Bareilly : सिटी के हॉस्पिटल्स ही क्राइम के शिकार नहीं हुए हैं सिचुएशन हर जगह बिगड़ी है. लेकिन दोषी न होने के बावजूद डॉक्टर्स और हॉस्पिटल्स की साख पर सवाल उठाना बेहद अनफॉरच्युनेट है. हम विलेन नहीं हैं समाज के प्रति हमारी भी जिम्मेदारी है. बस अंडरस्टैंडिंग की कमी से पुलिस-प्रशासन और मीडिया की डॉक्टर्स के बीच दूरी बढ़ी है. ऐसे में जरूरत है आपसी भरोसे को कायम रखने की. फ्यूचर में ऐसी घटनाएं न हों इसके लिए बैठकर हल निकालने और प्लानिंग करने की जिससे मेडिकल हब के तौर पर अपनी धाक जमा चुकी इस सिटी की साख पर धब्बा न लगे. थर्सडे को आईनेक्स्ट ने सिटी के रिनाउंड डॉक्टर्स को एक मंच दिया जहां उन्होंने बेबाकी से अपना पक्ष रखा. प्रोग्राम के बाद आई नेक्स्ट के सीजीएम एएन सिंह ने डॉक्टर्स के प्रति आभार जताते हुए उन्हें सहयोग का भरोसा दिया. इससे पहले आई नेक्स्ट के संपादकीय प्रभारी धर्मेंद्र सिंह ने सभी गेस्ट्स का वेल्कम किया.


Society में न फैलने दें negativity हॉस्पिटल्स में हास्पिटैलिटी की कमी तो नहीं है पर जो भी चूक हुई है वह समाज में बढ़ती क्रिमिनल एक्टिविटीज का ही नतीजा है। ऐसा समाज के हर तबके, हर प्रोफेशन में मोरल वैल्यूज की गिरावट की वजह से ही है। ऐसा नहीं है कि हॉस्पिटल्स में ही क्रिमिनल एक्टिविटीज बढ़ रही हैं। लेकिन इन्हें रोकने के लिए हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन को सख्ती से पेश आना होगा, उन्हें ज्यादा विजिलेंट भी होना होगा। हॉस्पिटल की सिक्योरिटी के लिए उन्हें गाड्र्स, वार्ड मैनेजर, सीसीटीवी लगाने चाहिए। वहीं, पुलिस-प्रशासन और मीडिया के साथ भी डॉक्टर्स क ो ट्रस्ट कायम करना होगा, ऐसी नीतियां बनानी होंगी जो समाज में निगेटिविटी ना फैलने दे। स्टॉफ को एजुकेट करना होगा। गल्र्स में अवेयरनेस बढ़ानी होगी तो ब्वायज को वैल्यूज की शिक्षा देनी होगी। —डॉ। प्रमेंद्र माहेश्वरी, ऑर्थोपेडिक सर्जन
इनीशियल लेवल पर ही sort out हो जानी चाहिए प्रॉब्लम पुलिस-प्रशासन, मीडिया और डॉक्टर्स के बीच ट्रस्ट कायम रहना चाहिए, इस ट्रस्ट में जो भी लैकनेस आई है, उसे बैठकर दूर किया जाना चाहिए। क्योंकि, यह समाज में स्तंभ का काम करते हैं। सभी क ो शहर के हित में सोचना चाहिए। हॉस्पिटल्स में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ओटी छोड़कर सभी एरिया में सीसीटीवी लगाए जाने चाहिए। जो भी हॉस्पिटल के वैकेंट एरिया हों उन्हें लॉक रखना चाहिए। किसी भी घटना की सूचना मिलते ही पुलिस क ो इन्फॉर्म जरूर करना चाहिए। इस सब के बीच समाज में निगेटिविटी फैलने से रोकना भी हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। किसी भी सूरत में सामाजिक मूल्यों पर आंच नहीं आनी चाहिए। इसके लिए हॉस्पिटल्स के स्टाफ में भी संवेदनशीलता बनी रहनी चाहिए। ताकि, पेशेंट हॉस्पिटल में डरे नहीं, वह उसे मंदिर ही माने जो अब तक होता रहा है। -डॉ। ब्रजेश्वर सिंह, ऑर्थोपेडिक सर्जनडरें नहीं doctorsहॉस्पिटल्स में होने वाली घटनाओं के पीछे कहीं ना कहीं हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन की कमी हो सकती है। अब उन्हें ज्यादा विजिलेंट होने की जरूरत है। हर प्रोफेशन में नैतिकता के गिरने की वजह