महिला अस्पताल को अव्यवस्था का मर्ज
बाल संरक्षण आयोग की टीम ने किया दौरा
मरीजों ने गिनाई परेशानियां तो अस्पताल स्टाफ ने रोया सिस्टम का रोना आयोग की अध्यक्ष ने दिए सुविधाओं पर फोकस के निर्देश देहरादूनमहिला अस्पताल में लगातार मरीजा के इलाज में लापरवाही के मामले सामने आने पर टयूजडे को बाल संरक्षण आयोग की टीम ने औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण में महिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं की पोल खुल गई। गर्भवती और प्रसूताओं के लिए अलग अलग वार्ड तक नहीं था। यहां तक की प्री डिलीवरी वार्ड में ही प्रसूताओं और नवजात बच्चों को भी रखा था। अव्यवस्थाएं देखकर बाल आयोग की अध्यक्ष तैश में आ गई और स्टाफ को फटकार लगाई। साथ ही व्यवस्थाएं सुधारने की चेतावनी भी दी। महिला अस्पताल के स्टाफ ने भी समस्याओं का रोना रोया तो बाल आयोग की टीम ने जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य से जुडी परेशानियों को लेकर बाल आयोग को भी अवगत कराने का सुझाव दिया।
मैडम,नर्स अच्छा व्यवहार नहीं करती:बाल आयोग की टीम ने दून महिला अस्पताल के सभी वार्ड, आईसीयू, एनआईसीयू, लेबर रूम समेत सभी जगह दौरा कर अस्पताल का हाल आंखों से देखा। मरीज और उनके परिजनों से भी बात की। अधिकतर मरीजों और परिजनों की शिकायत यह थी कि अस्पताल का स्टाफ अच्छा व्यवहार नहीं करता। सिवाय एक डॉक्टर परिजनों ने नाम भी बताया के दूसरे डॉक्टर और नर्स से मरीज या परिजन कोई परेशानी बताने के लिए बात भी करें तो झिड़क देते हैं। ऐसे में यहां मरीज को भर्ती रखने के दौरान बदतमीजी सहन करनी पड़ती है।
- मरीजों ने गिनाई परेशानी -स्टाफ अच्छा व्यवहार नहीं करता -अस्पताल मेंगंदगी बहुत रहती है -रजिस्ट्रेशन में दिक्कत आती है -वार्डो में सुविधाओं की कमी है -प्री, पोस्ट डिलीवरी के लिए अलग वार्ड नहीं -लोड बढ़ने पर भर्ती से ही मना कर देतें हैं अस्पताल स्टाफ ने गिरानी परेशानी -सुविधाओं के लिए लिखते हैं कोई नहीं सुनता -मरीज और परिजन ही फैलाते हैं गंदगी -स्टाफ की सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी बाल आयोग टीम के सुझाव -सुविधाओं की डिमांड में आयोग को भी प्रतिलिपि भेजें -मरीजों और परिजनों से व्यवहार सुधारे - नवजात बच्चों का खास ख्याल रखा जाए -इंफेक्शन से बचाने के लिए अलग वार्ड में रखें -हर मरीज का फर्स्ट चेकअप में ही रजिस्ट्रेशन करें -गर्ल चाइल्ड अबॉर्शन केसेज में कमी लाने के प्रयास नवजातों को इंफेक्शन का खतरा:बाल आयोग की टीम को महिला अस्पताल में सबसे बड़ी खामी नवजातों को इंफेक्शन के खतरे के रूप में नजर आई। अस्पताल में प्री डिलीवरी,पोस्ट डिलीवरी वाली महिला मरीजों को एक ही वार्ड में रखने में सबसे बड़ा खतरा नवजात बच्चों को नजर आया। ऐसे में बच्चों को इंफेक्शन हो सकता है। वार्ड के अलावा बाल आयोग की टीम ने एनआईसीयू भी देखा। वहां सात बच्चे भर्ती मिले। वहां का प्रबंधन संतोष जनक था।
2 सदस्यीय टीम पहुंची महिला अस्पताल बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी और सदस्य शारदा त्रिपाठी ने किया निरीक्षण 2 घंटे तक किया निरीक्षण बाल आयोग की टीम ने करीब 2 घंटे तक महिला अस्पताल में मरीज और स्टाफ से बातचीत की 7 नवजात थे एनआईसीयू में महिला अस्पताल की नवजात आईसीयू में 7 बच्चे भर्ती थे, उनके इलाज और स्थिति को देखा