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PATNA : नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत होते ही पटना में नकली किताब बेचने वाले कारोबारी सक्रिय हो गए है. एनसीईआरटी की किताबों पर एक्टिव हुए कारोबारी किसी भी किताब की नकल तैयार कर लेते हैं. बताते चलें कि कॉपीराइट एक्ट को लेकर कई बार छापेमारी भी हुई हैं. लेकिन कुछ दिनों बाद फिर कारोबारी सक्रिय हो जाते हैं. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब पड़ताल की तो पता चला कि इस कारोबार पर नजर रखने वाला कोई नहीं है.

2 दर्जन से अधिक हैं दुकानें

गांधी मैदान थाना से महज 100 मीटर की दूरी पर 2 दर्जन से अधिक नकली किताब बेचने वाले व्यापारी स्थाई और अस्थाई तौर पर दुकानें संचालित कर रहे हैं. यहां महंगी से महंगी किताबें भी आधी से कम कीमत पर आसानी से मिल जाती हैं. नकली किताब बेचने वालों पर अंकुश लगाने के लिए न तो शिक्षा विभाग कोई कदम उठा रहा है न ही जिला प्रशासन. छापेमारी भी तभी होती है जब प्रकाशकों द्वारा लिखित में शिकायत की जाती है.

करोड़ों की कर रहे कमाई

नकली किताब खरीदने के लिए पटना ही नहीं आसपास के कई जिलों से लोग आते हैं. कारोबारियों की माने तो यहां प्रति दिन 8 से 10 लाख रुपए की किताबें सेल होती हैं. रियलिटी चेक करने के लिए जब हमारी टीम ने मुंशी प्रेमचंद की किताबों की डिमांड की तो दुकानदार ने 30 रुपए में किताब देने को तैयार हो गया. जबकि ओरिजनल किताब बाजार में 100 से 120 रुपए में मिल रही है. नया एकेडमिक सेशन शुरू होते ही एनसीईआरटी की किताबों की ज्यादा डिमांड हो रही है. गांधी मैदान स्थित दुकानों पर स्टूडेंट्स 9वीं से लेकर 12वीं तक किताब खरीदने के लिए आते हैं. नकली किताबें 60 फीसदी डिस्काउंट पर उपलब्ध हैं. इतना ही प्रतियोगी परीक्षा की नकली किताबें भी आसानी से मिल रही हैं.

करियर के लिए ठीक नहीं

प्रकाशकों की माने तो नकली किताब स्टूडेंट्स के करियर के लिए ठीक नहीं है. क्योंकि इसका प्रिंट सही नहीं रहता है. प्रिंट सही नहीं होने के चलते कई बार इसका तथ्य गलत छप जाता है. जिसे पढ़कर स्टूडेंट्स परीक्षा में वहीं लिखते हैं जिस वजह से वे फेल हो जाते हैं.

क्या कहता है कानून

-किसी भी किताब की फोटो कॉपी या नकली प्रिंट बेचना अपराध है. जेल की सजा भी हो सकती है.

-सरकारी किताबों के रेट प्रिंट को हटाकर अपने हिसाब से प्राइस चिपकाना भी अपराध की श्रेणी में आता है.

-टैक्स की बात तो दूर, इस बाजार में करोड़ों की कारोबार भी किसी का नजर नहीं है.

-बाजार के आसपास थाना और डीएम के ऑफिस होने के बाद भी खुलेआम नकली किताबों का कारोबार चल रहा है.

Posted By: Manish Kumar