बीआरडी मेडिकल कॉलेज

-सर्जन कर रहे मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़

-बेड हेड टिकट लेकर सर्जन मरीजों को बाद में बुलाते हैं

GORAKHPUR:

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सर्जन मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। सर्जरी के लिए भर्ती होने वाले मरीजों का बेड हेड टिकट लेकर डॉक्टर उन्हें घर भेज देते हैं। सर्जन मरीजों का नाम अपनी डायरी में दर्ज करके बाद में बुलाने का आश्वासन देतें हैं। इसके बाद मरीज इंतजार और अपने रोग से ऊब कर निजी अस्पतालों में अच्छी खासी रकम खर्च करके सर्जरी करा लेते हैं। दर्द से परेशान मरीजों को डॉक्टर ऑपरेशन थियेटर की कमी का बहाना बना कर शांत कर देते हैं। ऐसे में मरीज चुपचाप सब सहते हुए कहीं कोई शिकायत नहीं करता। ऐसे दर्जनों आपरेशन बीआरडी सर्जनों की डायरी के पन्नों में गुम हो गए हैं।

पूर्वाचल के इकलौते बीआरडी मेडिकल कॉलेज में नेपाल, बिहार सहित जिले के सैकड़ों मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। यहां ऑपरेशन से लगाये बेहतर चिकित्सकीय सुविधा पाने की आस लिए मरीज पहुंचते हैं। लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही से मरीजों को ऑपरेशन के लिए इधर-उधर के धक्के खाने पड़ते हैं। हार्निया, पथरी या अन्य गंभीर ऑपरेशन वाले मरीजों को डॉक्टर्स सिर्फ टाइम दे रहे हैं। वहीं मरीज के ज्यादा जल्दी करने पर उन्हें दूसरी जगह रेफर कर दिया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो पहले डॉक्टर्स मरीजों की भर्ती प्रक्रिया पूरी कर उनकी फाइल तैयार करा लेते हैं। इसके बाद बुलाने का आश्वासन देकर मरीज को घर भेज देते हैं।

मरीज ले रहे निजी अस्पतालों का सहारा

बीआरडी में मरीजों का ऑपरेशन में लेटलतीफी के चलते वह अब निजी अस्पताल का सहारा ले रहे हैं। सूत्रों की मानें तो अस्पताल में सक्रिय दलाल मरीजों को अपने झासे में लेकर उन्हें प्राइवेट अस्पताल का रास्ता दिखाते हैं। इतना ही नहीं मरीज के तीमारदार से ऑपरेशन की रकम पहले ही फिक्स कर दी जाती है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज में मरीज के साथ आए तीमारदार ठगी का शिकार भी हो रहे हैं। बावजूद इसके मेडिकल कॉलेज प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रहा है।

अधर में लटका माड्यूलर ओटी का कार्य

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 14 माड्यूलर ओटी का प्रस्ताव भेजा था। शासन स्तर से पिछले साल ही 22 करोड़ रुपये अवमुक्त कर दिए गए। कार्यदायी संस्था द्वारा माड्यूलर ओटी बनाने का कार्य शुरू किया गया। लेकिन एक साल में सिर्फ गायनी ओटी ही तैयार हो सकी। अभी भी 13 माड्यूलर ओटी बनाने का कार्य चल रहा है। वह कब पूरा होगा इसके बारे में किसी को नहीं पता है।

मरीजों की मजबूरी का फायदा उठा डॉक्टर्स

आर्थिक तंगी और मजबूरी की वजह से दूर - दराज से आने वाले मरीजों को एक मात्र सहारा बीआरडी मेडिकल कॉलेज हैं। जहां एक उम्मीद के साथ मरीज अपना इलाज कराने आता है। लेकिन यहां तो उन्हें इलाज के नाम पर ठगी का शिकार होना पड़ता है। तो दूसरी तरफ उनकी मजबूरी का फायदा डॉक्टर्स भी उठाते हैं। आलम यह है कि यहां मरीजों को वेटिंग बताकर उन्हें निजी अस्पताल का रास्ता दिखाया जाता है।

कोट

केस 1-मेरे पेट में काफी दर्द रहता है। नौ माह पहले सर्जरी विभाग में डॉक्टर से दिखया। डॉक्टर्स ने ऑपरेशन करवाने की सलाह दी। आंत का पहला ऑपरेशन हुआ, दूसरे ऑपरेशन के लिए कई बार डॉक्टर से मिला लेकिन लेकिन अभी तक कोई डेट नहीं मिली। इसे लेकर परिवार के लोग तो परेशान ही है। मेरी भी मुश्किलें बढ़ गई हैं।

अजय गुप्ता, नाहरपुर गुलरिहा

मेरी पत्‍‌नी का ऑपरेशन होना है। सर्जरी विभाग में पहले ही उसे भर्ती कर लिया गया। बाद में डॉक्टर ऑपरेशन के लिए डेट पर डेट दे रहे हैं। जिसकी वजह से पेशेंट का दर्द बढ़ता जा रहा है। बावजूद यहां पर कोई सुनने वाला नहीं है। वह सिर्फ ऑपरेशन थियेटर खाली होने का हवाला देकर बुलाने का आश्वासन दे रहे हैं।

विनोद कुमार, कुशीनगर

वर्जन

कार्यदायी संस्था द्वारा जनवरी माह में ही माड्यूलर ओटी हैंडओवर करने की बात की थी लेकिन ऑपरेशन थियेटर में कार्य बढ़ने की वजह से लेट हो रहा है। उधर, ट्रामा सेंटर की ओटी में तीन से चार ऑपरेशन किए जा रहे हैं। इसके बावजूद थोड़ी दिक्कत हो रही है। जिसे जल्द ही दूर कर लिया जाएगा।

डॉ। रमाशंकर शुक्ला, एसआईसी बीआरडी मेडिकल कॉलेज

Posted By: Inextlive