नगर निगम ने इंडस्ट्रियल कचरे को अलग करने का बनाया प्लान

इंडस्ट्री, होटल व हॉस्पिटल को खुद करना होगा कूड़ा कंपोस्ट

Meerut. स्वच्छता सर्वेक्षण में अपनी छवि सुधारने में विफल रहा नगर निगम अब नए सिरे से शहर को साफ करने की कवायद में जुट गया है, लेकिन इस बार निगम कूड़े के निस्तारण से पहले कूडे़ के ढेर को कम करने की प्राथमिकता में जुटा हुआ है. इसके तहत निगम ने अपने डंपिंग ग्राउंड का बोझ कम करने के लिए शहर की इंडस्ट्रीज, होटल व हॉस्पिटल के कूडे़ को खुद निस्तारित करने का आदेश जारी किया है.

मिनी कंपोस्टिंग प्लांट

कंपोस्टिंग यूनिट की सफलता को देखते हुए निगम अब 100 किलो प्रतिदिन से अधिक कूड़ा उत्पादित करने वाले इंडस्ट्रीज, होटल व हॉस्पिटल में मिनी कंपोस्टिंग यूनिट लगाने की सलाह दे रहा है. इस नए आदेश के तहत सभी संस्थानों व निजी यूनिटों को अपने परिसर में खुद अपने कूडे़ का निस्तारण करना होगा. इसके लिए निगम मदद करेगा, लेकिन उनका कूड़ा शहर के डंपिंग ग्राउंड में नही फैलाया जाएगा. कूड़ा कंपोस्ट होने से बनी खाद को दोबारा प्रयोग किया जा सकेगा.

800 टन कचरे का बोझ

निगम के अस्थाई व स्थाई कूडे़दानों पर प्रतिदिन करीब 800 टन कचरे का बोझ रहता है. ऐसे में इसमे करीब 60 प्रतिशत कचरा इंडस्ट्रीज, मंडप व होटल का रहता है. यदि मिनी कंपोस्टिंग प्लांट योजना पूरी तरह लागू होती है तो शहर के डंपिंग ग्राउंड का 60 प्रतिशत बोझ कम हो जाएगा.

लखनऊ में हुई मीटिंग से मिले निर्देशों के अनुसार 100 किलो प्रतिदिन से अधिक कूड़ा उत्पादित करने वाले संस्थानों की सूची तैयार की जा रही है. इन्हें अपना कूड़ा खुद निस्तारित करना होगा.

अमित कुमार, अपर नगरायुक्त

800 टन कचरा प्रतिदिन पहुंचता है डंपिंग ग्राउंड में

60 प्रतिशत कचरा रहता है इंडस्ट्रीज, मंडप व होटल का

फ्लॉप रहे कंपोस्ट यूनिट

पिछले दिनों प्रशासन के निर्देश पर शहर में कई जगह कंपोस्ट यूनिट लगाए गए थे और उनकी निगरानी के लिए जियो टैगिंग भी की गई थी, लेकिन कुछ दिन तक शोर-शराबे के बाद कंपोस्ट यूनिट पर ध्यान नहीं दिया गया. अब हालत ये है कि अधिकतर कंपोस्ट यूनिट कूड़े के ढेर बन गए हैं.

Posted By: Lekhchand Singh