-- Antibiotic दवाओं की बिक्री पर government ने लगाया अंकुश

- Medical stores को रखना होगा पूरा record, बिना डॉक्टरी पर्चे के नहीं मिलेंगी दवाएं

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ALLAHABAD: माना कि जीवन रक्षक एंटीबायोटिक दवाएं बीमारी में तेजी से फायदा करती हैं, लेकिन इनके साइड इफेक्ट भी कम नहीं हैं। इनका यूज अगर बिना डॉक्टरी सलाह के किया जाए तो लेने के देने पड़ सकते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए सेंट्रल गवर्नमेंट ने नया रूल लागू कर दिया है। अब ये दवाएं बिना डॉक्टरी पर्चे के नहीं मिलेंगी। केमिस्ट्स मनमानी न कर सकें, इसलिए रूल में मरीज और डॉक्टर का पूरा रिकार्ड रखने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। उधर इस रूल के लागू होने से पहले मार्केट में खलबली मच गई है। केमिस्ट्स ने इसका पुरजोर विरोध करने का फैसला किया है।

दायरे में होंगी चार हजार से अधिक दवाएं

सेंट्रल गवर्नमेंट का यह रूल एक मार्च 2014 से लागू हो जाएगा। इसे शेड्यूल एच वन नाम दिया गया है। इसमें कुल 40 मॉलीक्यूल्स शामिल किए गए हैं। इनके सॅाल्ट या कॉम्बिनेशन से चार हजार से अधिक एंटीबॉयोटिक दवाएं तैयार होती हैं। इनमें टेबलेट, कैप्सूल सहित टीबी ग्रुप, कफ सिरप, इंजेक्टेबल ड्रग्स भी शामिल हैं। जानकारी के मुताबिक इन दवाओं की जबरदस्त सेलिंग होती है। डिमांड ज्यादा होने की वजह से इन्हें बिना प्रिस्क्रिप्शन भी दे दिया जाता है। ऐसे में गवर्नमेंट इन दवाओं के मिसयूज को रोकने के लिए यह रूल लागू करने जा रही है।

रखना होगा ये record

इस रूल के अंतर्गत मेडिकल स्टोर्स को इस मॉलीक्यूल्स से बनी दवाओं को बेचने से पहले पूरा रिकार्ड अपने पास रखना होगा। इसमें डॉक्टर के पर्चे की फोटोकॉपी, मरीज का नाम और उम्र आदि शामिल हैं। रिटेलर्स के अलावा होल सेलर्स को भी दवाओं की सप्लाई का पूरा रिकार्ड रखना होगा। यह सभी रिकार्ड तीन साल तक संभालने होंगे। इस दौरान कभी भी ड्रग डिपार्टमेंट इसे चेक कर सकता है। रिकार्ड नहीं मिलने पर ड्रग लाइसेंस सस्पेंड कर दिया जाएगा। यह रूल डिस्ट्रिक्ट की दो हजार होल सेलर्स और लगभग पांच हजार रिटेलर्स पर लागू होना है।

बॉक्स

Practicaly कैसे follow होंगे rules

नियम भले ही लागू होने में देर हो, लेकिन विरोध अभी से शुरू हो गया है। रिटेलर्स और होल सेलर्स का कहना है कि प्रैक्टिकली इतना रिकार्ड रखना पॉसिबल नहीं होगा। कई बार पेशेंट सीरियस कंडीशन में आते हैं और ऐसे में उनसे पर्चे की फोटोकॉपी मांगना मुश्किल होगा। इसके अलावा 50 फीसदी पेशेंट के पास मौजूद पर्चे में डॉक्टर का नाम नहीं होता है। होल सेलर्स का कहना है कि गवर्नमेंट को इस रूल को लागू करने से पहले एमसीआई से रिकग्नाइज्ड डॉक्टर्स की सूची अवेलेबल करा देनी चाहिए। ताकि सप्लाई के दौरान उन पर आरोप न लगें। 16 फरवरी को आजमगढ़ में हुई एसोसिएशंस की बैठक में इस रूल को वापस लेने की मांग करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी गई है।

क्या हैं नुकसान

एंटीबायोटिक दवाओं के फायदे जितने हैं, उतने नुकसान भी हैं। ये दवाएं फटाफट रिलीफ देने के साथ बॉडी इम्युनिटी भी कम करती हैं। ऐसे में बिना डॉक्टरी सलाह के बार-बार इनका मनमाना यूज करने से बॉडी को नुकसान हो सकता है। इसीलिए कुल 46 इंपार्टेट मॉलीक्यूल्स को शेड्यूल एच वन में शामिल किया गया है।

Rule में शामिल molecules ये हैं-

अल्प्राजोलम, बोलाफ्लाक्सासिन,बूप्रेनॉर्फिन,सेप्रामाइसिन,सेफडिनिर,केफपिम, सेफिक्सिम,सेफोपेराजोन,सेफोटाक्सिम,सेफ्टीब्यूटेन,क्लोरडियाजेपोक्साइड,क्लोफाजिमिन,साइक्लोसेरिन,डायजापाम,डाइफेनाक्जाइलेट,डोरिपेनेम,एरटापेनेम,एथियोनामाइड, फेरोपेनेम,जेमिफ्लाक्सासिन,आइसोनियाजिड,लेवोफ्लाक्सासिन,मेरोपेनेम,नाइट्राजेपाम, पेंटाजोसिन,प्रूलिफ्लाक्सासिन,पाइराजाइनामाइड,रिफाब्यूटिन,रिफाम्पिसिन,थियासेटाजोन,- ट्रेमाडोल,जोलपिडेम

वर्जन

व्यवहारिक रूप से इस नियम को मानना पॉसिबल नहीं है। पछले दिनों आजमगढ़ में यूपी के सभी एसोसिएशंस की मीटिंग हुई थी। जिसमें नियम वापस लेने की मांग की गई। अगर ऐसा नहीं हुआ तो धरना-प्रदर्शन और स्ट्राइक की जाएगी।

परमजीत सिंह, जनरल सेक्रेटरी, इलाहाबाद केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन

एंटीबॉयोटिक दवाओं के मिसयूज और साइड इफेक्ट को देखते हुए गवर्नमेंट ने यह रूल लागू किया है। यह एक मार्च से प्रभावी हो जाएगी। रूल में शामिल मॉलीक्यूल्स से बनी दवाओं को अब बिना रिकार्ड नहीं बेचा जा सकेगा। अगर रूल की अनदेखी की गई तो लाइसेंस सस्पेंड कर दिया जाएगा।

एसके चौरसिया, ड्रग इंस्पेक्टर

Posted By: Inextlive