से ही ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं। पेशेंट्स के साथ-साथ डॉक्टर्स को अपने स्टाफ पर भी पूरा ध्यान देना चाहिए। डॉक्टर्स कई बार फंसने के डर से कुछ छिपाते हैं, और मुश्किल में पड़ते हैं। लेकिन डॉक्टर्स अनलॉफुल पर्सन नहीं हैं। उन्हें पुलिस से ट्रांसपेरेंसी बनाए रखनी चाहिए। हॉस्पिटल्स में होने वाली घटनाओं पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कारगर उपाय है। यह काफी एडवांटेज प्रदान करता है। यह सही है कि हम अपराध को पूरी तरह रोक नहीं सकते हैं, पर अगर हम थोड़ा सा सजग हो जाएं तो इन पर लगाम जरूर लग जाएगी।-डॉ। धर्मेंद्र नाथ, पीडियाट्रीशियनघटनाओं को भी avoid न करेंहॉस्पिटल्स में होने वाली घटनाओं पर पब्लिक की जो भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, वह काफी निराशाजनक है। वहीं, मीडिया को डॉक्टर्स के बारे में कुछ भी लिखने से पहले एक बार आईएमए से बातचीत जरूर करनी चाहिए। दरअसल, डॉक्टर्स और पेशेंट के बीच इलाज और बदसलूकी की बहुत ही नैरो लाइन होती है, अगर डॉक्टर पर पेशेंट का ट्रस्ट नहीं है तो वह कभी भी क ोई गंभीर आरोप लगा सकता है। ऐसे में, सबसे ज्यादा जरूरी है कि डॉक्टर्स और पेशेंट के बीच विश्वास कायम रहे। डॉक्टर्स भी इस बात का ध्यान रखें कि फीमेल्स को एग्जामिन करते समय एक फीमेल अटेंडेंट को साथ में रखें। मीडिया सनसनी ना फैलाए। हॉस्पिटल में होने वाली छोटी घटनाओं को भी डॉक्टर्स अवॉयड ना करें.              डॉ। अमित अग्रवाल, प्रेसीडेंट, आईएमएदोषी स्टाफ को protect न करें सबसे पहले हमें सामाजिक पतन क ो रोकना होगा, हाल ही में हॉस्पिटल्स में हुई घटनाओं की सबसे बड़ी वजह है। हालांकि, हॉस्पिटल्स के केस में यह पतन अपेक्षाकृत काफी कम है। हॉस्पिटल्स का 80 परसेंट से ज्यादा स्टाफ अपनी जिम्मेदारियां समझता है। वहीं एडमिनिस्टे्रशन को भी चाहिए कि वह किसी भी घटना की सूचना पुलिस को समय से जरूर दे। स्टाफ को प्रोटेक्ट करने की कोशिश ना करें। पुलिस-प्रशासन क ो भी चाहिए कि वह नकारात्मक सोच के साथ डॉक्टर्स पर कार्रवाई ना करें। वह अपना काम तो करें पर उसमें विवेक को प्राथमिकता जरूर दें। हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रिेशन और स्टाफ के बीच टाइम टु टाइम मीटिंग्स होती रहनी चाहिए।  -डॉ। राजीव गोयल, फिजीशियन एंड कार्डियोलॉजिस्टहॉस्पिटल मैनेजमेंट को लगवाने चाहिए CCTVअगर हॉस्पिटल में कोई भी घटना होती है तो उसकी इंफॉर्मेशन पुलिस को जरूर दें। वहीं, पुलिस क ो भी चाहिए कि वह समाज में बढ़ रहे अपराधों पर लगाम लगाने की क ोशिश करे। हॉस्पिटल में सीसीटीवी लगवाकर इस समस्या से काफी हद तक निजात पाया जा सकता है। हॉस्पिटल के वैकेंट एरिया क ो लॉक रखना सबसे ज्यादा जरूरी है, वहीं सिक्योरिटी गाड्र्स को भी यह इंस्ट्रक्शन दिया जाना जरूरी है कि वैकेंट एरिया में जाने वालों पर वह खास नजर रखें। जरूरत हो तो पुलिस से लिखित शिकायत भी करें। ताकि, कम्युनिकेशन गैप न होने पाएं।