- दस जून को मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा

- एक दर्जन से अधिक खामियों को गिनाने में जुटे हैं काउंसलर

- मेयर और कमिश्नर की लड़ाई की भेंट चढ़ चुका है निगम

- दस जून को 24 काउंसलर के साइन के साथ दिया जाएगा अविश्वास प्रस्ताव

PATNA : दो साल बीत गए, नगर निगम के काउंसलर अब तक जनता के सामने आंख से आंख मिलाकर बात नहीं कर पा रहे हैं। जनता इनसे दो साल का हिसाब मांग रही है। वहीं परेशान काउंसलर इसका जवाब मेयर से मांग रहे हैं। काउंसलर की मानें तो दो साल बीत जाने के बाद भी निगम की ओर से अब तक कोई काम नहीं हो पाया है। ग्राउंड लेवल पर दो साल पहले जो प्राब्लम थी, आज भी बरकरार है। इसको लेकर काउंसलर की ओर से लगातार बोर्ड की मीटिंग में आवाज उठती रही, बावजूद इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। आखिरकार हारकर ख्ब् से अधिक काउंसलर एक साथ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर दस जून को मेयर के पास जाने का प्लान बना रहे हैं। वार्ड काउंसलर दीपक चौरसिया ने बताया कि जनता के सामने अब जाने में भी डर लगता है। क्योंकि जनता की बुनियादी सुविधा तक काउंसलर की ओर से पूरी नहीं करवायी गयी है। सफाई से लेकर कचरा उठाव तक में ठोस प्लान नहीं हो पा रहा है। हालत यह हो गया है कि पटनाइट्स को कचरे से लेकर पानी की प्राब्लम से हर दिन दो चार होना पड़ रहा है।

काम कम पॉलिटिक्स अधिक

वार्ड नंबर दस के काउंसलर सुनील कुमार ने बताया कि यहां पर काम कम पॉलिटिक्स अधिक होती है। मेयर और कमिश्नर की जंग का खामियाजा दूसरे काउंसलर को भुगतना पड़ रहा है। बैठकें कैंसिल होते रहती है। कोई पूछने वाला नहीं है। जनता का काम रुका हुआ है। गर्मी में पानी की प्राब्लम, कचरा उठाव से लेकर सड़क बनाने तक की योजना अब तक अधर में अटकी है। डोर टू डोर कचरा प्रबंधन का पता नहीं, जल जमाव की प्राब्लम इस बरसात में भयावह रूप लेने वाला है। इस पर किसी का ध्यान नहीं है।

काउंसलर के अविश्वास प्रस्ताव की वजह

- जब टैक्स बढ़ोतरी के विरोध में काउंसलर थे तब भी प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी। इसके बाद सीएम के हस्तक्षेप के बाद प्रस्ताव वापस लिया गया।

- ट्रेड लाइसेंस के मसले पर आधे से अधिक काउंसलर ने विरोध किया।

- क्भ् लाख, क्0 लाख के फंड का हर वार्ड में काम नहीं हो पाया।

- बोर्ड की मीटिंग को सहजतापूर्वक नहीं लिया जा रहा।

- जल जमाव और रोड कंस्ट्रक्शन का काम अटका हुआ है।

- डोर टू डोर कचरा प्रबंधन के काम को बंद कर दिया गया।

- मेयर और कमिश्नर का गहराता विवाद।

काउंसलर के जोड़-तोड़ की गणित

अविश्वास प्रस्ताव के बाद से काउंसलर के जोड़-तोड़ की गणित दोनों तरफ से शुरू हो गई। पक्ष और विरोधी दोनों खेमों की ओर से एक तिहाई बहुमत जुटाने में लगे हुए हैं। वहीं इसका मजा उठा रहे काउंसलर की भी चांदी कट रही है। अविश्वास प्रस्ताव को साबित करने के लिए विपक्ष को फ्7 काउंसलर की जरूरत है।

पक्ष वाले इसे बता रहे अफवाह

डिप्टी मेयर रूप नारायण मेहता ने बताया कि इसे आप अफवाह मान सकते हैं। ऐसा कुछ होने वाला नहीं है। हमलोगों ने काम किया है। और यह ग्राउंड लेवल पर दिख रहा है। जनता के बीच इसका मैसेज भी है। इसके बाद भी अगर सदस्यों को लगता है कि काम नहीं हुआ है तो वो संवैधानिक प्रक्रिया के तहत आ सकते हैं। हमलोग तैयार हैं।

क्या है अविश्वास प्रस्ताव

यह एक संवैधानिक प्रक्रिया है। दो साल पूरे होने पर अगर सदस्यों को लगता है कि निगम के मेयर या डिप्टी मेयर काम नहीं कर रहे हैं, तो अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। इसमें एक तिहाई काउंसलर उनके विरुद्ध एकजुट होकर मेयर को अविश्वास प्रस्ताव दे सकते हैं। इसके बाद मेयर एक वीक के अंदर बैठक बुलाते हैं और उसकी अध्यक्षता डिप्टी मेयर करते हैं। अगर डिप्टी मेयर बैठक नहीं बुलाते हैं तो फिर नगर आयुक्त के साथ मीटिंग होती है। उस मीटिंग में एक तिहाई काउंसलर अपना अध्यक्ष चुनते हैं और वहां से फिर डीएम को लेटर लिखा जाता है। इसके बाद निगम भंग हो जाता है।

Posted By: Inextlive