-मां दुर्गा की प्रतिमाएं पहुंचीं पूजा पंडालों में, बोधन, आमंत्रण व अधिवास की पूरी की गयी परंपरा

-आज से होगा भगवती दुर्गा के विविध रूपों का दर्शन, पंडालों में उमड़ेगा श्रद्धालुओं का रेला

VARANASI

मां नींद में थीं। भक्तों ने उन्हें जगाया (बोधन) और पूजा पंडालों में पधारने का आग्रह (आमंत्रण) किया। मां तो करुणामयी हैं। पुत्रों के आग्रह को ठुकरा न सकीं और आमंत्रण स्वीकार किया। भक्तों को तो मुंह मांगी मुराद मिल गयी। मां आयेंगी भगवती आयेंगी देवी दुर्गा आयेंगी। उल्लास और उमंग से चेहरे खिल उठे। बस फिर क्या था भक्तों ने बड़े ही श्रद्धा और भक्ति के साथ उनकी प्रतिमा को पंडालों में प्रवेश कराया। यह नवरात्र की महाषष्ठी तिथि सोमवार थी। मां का आगमन हो चुका है। अब उनकी कृपा सब पर बरसेगी। सभी को मनोवांछित आशीर्वाद प्राप्त होगा। मंगलवार को महासप्तमी तिथि के उजाले के साथ ही नव पत्रिका प्रवेश का पारंपरिक अनुष्ठान होगा। इसी के साथ जीवंत हो उठेंगी मृणमयी और इसी के साथ तीन दिवसीय शारदोत्सव की शुरुआत हो जायेगी।

पंडालों में बिखरी रौनक

मां के आते ही पूजा पंडालों में रौनक बढ़ गयी। परंपरागत पूजा पंडालों में भक्तों का रेला शुरू हो गया। हर कोई मां से मिलने को आतुर था। अब तो मां सामने ही थी। भक्ति और समर्पण का मिश्रित भाव हर किसी के चेहरे पर आम। देवी आराधना के मंत्रों से गुंजित और धूप लोहबान की गमक से सुवासित पंडालों की व्यवस्था में लगे लोगों के चेहरे पर एक खास चमक। थकान का कहीं कोई नाम नहीं। मंगलवार से इन पंडालों में चहल पहल और भी बढ़ जायेगी। शिवाला के काशी दुर्गोत्सव समिति पूजा पंडाल में शाम को आमंत्रण और अधिवास की परंपरा का निर्वाह किया गया। बीएचयू स्थित पूजा पंडाल में भी मां की प्रतिमा स्थापित कर दी गयी। इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुती हुई।

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आज पूजित होंगी 'कोलाबोऊ'

सप्तमी को होने वाले नव पत्रिका प्रवेश की परंपरागत पूजा में पर्यावरण प्रेम का महान संदेश भी पुष्ट होता है। मां को कोलाबोऊ का रूप दिया जाता है। जिनमें नौ अलग-अलग वनस्पतियों (केला, अरवी, हल्दी, जयंती, बिल्व, अनार, अशोक, सूरन व धान की बाली) के नये पत्तों की पूजा होती है। यह सभी वनस्पतियां इन्हीं दिनों तैयार होती हैं। नौ वनस्पितियों के ये पत्ते देवी के नौ विविध स्वरूपों के प्रतीक हैं। मां को प्रकृति का प्रतिरूप मान कर केले के छोटे तने को बहू की तरह सजाया जाता है और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ 'कोलाबोऊ' की पूजा की जाती है।

मां कात्यायनी की जय

नवरात्र में नौ दुर्गा के दर्शन पूजन के क्रम में छठवें दिन देवी कात्यायनी के दर्शन के लिए भक्तों का रेला उमड़ा। सिंधिया घाट मोहल्ले में संकठा मंदिर के पास स्थित मंदिर में मां के दर्शन कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए लोगों की कतार सुबह ही लग गयी। जैसे ही मंदिर के पट खुले भक्तों ने मां के जयकारे लगाकर पूरे इलाके को गुंजायमान कर दिया। श्रद्धालुओं ने मां को चुनरी और नारियल चढ़ाया। मां का यह रूप विशिष्ट फल देने वाला है।

Posted By: Inextlive