-डॉ। राघवेंद्र शर्मा, ऑर्थोपेडिक सर्जनस्टाफ की counselling बेहद अहमडॉक्टर्स पर काम का बोझ बहुत ज्यादा होता है, लेकिन वर्कलोड के बावजूद डॉक्टर्स को अपनी रेस्पांसिबिलिटी पूरी करने में कोई कसर नहीं छोडऩी चाहिए। कई बार पेशेंट की इमरजेंसी के चलते हम उन्हें औरों पर प्रियॉरिटी देते हैं। जिस पर पुलिस से लेकर मीडिया तक के सवालों का हमें जवाब भी देना होता है। लेकिन हमारी कोशिश यही रहती है कि पेशेंट को सही इलाज मिले। स्टाफ की काउंसिलिंग कराना और उनकी एक्टिविटीज पर भी नजर रखना जरूरी है। ऐसे केसेस में ट्रांसपेरेंसी के लिए डॉक्टर्स को भी  जिम्मेदारी उठानी होगी। - डॉ। स्नेहलता सिंह, सीएमएस, डिस्ट्रिक्ट वीमेन हॉस्पिटलविश्वास करें, हम आपके साथ हैंडॉक्टर्स और पुलिस के बीच विश्वास बरकरार है, हम डॉक्टर्स के साथ हैं। पर कानून के अनुसार चलना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। डॉक्टर्स भी अगर कुछ बातों का ध्यान रखें तो प्रॉब्लम्स काफी हद तक सॉल्व हो सकती हैं। मसलन, वह हॉस्पिटल्स में सीसीटीवी जरूर लगवाएं। किसी भी एंप्लाई को जॉब देने से पहले उसका पुलिस वेरीफि केशन करवाएं और उसकी फाइल जरूर तैयार क रें। हॉस्पिटल में क ोई भी केस आने पर उसकी पुलिस को इन्फॉर्मेशन जरूर दें। ताकि कोई भी अनहोनी होने पर डॉक्टर्स पर उसकी गाज ना गिरे। थोड़ी सी सावधानियां ही क्रिमिनल एक्टिविटीज पर लगाम लगा सकती हैं। डॉक्टर्स को चाहिए कि वह हॉस्पिटल पर अपनी नजर बनाएं रखें। एंप्लाईज से कम्युनिकेशन गैप ना होने दें। -डॉ। त्रिवेणी सिंह, एसपी सिटी, बरेली Suggestions-हॉस्पिटल्स में प्रॉपर सिक्योरिटी के लिए गाड्र्स हों-हॉस्पिटल्स के हर हिस्से में सीसीटीवी कैमरे लगें।-मेडिकल स्टाफ को समय-समय पर पेशेंट के साथ केयरिंग बिहेव के लिए एजुकेट किया जाए।-ट्रेंड और क्वालीफाइड स्टाफ को ही हॉस्पिटल में अप्वांइट किया जाए।-हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन अपने हर इंप्लाई का सीएमओ ऑफिस में रजिस्ट्रेशन कराए।-मेडिकल स्टाफ के तौर पर काम कर रहे हर इंप्लाई का पुलिस से हो वेरीफिकेशन।-आईएमए के साथ पुलिस-प्रशासन और मीडिया का फोरम बनाकर टाइम टू टाइम हो बैठक।-हॉस्पिटल्स ओनर्स हर वक्त रहें विजिलेंट -हॉस्पिटल्स के खाली रूम्स व स्टोर को रखा जाए लॉक। -क्रिमिनल माइंडसेट व पेशेंट्स के साथ मिसबिहेव करने वाले इंप्लाईज को फौरन करें बाहर।-हॉस्पिटल की फीमेल स्टाफ को दी जाए सेल्फ सिक्योरिटी व अवेयरनेस की काउंसलिंग, जो वह फीमेल पेशेंट्स को भी बता सकें।-पुराना इंप्लाईज होने के नाते आरोपी को बचाने की कोशिश न करें हॉस्पिटल्स।-च्वाइस से या फिर फोर्सली मेडिकल स्टाफ को एथिक्स याद रखवाना जरूरी।-क्राइम की जानकारी होते ही पुलिस को फौरन करें इंफार्म। पीआई न दर्ज होने पर फैक्स या एसएमएस से एसएसपी को दें सूचना।


हॉस्पिटल में होने वाली घटनाओं पर हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन को पूरी जिम्मेदारी से हैंडल करना चाहिए। वहीं, पुलिस-प्रशासन, मीडिया क ो भी मामले की गंभीरता को समझना चाहिए। हॉस्पिटल्स को सेफ्टी के लिए ओनर्स को ज्यादा विजिलेंट होने की जरूरत है.  नीड तो इस बात की भी है कि पेशेंट और डॉक्टर के बीच एक हेल्दी रिलेशन रहना चाहिए। मीडिया क ो चाहिए कि वह हॉस्पिटल में होने वाली घटनाओं पर आईएमए से बात जरूर करे। ताकि, डॉक्टर्स का पक्ष भी पब्लिक तक पहुंच सके और डॉक्टर्स के प्रति उनकी मानसिकता ना बदलने पाए। हॉस्पिटल्स में होने वाली घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए उन्हें इनीशियल लेवल पर ही शॉर्ट आउट किया जाना बहुत जरूरी है। छोटी घटनाएं ही आगे चलक र बड़ी घटना में तब्दील हो जाती हैं। थोड़ी सी जिम्मेदारी स्थितियों क ो सुधार सकती है।-डॉ। रवीश अग्रवाल, फिजीशियनEmployer भी जिम्मेदार

