यहां दवा की तरह मिलता है जहर
- राजघाट के हावर्ट बंधे पर चलता है नशे का खुला कारोबार
- खुलेआम होता है कारोबार और पुलिस की आंख रहती है बंद - स्मैक, गांजा, शराब की भट्टी, 500 मीटर की रोड पर सब है मौजूद GORAKHPUR : राजघाट का हावर्ट बंधा, सुनसान रहने वाले इस एरिया में नशेडि़यों की महफिल सजती है। यहां दवा की तरह जहर बिकता है। हावर्ट बंधे के आधे किलोमीटर के एरिया में नशे का खुला बाजार लगता है। यहां स्मैक, गांजा, चरस, कच्ची शराब, हर नशा मौजूद है जो सिटी के युवाओं के जिस्म को खोखला कर रहा है। इसकी जानकारी पुलिस को भी है, लेकिन कमीशन के चलते वो भी चुप्पी साधे हुए है। इसकी भनक आई नेक्स्ट को लगी तो हमने भी हावर्ट बंधे पर चल रहे नशे के इस खेल को एक्सपोज करने की ठानी। पैसे दो, माल लोआई नेक्स्ट रिपोर्टर को सूचना मिली कि राजघाट के हावर्ट बंधे पर नशे का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। इसकी तस्दीक करने आई नेक्स्ट टीम बंधे पर पहुंची। बंधे के एक ओर मकान बने हुए हैं, जबकि दूसरी तरफ राप्ती के किनारे अवैध कच्चे मकान और कुछ दुकानें हैं। हमें कच्चे मकान के आस-पास कुछ लोगों की भीड़ दिखाई दी। उस मकान से निकलकर लड़खड़ाते कदमों से हमारी तरफआ रहे एक युवक को आई नेक्स्ट टीम ने रोका और नशे के सामान की जानकारी मांगी। उसने बताया कि शराब से लेकर स्मैक तक यहां सब मिल जाएगा, बस पैसा खर्च करना होगा। उसने हमें रोड किनारे स्थित एक गुमटी की तरफ इशारा किया और कहा, वहां जाकर माल ले लो। हम पान की गुमटी पर पहुंचे, जहां एक युवक बैठा था। गुमटी में पान- मसाला टंगा था, हमने उससे नशे का सामान मांगा।
रिपोर्टर और गुमटी वाले से बातचीत के अंश रिपोर्टर - माल (नशे की पुडि़या) मिल जाएगा। गुमटी वाला - क्या चाहिए? रिपोर्टर - नशे का कोई सामान। गुमटी वाला- पैसा दो, कुछ भी मिल जाएगा रिपोर्टर - कितना पैसा देना पड़ेगा? गुमटी वाला - माल (नशे का सामान) के हिसाब से दाम हैं। रिपोर्टर - क्या-क्या मिल जाएगा? गुमटी वाला- गांजा, स्मैक और कच्ची शराब मिल जाएगी। रिपोर्टर - एक पुडि़या गांजा चाहिए। गुमटी वाला - तीन रेट का गांजा है। रिपोर्टर - क्या रेट है? गुमटी वाला - फ्0 रुपए, म्0 रुपए और 90 रुपए रिपोर्टर- स्मैक का क्या रेट है?गुमटी वाला - क्00 से लेकर क्भ्0 रुपए की एक पुडि़या है।
मिर्जापुर चौराहे पर कई साल से मेरी क्लीनिक है। अक्सर बंधे पर आना-जाना होता है, लेकिन अब नाइट में उधर से निकला बंद कर दिया है क्योंकि शाम होते ही लोग नशे में डूब कर इधर-उधर घूमते हैं। नशे में धुत कोई भी गाड़ी के आगे आ जाता है। डॉ। जे.पी श्रीवास्तवरिपोर्टर- यहां हर वक्त माल मिल जाता है?
गुमटी वाला- कभी भी आओ, लेकिन अकेला आकर माल ले जाना। रिपोर्टर- पुलिस का कोई डर तो नहीं? गुमटी वाला- परेशान न हो, सब मैनेज कर रखा है। साहब, सब ठीक है शहर के आला पुलिस अफसर जहां एक ओर नशे के फलते-फूलते कारोबार पर लगाम लगाने की बात कहते हैं। वहीं उनके डिपार्टमेंट के कई पुलिसकर्मी इस धंधे को शह देने में लगे हुए हैं। सिटी का हर आम आदमी जानता है कि नशे का कारोबार कहां होता है, लेकिन पुलिस को कुछ पता नहीं। राजघाट के हावर्ट बंधे को नशे के कारोबार का अड्डा माना जाता है। इसके अलावा टीपी नगर, शाहपुर एरिया के कुछ मोहल्ले, तिवारीपुर, कोतवाली समेत रेलवे स्टेशन के पास भी नशे का सामान बिकता है। सफेद पाउडर (स्मैक) से लेकर गांजा और चरस तक ईजली मिल जाता है। करोड़ों का है कारोबारसिटी में नशे का कारोबार करोड़ों रुपए का है। नशे के कारोबार को रोकने के लिए पुलिस की स्पेशल टीम बनाई गई है, लेकिन नारकोटिस सेल केवल कागजों पर ही चल रही है। सेल में न तो फोर्स है और न ही संसाधन। थाने की फोर्स के भरोसे नशे के कारोबार पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी दी गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि डिपार्टमेंट से जुड़े कई पुलिसकर्मी ही कारोबारियों को शेल्टर देते हैं। इसके बदले उन्हें हिस्सा(कमीशन) भी मिलता है। पुलिस की फाइलों में नशे के कारोबारियों के नाम भी दर्ज हैं जिसमें पप्पू कबाड़ी, पंडिताइन समेत दो और महिलाओं के नाम हैं।
हावर्ट बंधे पर नशे का खुला कारोबार होता है। पुलिस भी इस बात को जानती है लेकिन चुप्पी साधे हुए हैं। अफसरों से कई बार शिकायत की गई तो दो-चार दिन के लिए कारोबार बंद हो जाता है और फिर कारोबार चलने लगता है। डिपार्टमेंट की मिलीभगत के बिना नशे का कारोबार संभव नहीं है। अविनाश चन्द्र, आरटीआई एक्टिविस्ट घासी कटरा राजघाट लाल डिग्गी पार्क और हावर्ट बंधे पर स्थित बिजली सब घर के आस-पास खुलेआम नशे का कारोबार चलता है। दिन भर नशे के लती यहां आकर नशे का शौक पूरा करते हैं। बंधे के किनारे टीन शेड और छप्पर डालकर नशे का कारोबार फल फूल रहा है। आम आदमी का उस रोड से गुजरना तक मुश्किल हो गया हैं। विरेन्द्र अग्रहरि, व्यापारी राजघाट