खिड़की काटकर प्रशासनिक भवन से बाहर फेंके गए पुराने दस्तावेज
- एलयू में प्रशासनिक भवन की खिड़की काटकर बाहर फेंके गए पुराने दस्तावेज
- कबाड़ी को बुलाकर चुपके से सारा रिकार्ड नष्ट करने की तैयारी lucknow@inext.co.in LUCKNOW : एलयू में फर्जी मार्कशीट के गोरखधंधे का राज खुलने के बाद उससे जुड़े लोगों को बचाने का काम शुरू हो गया है. रिकार्डो को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है. बुधवार को एग्जाम डिपार्टमेंट से कई गोपनीय दस्तावेज चोरी करने की कोशिश की गई. प्रशासनिक भवन की तीसरी मंजिल पर रखे गए रिकार्ड को खिड़की काटकर नीचे फेंका गया. जानकारी मिलते ही कुलसचिव एसके शुक्ला सुरक्षाकर्मियों से वहां पहुंचे, जिन्हें आता देख दस्तावेजों को बोरों में भर रहे कबाड़ी वहां से भाग गए. कबाडि़यों का ठेला जब्त कर दस्तावेज किसने और क्यों फेंके हैं, इसका पता लगाया जा रहा है. वहीं इस पूरे मामले की जांच के भी आदेश दे ि1दए गए हैं.उठ रहे कई सवाल
गौरतलब है कि एलयू में एग्जाम डिपार्टमेंट के फर्जी मार्कशीट रैकेट की जांच चल रही है. इसमें विभाग के कई कर्मचारियों के साथ बड़े अधिकारियों के शामिल होने की भी आशंका है. ऐसे में इन दस्तावेजों को गायब करने की नाकाम कोशिश कई सवालों को जन्म दे रही है.
17 अप्रैल को हुआ था खुलासापुलिस ने 17 अप्रैल को फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गिरोह का खुलासा किया था. एग्जाम डिपार्टमेंट का चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नायाब हुसैन इसमें मुख्य कड़ी के रूप में सामने आया था. उससे पूछताछ में तीन अन्य लोगों के भी इसमें शामिल होने की बात पता चली थी. इस आधार पर नायाब हुसैन, वरिष्ठ क्लर्क राजीव पांडेय, जूनियर क्लर्क संजय सिंह और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी गया बक्श सिंह को तत्काल निलंबित कर वीसी के निर्देश पर एसएसपी लखनऊ को पत्र लिखकर इस मामले की जांच को कहा गया था.
खिड़की काटकर फेंका नीचे मामला दोपहर करीब ढ़ाई बजे का है. किसी ने प्रशासनिक भवन के तीसरे खंड की खिड़की काटकर यह दस्तावेज नीचे फेंक दिए. नीचे खड़ा व्यक्ति इन्हें एक गाड़ी में भर रहा था. सुरक्षाकर्मियों ने इसकी जानकारी प्रॉक्टर प्रो. विनोद सिंह को दी तो उन्होंने मामले को टाल दिया. उसके बाद कुलसचिव एसके शुक्ल को इसकी जानकारी दी गई. वह तुरंत मौके पर पहुंचे लेकिन, तब तक दस्तावेज गायब करने में लगे लोग भाग निकले. पीएचडी, यूजी से जुड़े दस्तावेजप्रारंभिक जांच में इसमें पीएचडी से जुड़े दस्तावेज पाए गए हैं. इसके अलावा स्टूडेंट्स के दाखिले, माइग्रेशन से लेकर अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज भी इसमें शामिल हैं. जानकारों की मानें तो फर्जी मार्कशीट प्रकरण में प्रशासनिक पदों पर बैठे कुछ गुरुजनों की गर्दन भी फंस रही हैं, इसलिए यह सारा खेल िकया गया.
सभी दस्तावेजों को जब्त कर जांच के आदेश दे दिए गए हैं. दस्तावेज काफी पुराने हैं इनमें पीएचडी से जुड़े दस्तावेज ज्यादा हैं. एसके शुक्ला, रजिस्ट्रार