- आईएमए द्वारा तैयार किया गया मसौदा

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देहरादून: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने नर्सिग होम एक्ट का खाका तैयार कर लिया है। इसमें क्लीनिक से लेकर डे केयर सेंटर, डायग्नोस्टिक, फिजियोथेरेपी व आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी सहित अन्य पुरातन चिकित्सा पद्धति को अलग-अलग वर्गीकृत किया गया है। आईएमए ने इसमें कुछ कड़े प्रावधान भी किए हैं। गैर पेशेवर व्यक्ति के नाम पर किसी भी चिकित्सा इकाई का पंजीकरण नहीं होगा। इसके अलावा डायग्नोस्टिक रिपोर्ट पर डॉक्टर का हस्ताक्षर अनिवार्य होगा। यानी एक पंजीकरण पर कई-कई सेंटर चलाना अब मुमकिन नहीं है, हालांकि पर्वतीय इलाकों के लिए कुछ रियायत देने का सुझाव भी दिया गया है।

शासन को सौंपा जाएगा ड्राफ्ट

आईएमए उत्तराखंड शाखा की रविवार को आम सभा हुई, जिसमें सर्वसम्मति से नर्सिग होम एक्ट के खाके पर मुहर लग गई। बता दें कि क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को केंद्र सरकार ने 2010 में पारित कर दिया था। साथ ही सभी राज्यों को इसे कड़ाई से लागू कराने की बात कही थी। उत्तराखंड में यह एक्ट साल 2013 में विधानसभा में पारित किया गया, लेकिन इसे अभी लागू नहीं किया जा सका है। जिसका कारण है कि निजी चिकित्सकों को इसके कुछ प्रावधानों पर आपत्ति है। हाल में इसे लेकर आइएमए पदाधिकारियों की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ वार्ता हुई थी, जिसमें यह तय हुआ कि इस पर बीच का रास्ता निकाला जाएगा। इस उद्देश्य से क्या प्रावधान अपनाए जाएं, इसके लिए शासन, विभाग और डॉक्टरों की एक समिति का गठन किया गया है। अब आईएमए ने इसका प्रारूप तैयार कर लिया है, आईएमए के प्रांतीय महासचिव डॉ। डीडी चौधरी ने बताया कि इसमें तमाम सुझाव शामिल किये गए हैं। यह तकरीबन 60-70 पेज का ड्राफ्ट है। रविवार को आयोजित बैठक में इस पर मुहर लग गई। अगले तीन दिन के भीतर इसे शासन के सुपुर्द कर दिया जाएगा।

Posted By: Inextlive