यूं तो सभी राजनीतिक दल अपनी सहूलियत और अपने वोटर्स को ध्यान में रखते हुए चुनावी मुद्दे बना रहे हैं. लेकिन अब पब्लिक राजनीतिक दलों के मुद्दे को मानने को तैयार नहीं है. बल्कि वो चाहती है कि सरकार ऐसी हो जो पब्लिक के मुद्दों पर काम करे और रिजल्ट दे.

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PRAYAGRAJ : गुरुवार को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने हाईकोर्ट के पास स्थित होटल यश पदम में शहर के युवा व्यापारियों से लोकसभा चुनाव के मुद्दों पर चर्चा की तो व्यापारियों ने चीन पर आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक किए जाने की बात कही.

चीन को सबक सिखाने की जरूरत
मिलेनियल्स स्पीक के दौरान व्यापारियों ने कहा कि जो चीन भारत की वजह से आर्थिक रूप में मजबूत हो रहा है, उसे अब सबक सिखाने की जरूरत है. इसलिए प्रयागराज के व्यापारी चीन के सामानों का बहिष्कार करेंगे. चाइना से आने वाले प्रोडक्ट्स को अब नहीं मंगाया जाएगा. दीपावली और होली पर चाइना के झालर, लाइट और पिचकारी वगैरह अब वैसे तो कम हो गए हैं. लेकिन अब इनका पूरी तरह से बहिष्कार होगा. एक-एक भारतीय का यही विरोध चीन पर आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक का काम करेगा.

टेररिज्म का खात्मा होगा सबसे बड़ा मुद्दा
1990 के समय से ही चुनावों में राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद बड़े मुद्दों में शुमार रहा है. लेकिन यह इतना बड़ा मुद्दा नहीं रहता था कि किसी विधानसभा या लोकसभा चुनाव को प्रभावित कर सके. लेकिन पिछले दिनों पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ जवानों की शहादत और उसके बाद भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान में घुसकर किए गए एयर स्ट्राइक के बाद आतंकवाद का खात्मा आज इस देश का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है. यह इस बार लोकसभा चुनाव को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा. किसी भी पार्टी की सरकार बनने और न बन पाने का मुख्य कारण भी यही होगा.

महंगाई को भूल चुके हैं लोग
व्यापारियों ने कहा कि आम तौर पर किसी भी चुनाव में महंगाई सबको प्रभावित करने वाला मुद्दा रहा है. लेकिन इस चुनाव में यह मुद्दा उतना जोर पकड़ता नहीं दिख रहा है. पिछले पांच साल में देश की जीडीपी और मुद्रास्फीति दर में बहुत ज्यादा अस्थिरता नहीं दिखी है. जीडीपी में ग्रोथ ही दिखाई दे रही है. किसी भी क्षेत्र में महंगाई इस कदर हावी नहीं है कि लोगों का जीना मुहाल हो जाए और यह चुनाव को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बन जाए.

अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर में भी बेरोजगार
भारत में अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर बहुत मजबूत है. बड़े पैमाने पर फैला भी है, लेकिन इस सेक्टर का कोई वैधानिक आधार नहीं है. यही कारण है कि यहां अधिकृत रूप से बेरोजगारों की फौज कही जाती है. लेकिन अगर एनालिसिस करें तो बेरोजगारों की फौज में भी 70 प्रतिशत से अधिक ऐसे लोग मिल जाएंगे, जो कुछ न कुछ काम कर रहे हैं. यही नहीं अपना परिवार चला रहे हैं. सभी को सरकारी नौकरी मिल जाए, ये जरूरी नहीं है.

कड़क मुद्दा

पूरे देश में हो एक शिक्षा बोर्ड
एक देश एक कर की तरह देश में, एक शिक्षा बोर्ड होना चाहिए. इसके अनुसार हर बोर्ड का सिलैबस एक होना चाहिए. ताकि यूपी बोर्ड, सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से इंटर पास करने वाले स्टूडेंट्स की शिक्षा का अलग-अलग आकलन न हो. मुख्य विषय का स्टैंडर्ड एक जैसा हो. छात्रों में ये भावना बिल्कुल न हो कि उसने जिस बोर्ड से पढ़ाई की है, उसका स्टैंडर्ड लो है. हायर एजुकेशन में नीट ने इस भेदभाव को कम किया है. कैपिटेशन फीस में हो रहे भ्रष्टाचार पर रोक लगी है.

