- गोरखपुर और आसपास में वायरल इंफेक्शन का नहीं रहता है खास खतरा

- मसालेदार खाने में काफी मेडिसिनल चीजों का होता है इस्तेमाल

- हल्दी, लौंग, इलायची के साथ ढेरों मसालों का करते हैं इस्तेमाल

GORAKHPUR: निपाह की दस्तक सिर्फ देश के एक छोर पर है, लेकिन इसका दहशत सारे देश में फैल चुकी है। गोरखपुर शहर में भी इसको लेकर खासी हलचल है और लोग अवेयरनेस के साथ ही प्रिकॉशन भी अपनाने में जुट गए हैं। वायरस हमेशा से ही अपना कहर बरपाते रहे हैं, लेकिन पूर्वाचल बेल्ट में सभी तरह के वायरस असर दिखाने में नाकाम रहे हैं। इसकी खास वजह यहां का खानपान और उसमें इस्तेमाल होने वाले मसाले, जोकि मेडिसिनल प्रॉपर्टी रखते हैं। इसके जरिए वायरस अटैक के खतरे कम होते रहे हैं। 2014 में दस्तक देने वाले इबोला का असर भी काफी जगह देखने को मिला था, लेकिन इस बेल्ट में भी यह असर दिखाने में नाकाम रहा। अब निपाह को लेकर भी लोगों के बीच डर है, लेकिन लोगों को उम्मीद है कि जिस तरह बाकी वायरस असर नहीं दिखा सके थे, यह वायरस भी कोई खास इफेक्ट नहीं दिखा सकेगा।

हर मसाले की अपनी खूबी

पूर्वाचल बेल्ट में खाने में इस्तेमाल होने वाले मसाले भी लोगों की सेहत को बेहतर रखने में काफी मददगार साबित हुए हैं। इनमें एंटी बायोटिक की भी खूबियां हैं, तो वहीं यह एंटी ऑक्सीडेंट का भी काम करते हैं। बॉडी के इम्यून सिस्टम को बैलेंस रखने के साथ ही इंफेक्शन सेवर भी हैं। इसमें सबसे ज्यादा खूबियों वाली हल्दी है, तो वहीं लहसुन, अदरक, अजवाइन, इलायची और यहां तक की सौंफ भी बीमारियों स लड़ने में काफी मददगार है। वहीं, दूसरा पहलू यह भी है कि इनकी एक्स्ट्रा डोज लेने वालों को नुकसान भी उठाना पड़ जाता है।

बॉक्स

तंदुरुस्त है बॉडी तो नहीं होगा असर

इस मामले में सेंट एंड्रयूज कॉलेज बॉटनी डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ। परवीन अब्बासी की मानें तो हमारे डेली यूज में आने वाले मसालों में काफी असर होता है और यह कई बीमारियों से लड़ने में मददगार भी साबित होते हैं। इसमें एक पहलू यह भी है कि वायरल अटैक सबसे ज्यादा उन्हीं पर होते हैं, जो फिजिकली कमजोर होते हैं और हाईजीन मेनटेन नहीं कर पाते हैं। इसलिए सबसे पहले जरूरी यह है कि अपनी बॉडी को बेहतर बनाएं और तंदुरुस्ती पर खास ध्यान दें। बॉडी फिट है तो बीमारी नहीं घेरेगी। वहीं साफ-सफाई का ध्यान रखने की भी जरूरत है और रेग्युलर इंटरवल पर मुंह, हाथ, नाक और पैर धोने की भी आदत डाल लेनी चाहिए, जिससे वायरस और बैक्टिरिया बॉडी में एंट्री ही न कर सकें।

इन मसालों में मेडिसिनल क्वालिटी

हल्दी, लहसुन, तेज पत्ता, अदरक, काली मिर्च, अजवाइन, छोटी इलाइची, बड़ी इलाइची, लौंग, करी पत्ता, मेंथी, जीरा, दालचीनी, मंगरैल, सौंफ, राई, जायफल, धनिया

यह होती है क्वालिटी

एंटी बायोटिक, एंटी ऑक्सिडेंट, मेनटेन बॉडी इम्यून सिस्टम, मेनटेन मेटाबोलिक रेट, इंफेक्शन सेवर, कोलेस्ट्रॉल कम, सर्दी, जुकाम बुखार में राहत, सेव फ्रॉम वायरस एंड बैक्टिरियल इंफेक्शन

चमगादड़ है वायरस की होस्ट

वायरस के एक्सपोजर के बाद 5 से 14 दिन का इनक्युबेशन पीरियड होता है। इसके बाद 3 से 14 दिन सिरदर्द के साथ ही बुखार भी रहेगा। वहीं धीरे-धीरे बीमारी से जुड़े दूसरे सिम्प्टम्स नजर आने लगेंगे। यह वायरस सीधे फेफड़े व तंत्रिका तंत्र पर अटैक करता है। ज्यादातर मरीजों की मौत फेफड़ों की कार्यक्षमता पर प्रभाव पड़ने से होती है। इससे बहुत से मरीजों को इलाज के दौरान आईसीयू व वेंटीलेटर की जरूरत पड़ती है। निपाह वायरस जानवरों से फैलने वाली बीमारी है, जिसका होस्ट फ्रूट बैट(चमगादड़) है। सूअर व पालतू जानवर मनुष्यों में बीमारी फैलने के बीच की कड़ी है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी एक मरीज से दूसरे मरीज में फैल सकती है। इस बीमारी से संक्रमित मरीजों में 40 से 75 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है।

बीमारी के लक्षण

बुखार

सिरदर्द

ड्राउजीनेस

अनमैनेज्ड रूटीन

मेंटल कंफ्यूजन

कोमा

पोटेंशियली टेथ

कैसे हो सकता है ट्रांसमिट

- सुअर के साथ काम करने वाले या उन्हें कंज्यूम करने वालों से

- किसान जो बैट्स के कॉन्टैक्ट में आते रहते हैं।

- उन फलों को खाना, जिन्हें किसी जानवर ने पहले ही काट लिया हो।

- इंफेक्टेड पिपुल्स के टच में आने पर

- कोई भी ऐसा फल जो कटा हो, छेद हो या फिर खराब हो तो उसका सेवन भी बिल्कुल न करें।

बचाव के तरीके

- पिग हैंडलर्स के कॉन्टैक्ट में आने से बचें।

- हाईजीन मेनटेन करें और रेग्युलर हैंडवॉश करें।

- रॉ फ्रूट खाने से बचें और सिर्फ वेल कुक्ड, क्लीन और घर पर बने खाने ही बनाएं।

- जब भी पब्लिक प्लेस पर निकलें तो एन-95 मास्क का इस्तेमाल करें।

- अगर बीमारी से जुड़ा कोई भी सिम्प्टम नजर आता है तो फौरन ही डॉक्टर को दिखाएं।

- ट्रेन या हवाई जहाज में जा रहे हैं तो मास्क का इस्तेमाल जरूर करें।

वर्जन

एक सर्वे में पाया गया था कि इबोला का असर वहां कम हुआ था, जहां मसालेदार भोजन का इस्तेमाल होता है। यह इसलिए कि हमारे मसालों में काफी बेहतर मेडिसिनल प्रॉपर्टी है, जो वायरस ही नहीं, बल्कि काफी खतरों को कम करती है और बॉडी की इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाती है।

- डॉ। शोभित श्रीवास्तव, रिसर्च स्कॉलर

Posted By: Inextlive