- धूल फांक रही फाइलों की जांच के दौरान डिप्टी डायरेक्टर रश्मि सिंह के हाथ लगे कई अहम सबूत

- कार्यक्रम विभाग के पूर्व डीपीओ, सीडीपीओ, परियोजना बाबू की विभागीय स्तर से हो रही जांच

BAREILLY:

जिला कार्यक्रम विभाग। वैसे तो इसकी जिम्मेदारी बच्चों की भूख को मिटाने की है ताकि, कोई बच्चा कुपोषित न हो जाए, लेकिन विभाग की उच्चाधिकारी की जांच में जो खुलासा हुआ वह हैरान कर देने वाला है। विभाग के अधिकारी बच्चों की भूख मिटाने की बजाय अपनी ही क्षुधा शांत करने में लगे हैं। यही वजह है कि बच्चों के हिस्से की पंजीरी कागजों में ही बंट गई। फिलहाल जांच शुरू होने से आरोपी अधिकारियों मे खलबली मच गई है।

पूर्व डीपीओ पर गिरेगी गाज

जांच के दौरान डिप्टी डायरेक्टर को पूर्व डीपीओ राजेश कुमार के खिलाफ बाल विकास परियोजना के तहत कुपोषित बच्चों को स्वस्थ बनाने के लिए हॉटकुक्ड योजना में घोटाला करने के सुबूत मिले, जिसमें बाल विकास कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों को पुष्टाहार केवल कागजों में ही बांटे गए। शेरगढ़ इलाके के तमाम केंद्रों पर योजना लागू किए बगैर पूरा खर्च दिखाया गया। पिछले तीन साल का रिकार्ड खंगाला गया तो गड़बड़ी साफ नजर आई। हॉटकुक्ड योजना की रकम का दुरुपयोग, सामान की खरीद-फरोख्त में नवाबगंज समेत अन्य ब्लॉकों के आंगनबाड़ी केंद्रों के सुपरवाइजर्स के खातों में करीब 7 लाख ज्यादा राशि ट्रांसफर करने की बात सामने अाई है।

ख्8 लाख की खरीद-फरोख्त

दो माह पहले पूर्व प्रभारी डीपीओ राजेश कुमार के जाने के बाद डीपीओ बुद्धि मिश्रा ने पद संभालने के करीब क्भ् दिन बाद ही आंगनबाड़ी केंद्रों पर प्रशासनिक निर्देश के बगैर करीब ख्8 लाख रुपए के सामानों के खरीद-फरोख्त कर लिए। डीपीओ ने सफाई दी कि पूर्व डीपीओ ने कार्यकाल के दौरान योजनाओं और केंद्रों के रखरखाव के लिए शासन से मिली रकम खर्च नहीं की थी। फाइनेंशियल ईयर खत्म होने को था। इसीलिए उन्होंने प्राप्त राशि का उपयोग किया।

जांच के घेरे में सीडीपीओ

डिस्टिक्ट के सी क्भ् ब्लॉकों में कार्यक्रमों के संचालन का जिम्मा संभालने में लापरवाही, हीलाहवाली समेत फर्जीवाड़ा के कारनामे प्रकाश में आए हैं। समेकित बाल विकास योजना और हॉटकुक्ड योजना में पूर्व डीपीओ संग पूर्व सीडीपीओ शांति देवी, नवाबगंज की सीडीपीओ मीना का नाम प्रकाश में आया है, जिन्होंने सरकारी रकम का दुरुपयोग किया है, लेकिन डिप्टी डायरेक्टर को जांच के दौरान पूर्व सीडीपीओ शांति देवी के कई रिकॉर्ड गायब मिले। जबकि मीना ने इस पर फिलहाल कोई जवाब नहीं दिया। वहीं, रिकॉर्ड गायब करने और उससे खेल करने में परियोजना बाबू भी संदेह के घेरे में हैं।

सुपरवाइजर्स पर भी नजर

आंगनबाड़ी के संचालन, बाल पुष्टाहार वितरण और कुपोषित बच्चों की पहचान में लापरवाही बरतने पर आंगनबाड़ी सुपरवाइजर्स को प्रशासन ने कई बार फटकार लगाई है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले वर्ष नवंबर माह में प्रशासन की तरफ से कुपोषण मुक्त बरेली अभियान में सुपरवाइजर्स की कई शिकायतें मिलीं। जिस पर आयोजित समीक्षा बैठक में तत्कालीन डीएम ने क्भ् ब्लॉकों के करीब सभी सुपरवाइजर्स की क्लास लगाई थी। साथ ही उन्हें एक माह के अंदर कार्यप्रणाली सुधारने और घर घर पहुंचकर बच्चों में कुपोषण और गर्भवती महिलाओं को पोषण की जानकारी देने के निर्देश दिए थे, लेकिन डीएम के स्थानांतरण के बाद मामला जस का तस हो गया।

पूर्व डीपीओ और संबंधित सीडीपीओ पर विभागीय स्तर की जांच हो रही है। विभाग की कई शिकायतों की जांच के लिए कार्यक्रम विभाग की डिप्टी डायरेक्टर आई थीं, जिन्हें विभाग में फर्जीवाड़ा के सुबूत मिले हैं।

बुद्धि मिश्रा, डीपीओ

Posted By: Inextlive