मेरी बात

जीएसटी और नोटबंदी से उबर चुके हैं व्यापारी
गवर्नमेंट कहती है कि व्यापारी सही तरीके से नियमों के साथ नंबर एक का व्यापार करें. लेकिन कुछ साल पहले या फिर यूं कहें कि जीएसटी लागू होने के पहले तक जो सिस्टम था उसमें नंबर दो का व्यापार करने वाले हावी थे, जो अब बदल रहा है. पूरी दुनिया में आज इंडिया पॉवरफुल कंट्री के रूप में उभर कर सामने आया है. नोटबंदी की चर्चा जरूरी हो रही है, लेकिन नोटबंदी का मुद्दा हावी नहीं रहेगा. क्योंकि नोटबंदी को लेकर नाराजगी उन लोगों में है, जिन्होंने ब्लैकमनी अर्जित की थी. लेकिन एक आम आदमी पर कोई खास असर फिलहाल अब नहीं है. नोटबंदी के दौरान कुछ दिक्कत जरूर हुई थी, जिसे लोग अब भूल चुके हैं.
- आशीष गुप्ता

 

 

कॉलिंग

वर्तमान में इस देश का सबसे बड़ा मुद्दा देश की सुरक्षा और आतंकवाद का खात्मा है. जो सरकार देश के आत्मसम्मान, स्वाभिमान की रक्षा करेगी, देश के दुश्मनों को सबक सिखाएगी, उस पार्टी की सरकार को ही हम चुनेंगे.
- आशीष गुप्ता

आजादी के बाद से अब तक चुनाव जातिगत आधार पर ही हुए. लेकिन 2014 में स्थितियां बदलीं और विकास के मुद्दे पर सरकार बदली. जब विकास का मुद्दा आगे बढ़ा है तो इसे और आगे ले जाने की जरूरत है.
- राजेंद्र अवस्थी

लोग ऐसी सरकार चाहते हैं जिसमें विकास को गति मिले. एक ऐसा माहौल मिले, जिसमें लोग अपनी क्षमताओं के अनुरूप कार्य कर सकें. यह तभी संभव है, जब ऐसी सरकार आए, जो बिना किसी भेदभाव के कार्य करे.
- विपिन मित्तल

जीएसटी जब लागू हुआ था, तब भी व्यापारियों ने जीएसटी का नहीं बल्कि जीएसटी की खामियों का विरोध किया था. शुरुआत में व्यापारी जीएसटी से डरे हुए थे. लेकिन जैसे-जैसे जीएसटी में वर्किंग शुरू हो गई, काम आसान होने के साथ ही टैक्स का लोड कम हुआ है.
- मनीष गोयल

आम चुनावों में जातीय समीकरण के आधार पर किसी भी पार्टी की मजबूती का अंदाजा लगाना बेहद आसान रहा है. लेकिन इस बार का चुनाव इस मामले पर काफी अलग रहने वाला है. वजह, वोटर्स ने अपना एजेंडा सेट कर रखा है.
- सचिन विश्वकर्मा

पिछले पांच साल में करप्शन खत्म तो नहीं हुआ है, लेकिन कम जरूर हुआ है. 2014 के लोकसभा चुनाव में करप्शन सबसे बड़ा मुद्दा था, जिसका असर दिखाई भी दे रहा है. इससे उबरने के लिए स्ट्रैटेजिक तरीके से आगे बढ़ना होगा.
- शशांक जैन

युवा वोटर्स इस चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाले हैं. जो पार्टी नई शुरुआत करके युवाओं के लिए नए वादे लेकर बेरोजगारी दूर करने का उपाय करेगी, युवा उसकी तरफ आकर्षित हो सकते हैं.
- नवीन अग्रवाल

ऑनलाइन वोटिंग का अधिकार लोगों को मिलना चाहिए. इससे उन लोगों को काफी फायदा होगा, जो दूर शहरों में काम करते हैं और चुनाव के समय अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाते हैं. इससे वोट का परसेंटेज भी बढ़ेगा.
- तापस भट्टाचार्य

कश्मीर और आतंकवाद की समस्या का जल्द से जल्द समाधान करने की जरूरत है. साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मौलिक सुविधाएं हर आम आदमी को मुहैया कराने पर सरकार को जोर देना होगा.
- विशाल कनौजिया

आज यूथ को रोजगार या फिर स्टार्टअप से जोड़ना चाहिए, ताकि वे अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकें. यूथ भी इस बार मुद्दों को देख कर ही वोट करेगा. चाहे वह रोजगार हो या फिर करप्शन.
- हबीब काजिम

Posted By: Vijay Pandey