यह कहना सही नहीं कि एंप्लाई की गलती पर एंप्लायर भी उतना ही जिम्मेदार है। पर जरूरत इस बात की है कि हॉस्पिटल के  ओनर्स को अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभानी होगी। हॉस्पिटल के किसी भी खाली एरिया क ो खुला ना छोडें। ओटी, प्राइवेट वाड्र्स, इमरजेंसी की चाबियां अपने पास रखें। उन्हें जब भी खोला जाए तो उसकी जानकारी किसी अथॉरिटी को जरूर होनी चाहिए। फीमेल स्टाफ को उनकी और पेशेंट दोनों की सेफ्टी के लिए अवेयर किया जाना चाहिए। एंप्लाई क ो रखने के  बाद अगर कुछ दिनों के बाद उसकी आदतें ठीक ना लगे तो उन्हें बाहर कर देना चाहिए। वहीं, एंप्लाई वेरीफिकेशन तो सबसे ज्यादा जरूरी है। इसके जरिए ही हॉस्पिटल्स की डिगनिटी को बरकरार रखा जा सकता है। सीसीटीवी तो हॉस्पिटल में होना ही चाहिए।-डॉ। भारती सरन, गाइनकोलॉजिस्टVigilant हों हॉस्पिटल प्रबंधनहॉस्पिटल्स में होने वाली अनवांटेड घटनाओं क ो रोकने के लिए जरूरी है कि अनट्रेंड स्टाफ को ट्रेंड किया जाए। मैं 25 ईयर्स से इसी शहर में हूं, इतने साल में इस तरह की दो घटनाएं ही सामने आई हैं, यह गलत है पर समाज में गिरती नैतिकता का असर तो हर जगह होता ही है। ऐसे मामलों में पुलिस को कानून के अनुसार काम करना होता है तो यह भी सही है कि मीडिया एफआईआर होने पर उसे रिपोर्ट तो करेगा, पर उसे किसी भी मामले में विवेक जरूर बनाए रखना चाहिए। डॉक्टर्स क ो भी अपने एंप्लाईज का वेरीफिकेशन जरूर करवाना चाहिए। डॉक्टर्स को ज्यादा से ज्यादा विजिलेंट होना चाहिए। किसी भी घटना की पुलिस इन्फार्मेशन जरूर दी जानी चाहिए। पुलिस-प्रशासन, मीडिया और डॉक्टर्स में हारमोनी रहनी चाहिए। सामंजस्य बिठा कर काम करेंगे तो यह समाज के लिए भी बेहतर होगा।-डॉ। अंशु अग्रवाल, Former president IMAसमाज के लिए हम अपनी जिम्मेदारी समझते हैं
अगर हमें हॉस्पिटल्स में हो रही अप्रिय घटनाओं को रोकना है तो सबसे पहले तो मौजूदा मानसिकता को समझना होगा। ताकि हम उसके अकॉर्डिंग ही हॉस्पिटल्स की सुरक्षा मेनटेन कर सकें। असल में सिटी के हॉस्पिटल्स में कम खर्च में इलाज की वजह से अनट्रेंड स्टॉफ को भी एंप्लाई बना लिया जाता है, अगर स्टाफ के पास डिग्री होगी तो उसकी चिंता भी करेगा। वह इस तरह की एक्टिविटीज में लिप्त नहीं होगा। यही नहीं स्टाफ की मानसिकता क ो बदलने के लिए भी मोरल वैल्यूज की क्लासेज भी देनी होगी। उनमें संवेदनशीलता बढ़ानी होगी। हॉस्पिटल्स में होने वाले छोटे-छोटे मामलों पर भी जिम्मेदारों को नजर रखनी होगी। जो घटनाएं हुई हैं, उनका मतलब कतई नहीं है कि डॉक्टर्स विलेन हैं। उनकी भी समाज की प्रति जिम्मेदारी है और वह इसे बखूबी समझते हैं। -डॉ। सोमेश मेहरोत्रा, फिजीशियन एंड क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्टफिर से खड़ी करनी होगी भरोसे की दीवार Posted By: Inextlive