. फिल्म किसने डायरेक्ट की इसका सरोकार एंट्री न भेजने से नहीं था.
अनुभव सिन्हा, और अब सुना है कि शंकर  एहसान लॉय ने ‘डी के बोस’ गाने के बारे में मॉरलिस्टिक स्टैंड लिया है...


ये सिर्फ एक नाम है. गाने में नाम लेने पर उन्हें ऑब्जेक्शन है क्या? अगर वे इस पर कुछ ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और ऑब्जेक्शन कर रहे हैं, ये उनकी सोच के बारे में बताता है.

Posted By: Garima Shukla