मरीज पस्त, डाक्टर व्यस्त
-ओपीडी में मरीजों को छोड़ डाक्टर मिलते है एमआर से
-मरीजों को निशुल्क दवाएं देने का है प्रावधान आगरा। सुबह होते ही शहर ही नहीं दूरदराज क्षेत्रों से भी मरीज इलाज के लिए एसएन पहुंचना शुरू कर देते हैं। लाइन में खड़े होकर ओपीडी का पर्चा बनवाने के बाद संबंधित ओपीडी में इलाज के लिए जाते है। लेकिन, वहां बैठे डॉक्टर मरीजों को साइड कर एमआर (मेडिकल रिप्रेंजेंटेटिव ) से बात करने में अक्सर व्यस्त रहते है। एसएन विभाग की ओर से बाहर की दवा मरीजों को लिखने पर सख्त पाबंदी है, फिर भी डॉक्टर हर मरीज को एक न एक बाहर की दवा लिख रहे है। तंगहाली से जूझ रहे मजबूर मरीज बाहर की महंगी दवा खरीदने पर असमर्थ है। सुबह नौ बजे से जुटना शुरू हो जाते हैएसएन मेडिकल कॉलेज में सुबह के नौ बजते ही कई कंपनियों के एमआर का जुटना शुरू हो जाता है। शाम करीब चार बजे तक यूं ही मजमा जुटा रहता है। घंटो खड़े रहकर एमआर डॉक्टरों से लगातार संपर्क में लगे रहते है। एमआर की सबसे ज्यादा भीड़ गायनिक और बाल रोग विभाग में लगी रहती है। बच्चों को लिखे जाने वाले सीरप, क्रीम, साबुन आदि को बेचने के लिए एमआर डाक्टरों को ओपीडी लगते ही घेर लेते है। जिससे मरीजों को इलाज कराने के लिए इंतजार करना पड़ता है।
54 दवाएं है ओपीडी मरीजों के लिए एसएन मेडिकल विभाग की ओर से ओपीडी में आने वाले जनरल मरीजों के लिए 54 दवाओं की सूची जारी की गई है। यहीं 54 दवाएं गायनिक, बालरोग, ईनटी, न्यूरोसर्जन, स्किन, आर्थोपेडिक, कार्डियोलॉजी, टीबी आदि की ओपीडी में लिखे जाने के निर्देश है। ताकि एक रूपए का पर्चा बनवाकर ओपीडी में आने वाले मरीजों को निशुल्क इलाज के साथ दवाएं मिल सके। लेकिन एमआर की दवाओं को बेचने के लिए डाक्टर ओपीडी के ही पर्चे में बाहर की दवाएं लिख देते है। स्किन विभाग में हर दवा बाहर की एसएन मेडिकल कॉलेज के त्वचा रोग की ओपीडी में लिखी जाने वाली दवाएं अधिकतर बाहर की ही होती है। महंगे महंगे ट्यूब और दवाएं सरकारी विभाग से नही मिल पाती। मरीजों को बाहर से ही खरीदनी पड़ती है। ओपीडी टाइम में नही मिलेंगे एमआरएसएन मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से निर्देश है कि कोई भी डाक्टर ओपीडी के समय में एमआर से नही मिलेगा। उसके बावजूद सुबह दस बजे ही एमआर डाक्टरों के पास चलती ओपीडी में पहुंच जाते है। डाक्टर भी मरीजों को छोड़ एमआर से बातचीत करने में व्यस्त हो जाते है।
हर रोज आता है ढ़ाई हजार मरीज एसएन मेडिकल कॉलेज में सप्ताह में छह दिन लगने वाली ओपीडी में हर रोज दो से ढ़ाई हजार मरीज आता है। एक रूपए का पर्चा बनवाकर संबधित बीमारी वाले वार्ड में दिखाता है। जहां से उसे इलाज के साथ ही फ्री दवाई मिलने का प्रावधान है। लेकिन सिस्टम से परे हर मरीज के पर्चे पर बाहर की दवाई लिखी जा रही है। प्रदेश सरकार ने बढ़ाए नौ करोड़ रूपए प्रदेश सरकार ने अभी हाल ही में एसएन के बजट में नौ करोड़ रूपए बढ़ाए है। पहले दवा और आक्सीजन के लिए साढ़े छह करोड़ रूपए का बजट था। जिसे अब बढ़ाकर आठ करोड़ कर दिया गया है। सर्जिकल सामान के लिए एक करोड़ रूपए था जिसे बढ़ाकर साढ़े चार करोड़ रूपए कर दिया गया है। बढ़ाया गया बजट आई ड्राप, त्वचा रोग, एंटीबायोटिक, बच्चों की दवाएं आदि की लिए स्पेशल लाया गया है।