खबर है बहुत जल्‍द ही क्रिकेट के मैदान से एक पुरानी परंपरा खत्‍म होने जा रही है। इस क्रम में बताया गया है कि क्रिकेट में अब टॉस की परिपाटी खत्‍म हो जाएगी। अब सवाल ये उठता है कि क्‍या क्रिकेट में फिर कोई बड़ा बदलाव होने जा रहा है। ये सवाल इसलिए भी उठना लाजमी है क्‍योंकि जिस परंपरा के साथ क्रिकेट की शुरुआत हुई अब वह ही खत्‍म की जाने वाली है।

ऐसी है जानकारी
देखा जाए तो टेनिस, बैडमिंटन या कबड्डी ऐसे हर खेल में टॉस का अपना महत्व है, लेकिन इसका जितना महत्व क्रिकेट जगत में है, उतना कहीं और नहीं। समय के साथ-साथ टॉस खेल के मैदान में लक फैक्टर बनता चला गया। कई बार तो मैच के नतीजे तक टॉस के साथ ही निर्धारित हुए से लगते हैं। विशेषतौर पर टेस्ट मैचों में तो इसका अहम योगदान रहता है। कुछ ऐसे ही कारणों के मद्देनजर टॉस को लेकर नई बहस छिड़ गई है। बहस इस बात की कि टॉस को अब क्रिकेट के क्षेत्र से अलग किया जाना चाहिए।  
ECB से हुई शुरुआत
इस बहस की शुरुआत इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) की ओर से की गई। टॉस के बिना मैचों का इस्तेमाल काउंटी चैम्पियनशिप के सेकेंड डिविजन मैचों में किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि अगर ये सफल रहा तो ये भी संभव है कि ECB इसे अन्य स्तरों के मैचों में भी इस्तेमाल कर सके।
इसलिए किया जा रहा है टॉस को आउट करने पर विचार
वर्ल्ड कप-1996 सेमीफाइनल की हार सभी को याद होगी। उसको लेकर ये कहा जा रहा था कि जो भी टीम टॉस जीतेगी, मैच की जीत उसके नाम होगी। बस को टॉस जीतने वाली टीम को पहले बल्लेबाजी का विकल्प चुनना होगा। इसमें भारत की ओर से टॉस अजहरूद्दीन ने जीता, लेकिन उन्होंने श्रीलंका को बल्लेबाजी के लिए बुलाया। इसके बाद जो भी कुछ हुआ वह वाकई एक इतिहास बनकर रह गया। उसके बाद इस बात पर खूब बहस होती रही कि अजहरूद्दीन ने पहले बॉलिंग का फैसला क्यों लिया।
यहां हुए ऐसे मामले
पिछले कुछ वर्षों के ही टेस्ट मैचों पर नजर डालें तो भी बात साफ हो जाती है। मेजबान टीम के पास इस बात का विशेषाधिकार होता है कि वह अपने हिसाब से पिच बनवा सके। उसके बाद टॉस जीतना उस लक फैक्टर को जन्म दे देता है। इसी साल एशेज सीरीज में भी टॉस को लेकर बड़ी आलोचना हुई, जिसे इंग्लैंड 3-2 से जीता था। मेजबान टीम इंग्लैंड भले ही सीरीज को जीतने में कामयाब रही हो, लेकिन पिचों की आलोचना हुई। इसके अलावा पांच में से तीन मैच कम से कम ऐसे रहे, जिसमें टॉस जीतने वाली टीम जीती।
ये हो सकता है टॉस का विकल्प
अब सवाल से उठता है कि अगर टॉस की परंपरा को खत्म कर देंगे तो इसका विकल्प क्या होगा। इस क्रम में पहला विकल्प ये सुझाया जा रहा है कि मेहमान टीम को फैसला करने का अधिकार दिया जाए कि कौन करेगा पहले बल्ल्ोबाजी और कौन करेगा गेंदबाजी। अब सोचने वाली बात ये भी होगी कि ये सलाह किसको किसको मान्य होगी।

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Posted By: Ruchi D Sharma