प्रयागराज कुंभ 2019 : गंगा, यमुना, सरस्वती के हैं अपने रंग के सिंदूर, महिलाएं करती हैं पालन
संगम स्नान के दौरान महिलाएं लगाती हैं अलग-अलग सिंदूर
गंगा, यमुना, सरस्वती के हैं अपने रंग के सिंदूर, पुरानी मान्यता के अनुसार करती हैं पालनvineet.tiwari@inext.co.inPRAYAGRAJ: संगम स्नान को आने वाली महिलाएं अलग-अलग रंग का सिंदूर क्यों लगाती हैं? यह सवाल सभी के मन में होता है। पुरानी मान्यता के मुताबिक कुछ लोगों को यह मालूम है। लेकिन बहुतों को इसकी जानकारी तक नहीं है। जबकि संगम तट पर बिकने वाले कई रंग के सिंदूर के पीछे तीनों नदियों से जुडी मान्यता है। इनका पालन करने के लिए महिलाएं स्नान के दौरान नदी के अनुसार रंग का चुनाव करती हैं।
तीनों देवियों और नदियों को समर्पित
मां दुर्गा, महालक्ष्मी और काली तीनों को अलग-अलग रंग का सिंदूर समर्पित किया जाता है। इसमें मां दुर्गा को लाल, महालक्ष्मी को पीला और काली को सिंदूरी लाल कलर अर्पित किया जाता है। यही कलर महिलाएं अपनी मांग में धारण भी करती हैं। इसी प्रकार तीनों नदियों के लिए भी अलग-अलग सिंदूर अर्पण की मान्यता है। गंगाजी को लाल, यमुना को पीला और विलुप्त सरस्वती को लाल व पीला मिलाकर चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से महिलाओं की मन की इच्छा पूर्ण होती है।
शहरी महिलाओं में भी बढ गया ट्रेंड
अभी तक इन मान्यताओं का पालन ग्रामीण महिलाएं करती थीं। लेकिन अब शहरी महिलाएं भी अलग-अलग रंग का सिंदूर धारण करती हैं। जैसी जिसकी मान्यता होती है वैसा सिंदूर वह अर्पित करता है। खासकर कुंभ के मौके पर विभिन्न रंगों के सिंदूर की बिक्री कई गुना तक बढ़ जाती है। मप्र के सागर जिले से संगम तट पर सिंदूर बेचने आई कमला कहती हैं कि पहले शहरी महिलाएं केवल नाममात्र का सिंदूर लगाती थीं। लेकिन अब लंबा सिंदूर लगाने का चलन बढ़ गया है। ग्रामीण की तरह शहरी महिलाएं भी अलग-अलग रंग का सिंदूर अर्पित करने के साथ लगाती भी हैं।
सबसे महंगा है गुलाबी और पीला
कुंभ के दौरान सिंदूर की मांग बढ़ने से उनकी कीमत में भी इजाफा हुआ है। पीला और गुलाबी रंग का सिंदूर दो हजार रुपए किलो की दर से बिक रहा है। जबकि बाकी कलर का सिंदूर दस रुपए का तीन तोला यानी एक हजार रुपए किलो है। दुकानदार राकेश कहते हैं कि मान्यताएं कभी खत्म नहीं होती हैं। जैसे-जैसे समय बदल रहा है लोग पुरानी मान्यताओं को मानने लगे हैं। खासकर स्नान पर्व में सिंदूर की डिमांड बढ़ जाती है।
मान्यता है कि प्रत्येक नदी को अलग रंग का सिंदूर चढ़ाया जाता है। ऐसा करने से कामना पूर्ण होती है.अच्छी बात यह है कि गांव के साथ शहर की महिलाओं को भी यह ज्ञान होने लगा है। कई महिलाएं दिन के हिसाब से सिंदूर लगाती हैं। इनमें सोम, गुरु, शनिवार को पीला और बाकी दिन लाल सिंदूर लगाया जाता है।