-22 वर्ष पहले लिए थे एक मन चावल और एक मन गेहूं

छ्वन्रूढ्ढ/क्कन्ञ्जहृन्: देश में करीब सात दशक पहले अंग्रेजों के शोषण से मुक्ति मिल गई। लेकिन बिहार के गांवों में गरीब लोगों को अब भी साहूकारों के चंगुल से आजादी नहीं मिली है। जमुई जिले के सिकंदरा थाने के माधोपुर गांव के गरीब रामधनी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। चर्चित लेखक प्रेमचंद लिखित 'सवा सेर गेहूं' की कहानी अब भी इस गांव की हकीकत है। 22 साल पहले रामधनी ने साहूकार से दो मन अनाज उधार लिया था, जिसका सूद साहूकार अब 4 लाख 80 हजार रुपए मांग रहा है और बदले में उसकी जमीन और मकान पर कब्जा कर लिया है। माधोपुर में 22 वर्ष पहले रामधनी दास ने चंदर दास से एक मन चावल और एक मन गेहूं उधार ली थी। इसके 3 साल बाद ही उसने अनाज के बदले दो हजार रुपए चंदर दास को चुका दिए थे। लेकिन चंदर दास के खाते में उसका हिसाब चुकता नहीं हुआ।

जमीन और घर पर कब्जा

उधार लेने के एक साल बाद ही साहूकार ने कर्ज की राशि बढ़ाकर 27 हजार रुपए कहकर रामधनी की जमीन और कब्जा जमा लिया।

पंच नहीं बन सके परमेश्वर

महाजन चंदर दास ने रामधनी पर जमीन की रजिस्ट्री करने का दबाव बनाते रहा। इसी बीच साहूकार चंदर दास की मृत्यु हो गई। उसके बाद उसके परिजनों ने जमीन रजिस्ट्री के लिए दबाव बढ़ा दिया। जिसे लेकर विवाद बढ़ी तो मामला पंचायत और थाने तक पहुंचा, लेकिन दबंगों के प्रभाव से पंचायत में चंदर के पक्ष में फैसला चला गया और थाने में मामले को दबा दिया गया।

पंचायत ने भी सुनाया रजिस्ट्री का फैसला

करीब 22 साल पहले लिए गए 80 किलो अनाज के बदले साहूकार 4 लाख 80 हजार रुपए वसूलने का दबाव बना रहा है। रामधनी की जमीन और मकान की कीमत 5 लाख 5 हजार लगाई गई है। इस हिसाब से पंचायत ने 25 हजार रुपए साहूकार के परिवार को पीडि़त रामधनी को देकर उसकी जमीन रजिस्ट्री कराने का फैसला सुनाया है। फैसला सुनाने वाली पंचायत में सरपंच कुसुम देवी सहित गांव के 11 लोग शामिल थे। फैसले से हताश पीडि़त ने डीएम से न्याय की गुहार लगाई है। रामधनी दूसरे प्लॉट पर झोपड़ी में जीवन गुजार रहे हैं।

इस संबंध में सक्षम प्राधिकार, अंचल अधिकारी सिकन्दरा को आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया है।

-डॉ कौशल किशोर, डीएम, जमुई

Posted By: Inextlive