-काली नदी के चलते हैंडपंप से निकल रहा लाल पानी, दूषित पानी पीने को मजबूर ग्रामवासी

Meerut: इसे जनप्रतिनिधियों की अनदेखी कहें या अफसरों की लापरवाही। शहर से सटा गोकलपुर गांव बदहाली पर आंसू बहा रहा है। जी हां बगल से निकल रही काली नदी के कारण गांव का पानी पूरी तरह विषैला हो चला है। गांव में 6000 हजार की मिश्रित आबादी है। गांव और उसके आसपास लगे सरकारी नल भी लाल पानी दे रहे हैं। जो पीने तो क्या नहाने के योग्य भी नहीं है। डॉक्टरों का मानना है दूषित पानी पीने से मानव शरीर में दर्जनों बीमारियां पनपती हैं। जो मनुष्य के लिए बेहद हानिकारक है। इसके अलावा गांव में सफाई व्यवस्था बदहाल है। ज्यादातर रास्ते नालियों से निकली कीचड़ से अटे पड़े हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि सफाई कर्मचारी कई-कई माह तक नदारत रहते हैं। साथ ही बिजली की हालत भी ठीक नहीं है। आरोप है कि 24 घंटे में चार घंटे भी ठीक से बिजली आ जाए तो गनीमत है। लोड अधिक होने के चलते दूसरे दिन ट्रांसफॉर्मर फुंका पड़ा रहता है। गांव की समस्याओं पर पेश है आई नेक्स्ट की रिपोर्ट

समस्या नंबर:1

गोकलपुर की बगल से बह रही काली नदी गांव का पानी दूषित होने का सबसे बड़ा कारण है। काली नदी में दर्जनों फैक्ट्रियों का केमिकल युक्त पानी हर समय बहता रहता है। जो जल की सतह पर जाकर पानी को दूषित कर रहा है। गांव व उसके आसपास के क्षेत्र की जमीन के 150 फिट तक इस पानी का प्रभाव है। इसी के चलते गांव के हैंडपंपों से लाल रंग का पानी निकल रहा है।

दूषित पानी का स्वास्थ्य पर प्रभाव

डॉ। तनुराज सिरोही के अनुसार जब पानी विषैले केमिकल मिलकर दूषित हो जाता है। तो उसे पीने से लीवर, किडनी, पीलिया, टाईफाइड, पेचिस, व पेट संबंधित दर्जनों बीमारियां जन्म ले लेती हैं, जो मानव शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक हैं।

पाइपलाइन में नहीं आता पानी

काली नदी की समस्या को देखते हुए गांव में सप्लाई का पानी देने के लिए दो साल पहले पाइपलाइन बिछाई गई थी, लेकिन तीन-तीन माह के लिए गांव में सप्लाई का पानी नहीं आता। साथ ही पाइप लाइन कमजोर होने के चलते जगह-जगह से फूटी पड़ी है। कि मजबूरन गांव वालों को दूषित पानी ही पीना पड़ रहा है। जल बोर्ड में शिकायत के बाद भी गांव को पानी की सप्लाई नहीं दी जा रही है।

समस्या नंबर:2

गांव में सफाई व्यवस्था का हाल भी खस्ता है। गांव के मुख्य रास्ते पर जगह-जगह कीचड़ व कूड़े के ढेर लगे हैं। पूरा गांव एक तरह से डंपिंग ग्राउंड बना हुआ है। ग्रामीणों का आरोप है कि यहां पर सफाई कर्मचारियों के एक-एक माह दर्शन नहीं होते। साथ ही सफाई कर्मचारी जब कभी आते हैं तो प्रधान के घर पर बैठकर चले जाते हैं, जिसके चलते गांव कूडे़ ढेर में तब्दील हो रखा है।

समस्या नंबर:3

गांव बिजली की समस्या का दंश भी झेल रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि 24 घंटे में महज चार घंटे ही गांव को बिजली मिल पाती है। उसमें भी हर दूसरे दिन लोड अधिक होने के चलते ट्रांसफॉर्मर जल जाता है। इसके चलते कई-कई दिन तक गांव बिजली विहीन रहता है। जबकि यह गांव कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर की विधानसभा क्षेत्र में आता है।

पानी की समस्या से समस्त ग्रामीण परेशान हैं। हैंडपंप से निकल रहे पानी से न तो चाय बनती है और न ही दाल गलती है। साथ ही पानी पीने से लोगों में बीमारियां पनपती जा रही हैं।

-राजेन्द्र कुमार, ग्रामीण

पानी की समस्या को कई बार जिला मुख्यालय पर उठाया गया, लेकिन आश्वासन के बाद कार्रवाई नहीं हुई। गांव के लोग जब पानी बहुत ज्यादा खराब आता है तो पीने के लिए मिनरल वॉटर खरीदने के लिए मजबूर होते हैं। गरीब लोग उसी दूषित पानी को पीकर काम चलाते हैं।

-नंद किशोर, ग्रामीण

सफाई को लेकर एक डंपिंग ग्राउंड की जरूरत है। मंत्री जी को भी कई बार समस्या से अवगत करा चुके हैं, लेकिन आज तक कोई व्यवस्था नहीं हुई। इसके चलते गांव में ही कूड़े के ढेर लगे रहते हैं।

-अनिल कुमार, ग्रामीण

पिछले एक साल से यही खेल चल रहा है। गांव वाले चंदा एकत्र कर ट्रांसफॉर्मर ठीक कराते हैं। दो दिन बाद फिर से फुंक जाता है। साथ ही बिजली भी ज्यादा से ज्यादा चार घंटे ही आती है।

-विपिन कुमार, ग्रामीण

गांव का कूड़ा रोजाना उठाने के लिए सफाई कर्मचारियों को कहा गया है। बावजूद इसके भी कर्मचारी अपना काम नहीं कर रहे हैं। इसके लिए मैं क्या कर सकता हूं।

-आनंद कुमार, प्रधान पति

Posted By: Inextlive