- राजधानी के कमोबेश सभी स्कूलों में सुरक्षा मानकों की मिली अनदेखी

- Inext ने पड़ताल कर जांची स्कूल प्रबंधकों की बड़ी खामी

LUCKNOW: मंगलवार को पाकिस्तान के पेशावर शहर में स्थित आर्मी स्कूल में असलहों से लैस आतंकवादियों ने घूसकर मासूम बच्चों पर अंधाधुंध फायरिंग कर क्ब्7 लोगों सहित क्फ्ख् बच्चों की हत्या कर दी थी। इस घटना ने जहां पूरे विश्व को स्तब्ध कर दिया। वहीं, हमारे देश की सरकार को भी इस तरह के घटनाओं को रोकने के लिए नए सिरे से तैयारी करने के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया। वहीं दूसरी ओर हमारे स्कूलों में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कोई व्यवस्था तक नहीं है। सिटी के बड़े स्कूलों में सुरक्षा के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही है। अगर हमारे यहां इस तरह की कोई घटना होती है तो फौरीतौर पर उससे निपटने का कोई भी तरीका हमारे पुलिस प्रशासन और स्कूल प्रबंधकों के पास नहीं है।

स्कूलों के बाहर लोगों की मनमानी

सिटी के सबसे व्यस्त जगहों में से एक हजरतगंज एरिया में स्थित दो स्कूल कैथेड्रिल सीनियर सेकेंडरी स्कूल और सेंट फ्रांसिस कॉलेज दोनों आस-पास स्थिति है। दोनों स्कूलों के छुटने के टाइम में कुछ ही मिनटों का फर्क है। ऐसे में स्कूल के मेन रोड पर लम्बा जाम लगता है। इस जाम का आलम यह है कि नीली लाल बत्ती लगी गाडि़यां बीच रोड पर खड़ी होती है। जिसे पूरा रोड करीब डेढ़ घंटे लिए पूरी तरह से जाम हो जाता है। यहां तक वहां खड़े ट्रैफिक पुलिस के सिपाही पर इन बड़े लोगों की गाडि़यों को गलत खड़े होने पर कुछ नहीं कह पात है। कहने पर इन गाडि़यों में बैठे डाइवर उल्टा सिपाहियों को अपने अधिकारी के पद का रौब दिखाते है। अगर इस दौरान यहां कोई घटना होती है तो उसे रोकने की बात तो दूर यहां पर मेडिकल फैसिलिटी तक पहुंचाना मुश्किल हो जाएगा।

कहीं-कहीं ही होती है पुछताछ

पेशावर की घटना के बाद भी सिटी के स्कूलों में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है। स्कूलों में कोई भी व्यक्ति कभी-भी मेन गेट से अंदर जा सकता है। गेट पर कहने के नाम को एक गार्ड होता है वह उसका काम केवल गेट खोला होता है। वह किसी से पुछताछ तक नहीं करता है। सेंट फ्रांसिस कॉलेज में छुट्टी के समय मेन गेट कोई गार्ड नहीं होता है। उस समय सैकडों के संख्या में पैरेंट्स और स्कूल वैन के डाइवर वहां खड़ा होते है। ऐसे में वहां पर कभी भी कोई बड़ी घटना हो सकती है।

न हाथ में डंडा न कोई सुरक्षा

न हाथ में डंडान गेट पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था। चौकीदार भी अधेड़ उम्र के। जी हां सिटी के बड़े मिशनरी कॉलेजों में मासूमों की सुरक्षा का हाल कुछ ऐसा ही है। मंगलवार को पाकिस्तान के पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल में बच्चों की निर्मम हत्या के बाद सिटी के स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था पड़ताल में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। हजारों बच्चों की जान की रखवाली भगवान के भरोसे चल रही है। अगर कोई बड़ा हादसा हो जाए तो शायद पाकिस्तान जैसा नजारा हमारे सिटी में भी देखने को मिल जाए।

मोटी फीस के बाद भी नहीं है कोई जिम्मेदारी

लखनऊ में सैकड़ों इनमें मिशनरी स्कूल से लेकर निजी स्कूल भी शामिल हैं। लेकिन अभिभावकों से मोटी फीस वसूलने के बाद भी ज्यादातर कॉलेजों में बच्चों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। हजरतगंज स्थित कैथेड्रल सीनियर सेकेंड्री स्कूल में गेट पर सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा एक-एक चौकीदार पर है। लेकिन चौकीदार के पास न कोई डंडा है और न ही अन्य सुरक्षा उपकरण। ज्यादातर मिशनरी स्कूलों की यही स्थिति है।

सरकारी स्कूलों की सुरक्षा ठंडे बस्ते में

भले ही राजकीय व सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों एवं परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों केवेतन पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। लेकिन इन स्कूलों में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। कहीं-कहीं चौकीदार हैं तो वे भी खाली हाथ।

Posted By: Inextlive