एक साल से है चर्चा, अब तक नहीं मिला घर बैठे ई-पर्चा
-सरकारी अस्पतालों में मरीजों को घर बैठे डॉक्टर से अप्वाइंटमेंट दिये जाने की अब तक नहीं मिली सुविधा
-ठप पड़ा है ई-हॉस्पिटल के दूसरे फेज का काम, मरीज अब भी घंटों लाइन में लगकर बनवा रहे हैं पर्चीशासन ने सरकारी अस्पतालों में मरीजों को घर बैठे डॉक्टर से अप्वाइंटमेंट देने के लिए भले ही ई-हॉस्पिटल की सुविधा मुहैया कराने की घोषणा कर दी हो, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी मरीजों को अब तक इसका लाभ नहीं मिल पाया है। ऐसे में मरीजों को अभी भी घंटों लाइन में खड़े होकर पर्ची बनवानी पड़ रही है। हैरानी की बात ये है कि अधिकारियों को भी पता नहीं है कि इस नई योजना की क्या स्थिति है। उनका कहना है कि ई-हॉस्पिटल बनाने के पहले फेज का काम पूरा हो चुका है। सेकेंड फेज का काम कब शुरू होगा? इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। क्योंकि ई-हॉस्पिटल के लिए सारी योजनाएं लखनऊ स्वास्थ्य मुख्यालय से ही बनती हैं।
घर बैठे मिलना है अप्वाइंटमेंटबता दें कि सीएम योगी ने दो साल पहले बनारस समेत उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी हॉस्पिटल में ई-हॉस्पिटल योजना की शुरुआत की थी। जिसके तहत सभी राजकीय व जिला हॉस्पिटल में मैनुअल सिस्टम को खत्म कर ऑनलाइन सुविधाएं शुरू होनी थीं। यही नहीं योजना के तहत मरीज घर बैठे ही डॉक्टर से अप्वॉइंटमेंट ले सकते हैं। इसके लिए ई-हॉस्पिटल बनाने के लिए पहले फेज का काम तो पूरा कर लिया गया है लेकिन अफसोस कि स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के चलते सेंकेंड फेज का काम अब तक शुरू नहीं हो सका है।
पहले फेज का काम हुआ पूरा स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक शहर के मंडलीय व जिला अस्पताल समेत तीनों अस्पतालों में ई-हॉस्पिटल बनाने की शुरुआत हो चुकी है। इसमें दो फेज में काम होना था, जिनमें से पहले फेज का काम पूरा हो चुका है। फर्स्ट फेज में आउटडोर ओपीडी, इनडोर ओपीडी व कैश कलेक्शन का काम ऑनलाइन किया जा रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य मुख्यालय की ओर से 12 कर्मचारियों की तैनाती की गई है। सेकेंड फेज में पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी, मेडिसिन और मरीजों को घर बैठे अप्वॉइंमेंट देने की सुविधा आदि है। ऐसे होगा ई-हॉस्पिटलई-अस्पताल के तहत मरीज का रजिस्ट्रेशन सॉफ्टवेयर के जरिए होगा। इसके बाद मरीज की बीमारी, टेस्ट रिपोर्ट्स और उसे दिए जाने वाले इंजेक्शन, दवाएं व अन्य ट्रीटमेंट की डिटेल्स को भी सॉफ्टवेयर में फीड किया जाएगा। मरीज की सभी डिटेल्स इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल डाटा सॉफ्टवेयर पर दर्ज होगीं। साथ ही मरीज का इलाज किस डॉक्टर ने किया, कब-कब मरीज की जांच हुई आदि की जानकारी भी फीड की जाएगी।
होगा अलग कोड ई-अस्पताल के तहत मरीजों को ओपीडी का पर्चा ऑनलाइन तैयार होकर मिलेगा। ऑनलाइन पर्चे के जरिए हर मरीज का अलग कोड होगा। इस कोड के जरिए मरीज अपनी सभी जांच रिपोर्ट को ऑनलाइन निकाल सकेगा। इसके अलावा मरीजों का रिकॉर्ड महीनों तक सेफ भी रखा जाएगा। अगर मरीज किसी अन्य सरकारी अस्पताल में जाता है, तो इसी कोड के जरिए वहां उसका पुराना रिकार्ड चेक किया जा सकेगा। इससे समय की बर्बादी नहीं होगी। साथ ही फीस की रसीद और डिस्चार्ज स्लिप भी ऑनलाइन ही मिलेगी। ऐसे मिलेगा अप्वॉइंटमेंट अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड, ओपीडी, ऑपरेशन थियेटर, दवा स्टोर, ब्लड बैंक, पैथोलॉजी लैब आदि को कम्प्यूटर नेटवर्किग के जरिए आपस में कनेक्ट किया जाएगा। जिसके बाद मरीज अपनी सहूलियत के हिसाब से डॉक्टर से अप्वॉइंटमेंट ले सकेगा। यह होना है फायदा -मरीजों को ऑनलाइन डॉक्टर से अप्वॉइंटमेंट की सुविधा मिलेगी। -ओपीडी के लिए लंबी लाइनों से निजात मिलेगी। -एक ही रजिस्ट्रेशन नंबर से मरीज किसी भी सरकारी अस्पताल में इलाज करा सकेगा। -सभी डाटा ऑनलाइन होगा, मरीज की सभी रिपोर्ट्स व डिटेल्स ऑनलाइन स्टोर होगी।-समय की बचत होगी और अस्पताल में इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
वर्जन-- पहले फेज का काम पूरा हो चुका है। दूसरे फेज का काम कब शुरू होगा, उसकी जानकारी नहीं है। क्योंकि सब कुछ शासन स्तर पर हो रहा है। डॉ। बीएन श्रीवास्तव, एसआईसी, मंडलीय हॉस्पिटल