नियम ताक पर रख, बच्चों की जान से खिलवाड़
सुप्रीमकोर्ट की गाइड लाइन का पालन कराने के लिए आरटीओ ऑफिस के अधिकारी हर तीसरे महीने देते हैं स्कूलों में ट्रेनिंग
prayagraj@inext.co.in PRAYAGRAJ: दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की खास सिरीज बच्चे की जान लोगे क्या के अन्तर्गत शनिवार को जब स्कूली बसों की पड़ताल की गई तो लगा कि सुप्रीमकोर्ट ने जो गाइडलाइन तय की है उसका बस मालिकों के द्वारा आधा-अधूरा ही अनुपालन किया जा रहा है. अधिकतर बसों में बोल्ड लेटर में न स्कूल बस लिखा मिला, न आरटीओ सहित एआरटीओ प्रवर्तन का पूरा नाम व मोबाइल नम्बर मिला. चालक के साथ महिला या पुरुष सहायक का ना होना जैसी मूलभूत गाइड लाइन को भी फालो नहीं किया जा रहा था. जबकि, हर तीसरे महीने आरटीओ ऑफिस की ओर से जहां की बसें ऑफिस में रजिस्टर्ड है वहां बसों के चालकों को गाइड लाइन पालन करने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है.ट्रेनिंग के बाद भी नहीं सुधरते
अधिकारियों की ओर से स्कूलों के नाम पर रजिस्टर्ड बसों के चालकों को गाइड लाइन का पालन कराने के लिए स्कूलों में कैंप लगाकर ट्रेनिंग दी जाती है. एआरटीओ प्रवर्तन रविकांत शुक्ला ने बताया कि प्रोजेक्टर व फिल्में दिखाकर चालकों को नियम बताया जाता है लेकिन जब कार्रवाई की जाती है तो बसों में गाइड लाइन के मुताबिक चीजें नहीं मिलती है.
परमिट के समय दर्ज होता है रिकार्ड आरटीओ ऑफिस में जब स्कूली बसों के नाम पर बस का परमिट जारी किया जाता है उस समय बस चालक का नाम व पता भी रजिस्टर में दर्ज किया जाता है. वर्तमान समय में ऑफिस के रजिस्टर में प्रयागराज के पांच सौ स्कूली बसों के चालक का नाम व पता रिकार्ड में दर्ज है. 1500 वाहन हैं रजिस्टर्ड ऑफिस में इस समय 42 सीटर बसों की संख्या 900 है. जो प्रयागराज के विभिन्न स्कूलों में चलती है. जबकि छोटे वाहनों में जैसे टाटा मैजिक व टैंपों की संख्या 600 है. जिनमें बच्चों को बैठाया जाता है. शिकायत पर होती है कार्रवाई रजिस्टर्ड बसों में पीछे की ओर से आरटीओ, एआरटीओ प्रशासन व एआरटीओ प्रवर्तन का मोबाइल नंबर लिखा जाता है. इसके जरिए आने वाली शिकायतों की डिटेल लिखी जाती है. बताने वाले संबंधित व्यक्ति का नाम व मोबाइल नंबर गोपनीय रखा जाता है. इसके आधार पर जिस अधिकारी के पास फोन जाता है वह एक दिन के भीतर औचक निरीक्षण करता है. दौ सौ का हुआ था चालानअधिकारियों की ओर से पिछले वित्तीय वर्ष में जितनी शिकायतें मिली थी उसके आधार पर अलग-अलग टीमों ने स्कूलों के बाहर बस की चेकिंग की थी. एआरटीओ प्रशासन डॉ. सियाराम वर्मा की मानें तो सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन ना करने और शिकायतों के आधार पर रजिस्टर्ड बसों की चेकिंग की गई थी. जिसमें 200 बसों का चालान काटा गया था.
पब्लिक की भी जिम्मेदारी बनती है कि जो बसें स्कूलों के नाम पर चलाई जाती है उसकी पड़ताल करें. परमिट देते समय अधिकारियों का नंबर लिखवाया जाता है. विभाग की ओर से समय-समय पर कार्रवाई की जाती है और गाइडलाइन का अनुपालन करने को कहा जाता है. डॉ. सियाराम वर्मा, एआरटीओ प्रशासन