Bareilly: ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आने वाले दिनों में कैंडीडेंट्स को टेस्टिंग ट्रैक पर से गुजरना होगा. मैनुअल ड्राइविंग टेस्‍ट के लिए आरटीओ द्वारा टेस्टिंग ट्रैक बनाए जाने की योजना है. टेस्टिंग ट्रैक पर ड्राइविंग टेस्‍ट पास करने के बाद ही आरटीओ की ओर से कैंडीडेंट्स को लाइसेंस जारी किया जाएगा. मैनुअल ड्राइविंग टेस्ट के लिए टेस्टिंग ट्रैक बनाए जाने का काम स्टेट लेवल पर होना है. एक्सिडेंट की बढ़ती हुई घटनाओं को देखते हुए डिपार्टमेंट की ओर से टेस्टिंग ट्रैक बनाए जाने है. डिपार्टमेंट का ऐसा मानना है कि टेस्टिंग ट्रैक पर चालक का मैनुअल ड्राइविंग टेस्ट होने से एक्सिडेंट की घटनाओं पर बहुत हद तक रोक लग सकेगी.


ट्रैक पर होगा ड्राइविंग टेस्टस्टेट में जिन जगहों पर आरटीओ की अपनी जगह है, वहां पर फर्स्ट फेज में ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक बनाया जाएगा। इसके अलावा अन्य आरटीओ पर जमीन अवेलेबल होने पर ट्रैक बनाए जाने का काम होगा। फाइनेंशियल ईयर के 2013- 2014 में फर्स्ट फेज में 10 जगहों पर टेस्टिंग ट्रैक बनाए जाने है। फर्स्ट फेज में लखनऊ, गाजियाबाद, मुरादाबाद, कानपुर, अलीगढ़, आगरा, मेरठ, हरदोई, सीतापुर और गोंडा में मैनुअल ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक बनाया जाना प्रस्तावित है। अधिकारियों के अकॉर्डिंग बरेली में मैनुअल ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक बनाए जाने के लिए शाहजहांपुर में जमीन देखी गई थी लेकिन वहां जमीन फाइनल नहीं हुई। जमीन फाइनल होने के बाद ही ट्रैक बनाया जाएगा।450 वर्गमीटर में बनेंगे ट्रैक


ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक 450 वर्गमीटर में बनाया जाएगा। एक टेस्टिंग ट्रैक बनाए जाने में करीब 6.11 लाख रुपए का खर्च आएगा। फर्स्ट फेज में एक टेस्टिंग ट्रैक बनाने में करीब 6.1 लाख रुपए का खर्च आएगा। अधिकारियों के अकॉर्डिंग यह टेस्टिंग ट्रैक टू एंड फोर व्हीलर दोनों ही वाहनों के लिए होगा।क्या है नियम

एमवी एक्ट 1988 के अधीन बनायी गई, केद्रीय मोटरयान नियमावली 1989 के नियम 15 में ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने से पहले कैंडीडेंट्स का टेस्ट लेना चाहिए। टेस्ट में पास होने के बाद ही कैंडीडेट्स को लाइसेंस जारी किया जाना चाहिए। जिससे चालक द्वारा ड्राइविंग के दौरान किसी भी प्रकार से गलती करने के चांसेज कम रहे।क्यों पड़ी जरूरतअधिकारियों के अकॉडिंग स्टेट में रोड एक्सिडेंट एक गंभीर समस्या है। लोगों द्वारा ड्राइविंग नियमों की अनदेखी करना सबसे बड़ी समस्या है। एक अनुमान के अकॉर्डिंग दो तिहाई से अधिक एक्सीडेंट चालक की गलती के कारण ही होती है। स्टेट में आरटीओ में निर्धारित प्रक्रिया के अकॉर्डिंग ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने से पूर्व ड्राइविंग टेस्ट लिया जाना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं हो पाता है। इसलिए एक्सपर्ट चालकों को ही लाइसेंस जारी हो सके इसके लिए ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक बनाए जाने है।ट्रेनिंग स्कूल भीइसके अलावा हैवी व्हीकल चलाने का ट्रेनिंग भी डिपार्टमेंट खुद देगा। ट्रेनिंग पूरा करने वाले चालक ही लाइसेंस पा सकेंगे। इसके लिए लखनऊ मुख्यालय से गवर्नमेंट को प्रस्ताव भेजा गया है। हादसों पर रोक लगाने सभी स्टेट में ड्राइविंग स्कूल खोलने की योजना बनाई है।'रोड एक्सीडेंट की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए टेस्टिंग ट्रैक बनाए जाने का प्लानिंग है। बरेली के लिए शाहजहांपुर में जमीन दे भी गई थी। लेकिन वहां जमीन फाइनल नहीं हो सकी है। पूरे स्टेट में टेस्टिंग ट्रैक बनाए जाने है.'-शिवपूजन त्रिपाठी, आरटीओ

Posted By: Inextlive